बीबीएमबी को सिंचाई मंत्रालय को सौंपे केंद्र, हरियाणा की मांग

बीबीएमबी को सिंचाई मंत्रालय को सौंपे केंद्र, हरियाणा की मांग

बीबीएमबी को सिंचाई मंत्रालय को सौंपे केंद्र

बीबीएमबी को सिंचाई मंत्रालय को सौंपे केंद्र, हरियाणा की मांग

केंद्र के फैसले पर सदन में घिरे मुख्यमंत्री
कांग्रेस व इनेलो बोले हरियाणा की हिस्सेदारी हुई कम

चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बार्ड में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर नियम बदले जाने के बाद आज कांग्र्रेस व इनेलो ने सरकार को घेर लिया। इनेलो विधायक ने तो यहां तक बोल दिया कि केंद्र के फैसले के बाद पंजाब तो विरोध कर रहा है लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री का एक बयान तक नहीं आया। आज सदन में इस मुद्दे पर प्रस्ताव पारित करने की बजाए केंद्र पर दबाव बनाकर हरियाणा को बीबीएमबी में उसका दिलवाया जाए।
दरअसल मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को सदन में अन्य विषयों के अलावा बीबीएमबी के मुद्दे पर प्रस्ताव रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड में पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की भावना के खिलाफ है, जो नदी योजनाओं को, उत्तराधिकारी पंजाब व हरियाणा राज्यों की सांझा सम्पत्ति मानता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा सरकार से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की हिस्सेदारी कम हो रही है। सीएम ने जैसे ही बीबीएमबी में हरियाणा की हिस्सेदारी का प्रस्ताव रखा तो नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें घेरते हुए कहा कि सरकार बताए हरियाणा की हिस्सेदारी को बचाने के लिए अब तक क्या किया गया है। हुड्डा ने कहा कि केंद्र व राज्य में एक ही दल की सरकार होने के बावजूद केंद्र ने हरियाणा के खिलाफ फैसला कैसे लिया। इस मुद्दे पर कांग्रेस के कई विधायकों ने सरकार पर सवाल उठाए तो मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि उन्हें पहले से इस घटनाक्रम का अंदेशा था। जिसके चलते सबसे पहले बीबीएमबी के मुद्दे पर 19 अप्रैल 2021 को केंद्र सरकार को पत्र लिखा। इसके बाद हरियाणा की तरफ से केंद्र को 22 सितंबर 2021 को एक पत्र लिखकर ऐसा कोई भी फैसला नहीं लेने की अपील की गई। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र ने बीबीएमबी के संबंध में जब फैसला लागू किया तो 22 मार्च 2022 को तीसरा पत्र लिखकर इस फैसले का विरोध किया गया। मुख्यमंत्री ने सदन में यह तीनों पत्र दिखाते हुए कहा कि पहले बीबीएमबी सिंचाई विभाग के अधीन था। जिसे बाद में ऊर्जा मंत्रालय के अधीन कर दिया गया। जिसके चलते यह सारा विवाद पैदा हो गया है। सीएम के इस तर्क से नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सहमत नजर आए। सदन में पूरी रिपोर्ट रखने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को एक और पत्र लिखकर आग्रह किया जाएगा कि बीबीएमबी को पहले ही तरह सिंचाई विभाग के अधीन ही रहने दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह के साथ चर्चा हो चुकी है। बहुत जल्द कोई सकारात्मक कार्रवाई होने की संभावना है।