Editorial: सभी नदियों में निर्मल जल बहना हो सुनिश्चित
- By Habib --
- Friday, 06 Jun, 2025

Ojeasegura y potĩ osyryha opaite ysyrype
Ojeasegura y potĩ osyryha opaite ysyrype: पर्यावरण की निर्मलता आवश्यक है। ज्यादा से ज्यादा पौधों का रोपण और जल का संरक्षण ही आने वाली पीढिय़ों के जीवन को सुगम बनाएगा, हालांकि इसकी पूरी आशंका है कि आगामी दौर पर्यावरण के लिहाज से बहुत चुनौती पूर्ण होने वाला है। बेशक, यह संतोष की बात है कि राजधानी नई दिल्ली में यमुना नदी की आजकल सफाई हो रही है, लेकिन यह जरूरी है कि देश की सभी नदियों को बचाने के लिए काम किया जाए। नदियां किसी देश की धरोहर होती हैं, उनकी धाराओं में जो नीर प्रवाहित होता है, वह जीवन प्रदान करने के लिए होता है, लेकिन यमुना का नीर इतना प्रदूषित हो चुका है कि इसे पीना तो दूर की बात, कोई स्नान की भी नहीं सोच सकता। दिल्ली विधानसभा का चुनाव इस बार कमोबेश यमुना नदी के पानी पर लड़ा गया।
आप संयोजक एवं तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीते चुनाव में यमुना को साफ करने का वादा किया था, हालांकि पांच साल बाद भी यमुना जस की तस है। अब भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया और वादा किया कि सरकार बनने पर यमुना की सफाई कराई जाएगी, यहां रिवर फ्रंट बनेगा और यमुना नदी दुनिया के विभिन्न देशों में शहरों के बीच से होकर बहने वाली साफ नदियों की तरह होगी। वास्तव में यमुना नदी को साफ करने का काम महाकुंभ में स्नान करने से भी ज्यादा अहम है। महाकुंभ में व्यक्तिगत पुण्य का लाभ मिलेगा लेकिन यमुना की सफाई करवा कर मौजूदा और भविष्य की पीढिय़ों के स्वास्थ्य और सुखद जीवन की धारा सुनिश्चित होगी।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना में हरियाणा की ओर से जहर फैलाने से गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद उनके खिलाफ भाजपा हमलावर हो गई थी और हरियाणा में विभिन्न शहरों में केस दर्ज हो चुके हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री आतिशी की ओर से भी हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी को दूषित करने के आरोप लगाए गए थे। उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हरियाणा में यमुना के पानी को लेकर प्रचार किया था और इसका दावा किया था कि आप नेताओं के लगाए जा रहे आरोप सही नहीं है। यह भी सभी ने देखा है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी यमुना नदी के किनारे पहुंचे थे और नदी में प्रदूषण की समस्या को उठाया था। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। इससे पहले भी आप सरकार के दौरान यमुना में प्रदूषित जल के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश को ही जिम्मेदार ठहराया गया था।
यमुना की सफाई का मामला अभी तक एक से दूसरे के पाले में डाला जाता रहा है। हालांकि अब केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और दिल्ली में भाजपा ही सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में यमुना की सफाई को लेकर गंभीरता से काम किए जाने की जरूरत है। तत्कालीन आप सरकार ने भाजपा पर अंगुली उठाई तो केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने उस समय जवाब दिया था कि 2016 में केंद्र ने यमुना की सफाई को लेकर कई परियोजनाओं को मंजूरी दी थी, उस समय केजरीवाल सरकार ने कहा कि वह अपने संसाधनों से यमुना की सफाई कर लेगी, लेकिन 2018 में फंड की कमी और केंद्र पर ठीकरा फोड़ सारी जिम्मेदारी केंद्र पर डालने की कोशिश की गई। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को अपने हिस्से का फंड समय-समय मुहैया कराया। अगर यमुना दिल्ली के अधिकार क्षेत्र में आती है तो उसे इसकी सफाई का प्रबंध करना ही चाहिए, हरियाणा या फिर उत्तर प्रदेश सरकार को यमुना के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहरा कर वह बच नहीं सकती।
इस सारे घटनाक्रम के बावजूद यमुना की सफाई का अभियान शुरू करवाना काबिले तारीफ है। इसके लिए तीन साल का समय रखा गया है। जाहिर है, यमुना की पवित्रता और गरिमा के मद्देनजर इस नदी को संजीवनी मिलना जरूरी है। देश में बाकी नदियों की स्थिति भी चिंतनीय है। तमाम ऐसी नदियां हैं, जोकि बेहद प्रदूषित हो गई हैं। गंगा नदी में भी प्रदूषण का स्तर जारी है, हालांकि बरसों से इस नदी की सफाई का काम भी हो रहा है। अनेक जगह पर यह काम पूरी जिम्मेदारी से जारी है, लेकिन अनेक शहरों से निकला प्रदूषित पानी इसमें मिलाया जा रहा है। यमुना देश की राजधानी के बीच से होकर गुजरती है, इसमें प्रदूषण हमारी सरकारों पर गंभीर सवाल उठाता है। अब समय आ गया है कि यमुना समेत तमाम नदियों का जल निर्मल हो और ये पतित पावनी शुद्ध होकर प्रवाहित हो।
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