A big difference between freedom and dependence

स्वतंत्रता और परतंत्रता में बहुत बड़ा अंतर है -आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

A big difference between freedom and dependence

A big difference between freedom and dependence

चड़ीगढ़ : दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में स्वतंत्रता  दिवस पर समाज के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में तिरंगा ध्वज फैराया गया और राष्ट्र गीत को गाकर उसका सम्मान किया गया।

आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज ने कहा 
स्वतंत्रता और परतंत्रता में बहुत, बड़ा अंतर है। स्वतंत्रा का क्या आनंद हैं, जो व्यक्ति परतंत्रता का जीवन जी चूका है वह ही उस स्वतंत्रा की मिठास को जान सकता है। सामान्य से तो व्यक्ति को लगता ही नहीं कि स्वतंत्रा है क्या, और परतंत्रता है क्या, आपकी स्थिति इसी प्रकार की है। हम लोग स्वतंत्रता दिवस मना लेते है लेकिन स्वतंत्रता का क्या मतलब है यही नहीं हैं, एक बार सोचकर देखे कि अगर हमें कहीं कैद कर दिया जाये और उसके अनुसार ही काम करना पड़ जाए, तो हम अपने अंदर कैसा महसूस करेंगे, जैसा हमें महसूस होगा बस यही स्थिति स्वतंत्रता और परतंत्रता में होगी।

जब अंग्रेंजों ने भारत में अपना अधिकार जमा लिया और रहने लगे, शासन करने लगे, किसानों से मन माना कर्ज वसूल करने लगे, व्यापारियों को परेशान करने लगे, और उनके व्यापार को अपने हाथ में लेने लगे, शासन-प्रशासन को भी अपने हाथ में लेने लगे, अब भारत के लोगों के पास बचा क्या, भीख जैसे माँगकर भोजन करना पड़ता था और बड़ी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। तब भारत के लोगों ने सोचा कि कब तक ऐसे ही जीवन यापन करना पड़ेगा। तब कहीं देश में 1857 में क्रांति का बिगुल बचाया गया, जो लोग घुट-घुट कर जीवन जी रहे थे, और जो लोग सम्पन्न थे वे भी दुखी थे। राजाओं के राज्य छीन लिए जाते थे, फूट डालो- शासन करो कि नीति अपनाई जा रही थी। और देश के अंदर बहुत प्रकार विघटन डाले जा रहे थे। अपना भारत देश गुलाम होता जा रहा था, लेकिन जब बाद में चेतना का विगुल बचा और सब ने ठान लिए लिया कि अब तो देश को आजाद कराना है किसी भी कीमत पर।

आजादी के नाम आगे आने वाले हमारे मुख्य लोगों में महात्मा गांधी,  सभाष चंद्र भोस, भगत सिंह, पंडित जवाहर लाल नेहरू जी आदि लोगों ने अहिंसा का विगुल बचाते हुए सामने आए और बहुत अधिक संघर्ष करते हुए एक दिन ऐसा भी आया कि हमारा देश आजाद हुआ सभी ने स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रता से सांस ली। इस दिन पर हम आजादी को दिलाने वाले महान वीर योद्धाओं को याद कर उनके प्रति श्रदा सुमन अर्पित करते हैं। आज हम स्वतंत्र है, सबको समानता का अधिकार दिया गया है, इस स्वतंत्र भारत में अपनी स्वतंत्रा का हमें गलत फायदा ना उठाते हुए,  देश की संस्कृति और सभ्यता को ध्यान में रखते हुए, उसके विकास के बारे में विचार करें। हमारी आत्मा भी कर्मों से बंधे होने के कारण परतंत्र है और सुख-दुःख का वेदन कर रहे हैं, इसे स्वतंत्र करने के लिए रत्नत्रय रूपी गुणों को धारण कर हम मी स्वतंत्र हो सकते है।