राहुल गांधी को क्यों किया गया था 5 मिनट के लिए गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

Rahul Gandhi: 14 जुलाई 2025 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी लखनऊ MP‑MLA कोर्ट में खुद कप्तानी लेकर पेश हुए। यह सुनवाई एक बेहद संवेदनशील मामले से जुड़ी थी। उनके उस बयान से जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “स्मरणीय रूप से ‘सरेंडर’” कह दिया था। विवादित बयान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने ट्रम्प की कॉल पर पाकिस्तान के साथ युद्ध में वापसी की अनुमति दी थी।
एक बयान से शुरू हुआ बवाल
राहुल गांधी ने भोपाल की एक रैली में कहा था, “ट्रंप की कॉल आई और नरेंद्र जी तुरंत सरेंडर हो गए... ‘हे सर’ बोले।” इसके बाद से भाजपा ने इसे राष्ट्रद्रोह और सेना विरोधी बयान बताया। केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजु ने राहुल के आरोपों को “देश विरोधी” और “मूर्खतापूर्ण” बताया, जबकि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस आत्मा से 'सरेंडर' ही कर रही है । वहीं शशि थरूर ने संतुलित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राजनीतिक बहस देश की प्रतिष्ठा को प्रभावित न करे ।भाजपा ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे कांग्रेस की नीयत पर हमला बताया, जबकि कांग्रेस इसे आलोचना के अधिकार के दायरे में रख रही है।
राहुल गांधी ने खुद किया सरेंडर
कोर्ट में राहुल गांधी ने आत्मसमर्पण किया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने बगैर किसी विवाद के समर्पण करते हुए कानूनी प्रक्रिया में सहयोग दिया। मात्र पांच मिनट में ही कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। आदेश में बताया गया कि दो जमानतदारों के आधार पर ही श्री गांधी को रिहा किया गया। राहुल गांधी का यह मामला आजाद भारत के राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य को स्पष्ट रूप से चमकाता है, जहाँ स्वतंत्र अभिव्यक्ति से संवेदनशील विवादों का सिलसिला शुरू होता है और कानूनी प्रक्रिया उसे नियंत्रित करती है। कोर्ट ने उनका तुरंत सम्मान करते हुए उन्हें जमानत दी, लेकिन राजनीतिक धारणा बदलती नजर आ रही है। यह मामला न सिर्फ राहुल के लिए बल्कि पूरे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सवाल उठता है कि “क्या किसी नेता की आलोचना लोकतंत्र की रक्षा में सहायक होती है या इससे राष्ट्र संरचना में दरार आ जाती है?”