अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस विशेष: जानिए चाणक्य नीति के अनुसार दोस्त में होने चाहिए ये 5 गुण!

international friendship day: आज के दौर में जहां रिश्ते मोबाइल के नेटवर्क की तरह आते-जाते रहते हैं, वहां एक सच्चा दोस्त किसी खज़ाने से कम नहीं होता। लेकिन सवाल उठता है, कौन है सच्चा दोस्त? प्राचीन भारत के महान विद्वान चाणक्य ने अपनी नीति में स्पष्ट किया है कि एक सच्चे मित्र में पाँच गुण होने चाहिए। ये केवल विचार नहीं, अनुभव से उपजे जीवन सूत्र हैं। चलिए जानते हैं वो पाँच अनमोल गुण जो हर दोस्त में होने चाहिए.
संकट में साथ निभाने वाला
“सच्चा मित्र वही है, जो दुःख में काम आए।” चाणक्य कहते हैं कि जब जीवन में अंधेरा छा जाए, तब जो व्यक्ति आपका हाथ थामे, वही आपका असली मित्र है। सुख में तो हर कोई साथ देता है, लेकिन दुख में साथ देने वाला ही असली परखा हुआ दोस्त होता है। उदाहरण: जब राम वनवास गए, तो उनके मित्र निषादराज ने न सिर्फ उन्हें आश्रय दिया बल्कि उनकी हर तरह से मदद की। यही होती है सच्ची मित्रता।
राज़ को राज़ रखने वाला
“जो मित्र आपकी बातों को दूसरों से ना कहे, वही सच्चा है।” अगर आपका कोई दोस्त आपकी निजी बातों को दूसरों में फैला देता है, तो वो दोस्त नहीं, नुकसान का कारण है। चाणक्य के अनुसार दोस्त वो होता है, जो आपकी कमजोरियों को भी सम्मान से संभाले। एक दोस्त जो आपकी गहराइयों को समझे और दुनिया से छुपाए, वही सबसे भरोसेमंद होता है।
विश्वासपात्र और ईमानदार
“झूठ बोलने वाला और चालाक मित्र, सबसे खतरनाक होता है।” सच्चे मित्र की पहचान उसके सच्चे शब्दों और ईमानदार व्यवहार से होती है। चाणक्य मानते हैं कि मित्र वही है जो गलत बात को भी आपके सामने सही तरीके से कहे, ना कि सिर्फ हाँ में हाँ मिलाए। वह दोस्त जो आपकी आंखों में आंखें डालकर सच कहे, भले वो कड़वा हो वही असली हीरा है।
लोभ से मुक्त
“स्वार्थी व्यक्ति कभी मित्र नहीं हो सकता।” अगर कोई केवल अपने फ़ायदे के लिए आपके साथ है, तो वह मित्र नहीं, एक स्वार्थी व्यापारी है। चाणक्य कहते हैं, मित्रता का मतलब है बिना किसी अपेक्षा के साथ देना। मित्र वही जो बिना मांगे दे, और बिना कहे समझे।
जो आपको गलत राह से रोके
“जो मित्र आपकी भूल पर आपको रोके नहीं, वो मित्र नहीं, शत्रु है।” चाणक्य स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सच्चा मित्र वही है जो गलतियों पर आपको रोके, सलाह दे, और सही राह पर लाए। जो सिर्फ चापलूसी करे, वो दोस्त नहीं, धोखा है। जैसे भगवान कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत में मोह छोड़ने की सलाह दी, वैसे ही हर किसी को जीवन में एक 'कृष्ण' जैसे दोस्त की जरूरत होती है।आज के समय में दोस्त बनाना आसान है, लेकिन सच्चे दोस्त की पहचान करना सबसे कठिन। चाणक्य नीति हमें एक साफ़ नजरिया देती है कि हम किन लोगों को अपने जीवन में रखें और किनसे दूरी बनाएं।