NHAI's plan in Punjab: Delhi-Katra Expressway will be ready in two years if land is available soon

पंजाब में एनएचएआई की योजना: जल्द जमीन मिली तो दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेस वे होगा दो साल में तैयार

NHAI's plan in Punjab: Delhi-Katra Expressway will be ready in two years if land is available soon

NHAI's plan in Punjab: Delhi-Katra Expressway will be ready in two years if land is available soon

पंजाब में एनएचएआई ने1509 किलोमीटर की फोर-लेन व सिक्स-लेन सडक़ें बनाने का काम शुरू किया

दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेस हाइवे प्रोजेक्ट के तहत राज्य में बननी है 373 किलोमीटर की सडक़ें

चंडीगढ़ (साजन शर्मा) दिल्ली कटड़ा हाइवे प्रोजेक्ट में अगर पंजाब सरकार जल्द जमीन अधिग्रहण कर नेशनल हाइवे अथॉरटी को उपलब्ध करा देती है तो इससे लाखों लोगों का सफर आसान होने जा रहा है। न केवल इससे कटड़ा व दिल्ली पहुंचने का समय घटेगा बल्कि यात्रा आरामदायक भी होगी। एनएचएआई अधिकारियों की दलील है कि जमीन मिलने के दो साल के भीतर इस प्रोजेक्ट को तैयार कर दिया जाएगा।

यहां बता दें कि दिल्ली-कटड़ा एक्सप्रेस हाइवे प्रोजेक्ट के तहत पंजाब में 373 किलोमीटर की सिक्स लेन सडक़ तैयार होनी है। फिलहाल जमीन अधिग्रहण में दिक्कतें आ रही हैं और किसान ज्यादा मुआवजे की मांग कर रहे हैं जिसको लेकर गतिरोध बना हुआ है। इसकी एक्सप्रेस हाइवे की जालंधर व अमृतसर बाईपास के जरिये से भी कनेक्टीविटी की जाएगी। इतना ही नहीं अमृतसर-जामनगर तक बन रहा कोरीडोर प्रोजेक्ट भी पंजाब के कई हिस्सों से होकर गुजरेगा। इससे भी न केवल वाहनों को गति मिलेगी बल्कि व्यापार में भी तेजी आएगी। इसका भी एग्रीमेंट हो चुका है और जल्द काम चालू हो जाएगा।

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत नेशनल हाइवे अथॉरटी ऑफ इंडिया पंजाब में 32 से ज्यादा प्रोजेक्टों पर फिलहाल काम कर रही है। इसके तहत राज्य में 1509 किलोमीटर के फोर-लेन व सिक्स-लेन प्रोजेक्टों पर काम शुरू हो चुका है। 50 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले यह प्रोजेक्ट न केवल राज्य बल्कि साथ सटते राज्यों में भी विकास की नई बयार लिखेंगे। एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार इन प्रोजेक्टों का काम भी ठेकेदारों को टेंडर निकालने के बाद अलॉट हो चुका है। कुछ दिक्कतें आ रही हैं जिन्हें जल्द दूर कर लिया जाएगा।

नेशनल हाइवेज अथॉरटी ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय अधिकारी आरपी सिंह व जनरल मैनेजर (टेक्नीकल) गौतम विशाल के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट हाइवेज एंड शिपिंग के अंडर पंजाब के ये प्रोजेक्ट चल रहे हैं। कई प्रोजेक्टों पर काम शुरू हो चुका है लेकिन कुछ पर अभी काम रुका हुआ है। इसकी वजह यह है कि बहुत से मामलों में सडक़ बनाने के लिए एग्रीमेंट का समय एक साल से ज्यादा गुजर चुका है लेकिन भूमि अधिग्रहण में समस्याएं पेश आ रही हैं जिसकी वजह से काम चालू नहीं हो पाया है। अधिकारियों के अनुसार इन जमीनों का पजेशन अभी नहीं मिल पाया है।

किसानों को निर्धारित रेटों से भी ज्यादा का भूमि अधिग्रहण मुआवजा दिया जा चुका है लेकिन अभी किसान जमीन देने को सहमत नहीं हुए हैं। राज्य सरकार जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर जैसे ही उन्हें सूचित करेगी काम शुरू कर दिया जाएगा। गौतम विशाल ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि लुधियाना-बठिंडा मार्ग इसी वजह से अभी चालू नहीं हुआ है। इसी तरह बठिंडा-लुधियाना, बठिंडा-अमृतसर प्रोजेक्ट पर काम होना है। उन्होंने बताया कि पंजाब में 32 प्रोजेक्टों का अवार्ड (टेंडर प्रक्रिया इत्यादि के बाद ठेकेदार को काम)दिया जा चुका है। कुल 1509 किलोमीटर की सडक़ें इसके तहत बननी हैं। इसमें जो बिलकुल नई (ग्रीन फील्ड) सडक़ें बननी हैं उनका 1173 किलोमीटर बैठता है जबकि ब्राऊन फील्ड (फोर लेन से सिक्स लेन) की जानी है उसका 436 किलोमीटर हिस्सा बनना है जिस पर कुल 50 हजार करोड़ की लागत आएगी।

किसान आंदोलन से एनएचएआई को 1000 करोड़ का नुकसान

किसान आंदोलन के दौरान नेशनल हाइवेज अथॉरटी को पंजाब के 26 टोल प्लाजा बंद रहने से 1,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ। फिलहाल पंजाब में आंदोलन के बाद चार टोल प्लाजा बढ़े हैं ओर इनका काम सुचारु तौर पर चल रहा है। गौतम विशाल के अनुसार हर साल अप्रैल में टोल प्लाजा के रेटों में इजाफा होता है। किसी जगह अगर 50 किलोमीटर की सडक़ बननी है और 40 किलोमीटर की सडक़ बना दी गई है तो उसके हिसाब से टोल लेना शुरू कर दिया जाता है। 10 किलोमीटर सडक़ बना कर जब पूरी 50 किमी सडक़ तैयार हो जाती है तो उसके अनुरुप टोल के रेट में इजाफा कर दिया जाता है। अन्यथा वित्तिय वर्ष के बीच में कोई अलग से इजाफा नहीं होता।