इन पांच देशों में नहीं है सुरक्षित महिलाएं, भारत भी है इस लिस्ट में शामिल

count where women are not safe: आज जब पूरी दुनिया महिलाओं की बराबरी और सशक्तिकरण की बात कर रही है, तब भी कुछ देश ऐसे हैं जहाँ महिलाएं न सिर्फ असुरक्षित हैं, बल्कि उन्हें दोयम दर्जे का जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है। महिला सुरक्षा के मामले में ये देश लगातार निचले पायदान पर आते हैं, जहाँ महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा, घरेलू शोषण, शिक्षा और काम करने के अधिकारों की भारी अनदेखी होती है। संयुक्त राष्ट्र, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं की रिपोर्ट्स के आधार पर यहां हम बात कर रहे हैं दुनिया के 5 ऐसे देशों की, जो महिला सुरक्षा के लिए बदनाम हैं।
अफग़ानिस्तान
अफग़ानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है। तालिबान के 2021 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से महिलाओं पर पाबंदियों की बाढ़ सी आ गई है। लड़कियों की स्कूल और कॉलेज जाने पर रोक, कामकाजी महिलाओं पर प्रतिबंध और बिना पुरुष अभिभावक के घर से बाहर निकलने की मनाही जैसी नीतियाँ महिलाओं को पूरी तरह से समाज से अलग कर चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में महिलाओं की 90% से अधिक आबादी किसी न किसी प्रकार की हिंसा की शिकार होती है। महिला अधिकार कार्यकर्ता या पत्रकार बनना तो यहाँ खतरनाक सपना बन चुका है।
सीरिया
गृह युद्ध से जूझ रहा सीरिया महिलाओं के लिए एक खौफनाक जगह बन गया है। युद्ध के दौरान यौन हिंसा को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया है। ISIS जैसे आतंकी संगठनों ने महिलाओं को गुलाम बनाकर बेचा, रेप और जबरन निकाह जैसी घटनाएं आम हो गईं। विस्थापन, गरीबी और भय के माहौल ने सीरियाई महिलाओं की स्थिति और भी बदतर कर दी है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक महिलाओं की पहुँच लगभग खत्म हो चुकी है।
भारत
हालांकि भारत में महिला सुरक्षा को लेकर कई कानून बने हैं, फिर भी वास्तविक स्थिति बेहद चिंताजनक है। रोजाना हजारों महिलाएं यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, एसिड अटैक, ऑनर किलिंग और दहेज हत्या जैसे अपराधों का शिकार होती हैं। NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) के अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में महिला सुरक्षा की हालत और भी खराब है। सामाजिक सोच, धीमी न्यायिक प्रक्रिया और पुलिस में संवेदनशीलता की कमी इस स्थिति को और बिगाड़ देती है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति पितृसत्तात्मक व्यवस्था में बुरी तरह जकड़ी हुई है। यहाँ महिलाओं के खिलाफ ऑनर किलिंग, बाल विवाह, जबरन निकाह और घरेलू हिंसा जैसी घटनाएं बहुत आम हैं। शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित हैं और कानून का डर लगभग न के बराबर है। हाल ही में महिला अधिकारों के लिए चलाए गए "औरत मार्च" जैसे आंदोलनों को भी धार्मिक संगठनों और कट्टरपंथियों का भारी विरोध झेलना पड़ा। पाकिस्तान में महिलाओं को बोलने की आज़ादी तक नहीं है।
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC)
अफ्रीका के इस देश को "दुनिया की रेप कैपिटल" तक कहा जाता है। यहां वर्षों से चल रहे सिविल वॉर के बीच महिलाओं को बर्बर यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट्स बताती हैं कि हजारों महिलाओं को गैंगरेप, शारीरिक प्रताड़ना और जबरन मजदूरी के लिए मजबूर किया गया है। सुरक्षा बलों और विद्रोही संगठनों दोनों द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले दर्ज हुए हैं। यहाँ न शिक्षा, न स्वास्थ्य और न ही कानूनी सहायता महिलाओं को मिल पाती है।