Garbage mountain at Delhi's Ghazipur landfill

200 साल लगेंगे दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को हटाने में, केजरीवाल 5 साल में कर पाएंगे कुछ ऐसा  

landfill in Delhi

एमसीडी चुनाव में कचरे के पहाड़ हटवाना रहा प्रमुख मुद्दा

Delhi MCD Election results 2022 : आखिर 15 साल बाद दिल्ली के लोगों ने नगर निगम की सत्त्ता को बदल दिया. दिल्ली की सत्ता पर काबिज (AAP in power) आम आदमी पार्टी ने यह करिश्मा किस प्रकार कर दिखाया है, यह अब राज नहीं रहा. पार्टी ने अपनी छवि ऐसी पार्टी के रूप में स्थापित कर ली है, जोकि प्रत्येक सेवा और चीज का खर्च खुद उठाएगी और जनता को सब कुछ फ्री उपलब्ध कराएगी. दिल्ली को मिनी इंडिया भी कहा जाता है, इसका मतलब है कि देश के हर राज्य के लोग यहां बस चुके हैं. इन लोगों की अपनी-अपनी रुचि और चाह-अनचाह है, लेकिन आजकल का ट्रेंड है कि जो भी फ्री में मिलता रहे, उसे बटोर लो. अब सवाल पूछा जा रहा है कि अगर आप की इतनी ही स्वीकार्यता बढ़ गई है तो फिर गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में आप कहां है? गुजरात में सीएम अरविंद केजरीवाल ने आप के सत्ता में आने का लिखकर दावा किया था, आखिर अब उस दावे का क्या हुआ? केजरीवाल ने एमसीडी में भी भाजपा को 20 से भी कम सीटें आने का दावा किया था। 


  खैर, यह सब राजनीतिक विश्लेषण है, जिसे अब सभी समीकरणों के साथ होना बाकी है, लेकिन दिल्ली में इस बार अगर मतदाता का मन बदला है, तो उसकी एक वजह यहां कूड़े का पहाड़ होना भी है, जिसकी सफाई अब जी का जंजाल बन चुकी है. (Municipal corporation of Delhi MCD) दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी के चुनाव में अगर मुद्दों की गूंज रही तो उनमें एक यह कूड़े का पहाड़ था और दूसरा आप के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप। जनता ने इन भ्रष्टाचार के आरोपों को भी समझा है, यही वजह है कि उसने भाजपा को 104 सीटें जितवाई हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी 134 सीटें जीतकर भी खुद को ठगा सा महसूस कर सकती है, क्योंकि उसका दावा तो यह था कि भाजपा अपना खाता तक नहीं खोल सकेगी. ऐसे में भाजपा को 104 सीटें मिलने का मतलब यह है कि जनता में स्वीकार्यता कम नहीं हुई है, आप को मिली कायमाबी के पीछे वह मतदाता हो सकता है, जोकि मुफ्त चीजें चाहता है.
 
  खैर, अब जब दिल्ली नगर निगम में आप का भी साम्राज्य स्थापित हो गया है, तब पार्टी से दिल्ली के निवासियों की सबसे बड़ी मांग साफ-सफाई और कूड़े के पहाड़ को हटवाना है. (Garbage mountain at Delhi's Ghazipur landfill) क्या यह पहाड़ अगले पांच साल के अंदर साफ हो सकेगा. आइए इस कूड़े के पहाड़ के संबंध में वह सब कुछ जानते हैं, जिसको समझना जरूरी है.

 

विशेषज्ञों के मुताबिक (Delhi's Ghazipur landfill site) गाजीपुर लैंडफिल साइट जहां पर यह कूड़े का पहाड़ लगा है, उसे साफ करने में अगले पांच साल का वक्त बेहद मामूली होगा, क्योंकि अंदाजा इसका है कि इसकी सफाई करने में लगभग 200 साल लग सकते हैं. प्रत्येक वर्ष यह पहाड़ बढ़ता जा रहा है. अभी तक काबिज रही भाजपा ने इस पहाड़ को हटवाने के लिए केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय को करीब 1,864 करोड़ रुपये की लागत का एस्टीमेट भेजा था. यानी यह अनुमान है कि इतने रुपये की लागत से यह गंदगी का पहाड़ हट सकेगा। यह राशि एक छोटे राज्य के सालाना बजट के बराबर है. इतनी राशि से दर्जनों स्कूल, पार्क और अस्पताल बन सकते हैं.

 

15 हजार करोड़ का बजट 
गौरतलब है कि (Delhi' municipal corporation budget) दिल्ली नगर निगम दुनिया के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए निगम का 15276 करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया था. इसमें सबसे ज्यादा पैसा सफाई, सामान्य प्रशासन और शिक्षा के लिए 65.53 फीसदी रखा गया था. अब समझा जा सकता है कि जो नगर निगम सफाई पर ही सबसे ज्यादा खर्च कर रहा है, उसके बावजूद अगर देश की राजधानी के एक कोने में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो रहा है तो फिर अन्य संसाधनों पर खर्च कहां से जुटाया जाएगा. 

 

2 साल 8 महीने में हटा बसा इतना कचरा  
दिल्ली के लैंडफिल साइट से बीते 2 साल और 8 महीने के अंदर महज 5.5 मिलियन टन कचरे को हटाया जा सका है. वहीं दिलचस्प यह है कि इतने ही दिनों में इस जगह पर 5.1 मिलियन टन नया कचरा और फेंक दिया गया. यानी जितना हटाया, लगभग उतना ही और यहां डाल दिया गया. इस समय देश की राजधानी के अंदर तीन कचरे के पहाड़ हैं, इनमेें ओखला, भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट शामिल हैं.

 

5315 टन कचरा हटाया तो इतना ही फेंका
सरकारी आंकड़ों के अनुसार तीन लैंडफिल साइट से हर रोज औसतन 5315 टन कचरे को हटाया जा रहा है, लेकिन विडम्बना यह है कि इन कूड़ा स्थलों पर हर रोज 4931 टन कचरे को और फेंका जाता है. इसका अभिप्राय यह है कि हर वर्ष 1.8 मिलियन टन (लाख) कचरा इन ढेरों को और बड़ा कर देता है. विशेषज्ञों की राय है कि इस प्रकार इन लैंड फिल साइटों से कचरे को हटाने में अगले 200 साल लग जाएंगे. यह भी तय है कि अगर नये कचरे को यहां न डालकर किसी नई जगह पर डाला जाए और इस जगह से सिर्फ पुराने कचरे को ही साफ किया जाए तो इसमें भी अगले 14 साल का समय लगेगा. जबकि आम आदमी पार्टी तो अगले पांच वर्ष के लिए ही निगम की कुर्सी पर काबिज हुई है. ऐसे में यह सवाल अहम है कि जिस वादे और दावे के साथ आप ने निगम की सत्ता हासिल की है, क्या वह अपने कार्यकाल में इस कूड़े के पहाड़ को हटा पाएगी.

 

समय गुजरता रहा और लागत बढ़ती गई
कचरे के इस पहाड़ को साफ करने के प्रोजेक्ट की लागत हर वर्ष बढ़ती जा रही है. प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली नगर निगम ने केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय को अनुमानित 1,864 करोड़ रुपये की लागत का प्रस्ताव भेजा था. सफाई के लिए नगर निगम ने अपनी क्षमताओं में विस्तार की योजना बनाई है और इसके लिए नए प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना पर काम हो रहा है. केंद्र को सौंपी गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि गाजीपुर लैंडफिल दिल्ली के तीनों लैंडफिल साइटों में सबसे बड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार गाजीपुर लैंडफिल साइट पर सिर्फ पुराने कचरे की ही सफाई हो रही है. 2019 के जुलाई में इस लैंडफिल साइट पर 14 मिलियन टन कचरा था जो इस साल के मार्च में बढ़ कर 15 मिलियन टन हो गया.


एनजीटी ने दिया है अगले वर्ष तक का समय 
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी (एनजीटी) ने जुलाई 2019 में एक साल के भीतर दिल्ली की तीनों जगहों से पुराना कचरा हटाने का आदेश दिया था. हालांकि, उसके बाद कई बार समय सीमा को आगे बढ़ाया जा चुका है. 2020 दिसंबर को दिल्ली के तीनों निगमों ने मुख्य सचिव के नेतृत्व वाली मॉनिटरिंग समिति को बताया था कि मार्च 2021 तक तीनों लैंडफिल साइट के 50 फीसदी पुराने कचरे को साफ कर दिया जाएगा. फरवरी 2021 में, निगमों ने नई समय सीमा जारी की और कहा कि भलस्वा में जून 2022, ओखला में मार्च 2023 और गाजीपुर में दिसंबर 2023 तक पुराने कचरों को साफ कर दिया जाएगा. हालांकि इस साल मार्च में नगर निगम ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को बताया कि भलस्वा और ओखला साइटों को जुलाई और अक्तूबर 2023 तक साफ कर दिया जाएगा और गाजीपुर लैंडफिल साइट को दिसंबर 2024 तक समतल कर दिया जाएगा.

 

लक्ष्य अपनी जगह, कचरे का पहाड़ अपनी जगह
इस वर्ष अगस्त तक की स्टेटस रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि गाजीपुर साइट से 7.8 प्रतिशत पुराना कचरा, ओखला से 30 प्रतिशत और भलस्वा से 31.8 प्रतिशत पुराना कचरा साफ किया गया है. कुल मिलाकर 55 लाख टन कचरा साफ हुआ है, जबकि इस दौरान गाजीपुर में 13 लाख टन, ओखला में 16 लाख टन और भलस्वा में 22 लाख टन नया कचरा जमा हो चुका है. उम्मीद की जानी चाहिए कि दिल्ली की जनता की उम्मीदों को लेकर नगर निगम में काबिज हुई आप इन कचरे के पहाड़ों को हटवाएगी।