Monkeypox या COVID-19 में कौन सा वायरस अधिक खतरनाक? जानिए- एक्‍सपर्ट की सलाह

Monkeypox या COVID-19 में कौन सा वायरस अधिक खतरनाक? जानिए- एक्‍सपर्ट की सलाह

Monkeypox या COVID-19 में कौन सा वायरस अधिक खतरनाक? जानिए- एक्‍सपर्ट की सलाह

Monkeypox या COVID-19 में कौन सा वायरस अधिक खतरनाक? जानिए- एक्‍सपर्ट की सलाह

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के बीच एक्सपर्ट्स ने एक नई वायरल बीमारी को लेकर चिंता जताई है, जो इस वक्त दुनिया के कई हिस्सों में तबाही मचा रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मंकीपॉक्स की। अभी तक, दुनियाभर में इसके 100 से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं। WHO ने भी इस बीमारी को हल्के में न लेने की चेतावनी दी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, "यह स्थिति लगातार बढ़ती दिख रही है और ऐसा लग रहा है कि मंकीपॉक्स के मामले बढ़ेंगे, जैसे-जैसे नॉन-एंडेमिक देशों में इस बीमारी को लेकर निगरानी बढ़ाई जा रही है।" इसकी जांच जारी है, हालांकि, रिपोर्ट किए गए मामलों में अब तक कोई स्थापित यात्रा लिंक नहीं देखा गया है। अभी तक प्रकोप से जुड़ी कोई मौत रिपोर्ट नहीं की गई है।

SARs-CoV-2 वायरस की तुलना में, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि हमारे पास इस बीमारी को हाथ से निकलने से पहले रोकने और इसका इलाज करने के लिए अधिक संसाधन और उपकरण हैं। तो आइए समझते हैं कि यह दो संक्रमण एक दूसरे से कैसे अलग हैं।

Covid-19 vs Monkeypox: इनका कारण क्या है?

कोरोना वायरस रोग या कोविड-19 गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (SARS-CoV-2) के कारण होता है। जबकि, मंकीपॉक्स पॉक्सविरिडे परिवार में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से जुड़ा है। मंकीपॉक्स, आमतौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका में जंगली जानवरों के बीच फैलने और प्रसारित होने वाली बीमारी है। यह मनुष्यों में तब फैलती है जब वे संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते हैं।

इसके अलावा, कोविड-19 में RNA नामक आनुवंशिक सामग्री का सिंगल स्ट्रेन्ड होता है, वहीं, मंकीपॉक्स वायरस डीएनए में दोहरे-असहाय आनुवंशिक कोड को वहन करता है।

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?

इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स साल 1958 में रखा गया था ,जब इस वायरस का बंदरों की एक कॉलोनी में पता चला था, जिसका उपयोग रिसर्च के लिए किया जाता था। यह मनुष्यों में भी हो सकता है और फिर दूसरे लोगों में भी फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता है कि शारीरिक तरल पदार्थ, त्वचा पर घाव, या मुंह या गले में श्लेष्मा सतहों के साथ निकट संपर्क के माध्यम से यह एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है।

मंकीपॉक्स काफी कम संक्रमणीय है

दुनियाभर में जिस तरह मंकीपॉक्स के बढ़ते मामले देखे जा रहे हैं, कुछ देशों ने इसके लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में, ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने देश में पश्चिम अफ्रीकी वेरिएंट के मामलों में स्पाइक के बारे में चिंता जताई। यूनाइटेड किंगडम हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) ने लोगों को मंकीपॉक्स के विकास के उच्च जोखिम वाले लोगों या संक्रमित लोगों के निकट संपर्क में आने वालों को 21 दिनों के लिए खुद से आइसोलेशन करने की सलाह दी है।

बेल्जियम ने मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए 21 दिन का अनिवार्य क्वारंटाइन भी शुरू किया है। हालांकि, इस तरह के पागलपन के बीच, ओटागो विश्वविद्यालय के जैव रसायन के प्रोफेसर कर्ट क्रूस ने कहा है कि मंकीपॉक्स वायरस COVID-19 से कम खतरनाक है, हालांकि इसकी मृत्यु दर अधिक है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि मंकीपॉक्स गंभीर हो सकता है, लेकिन इस वक्त इससे कुछ लोग ही संक्रमित हुए हैं। यह वायरस तेज़ी से एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं करता, इसलिए यह जल्द ख़त्म हो सकता है।

इन दोनों के लक्षणों में क्या है अंतर

सबसे आम कोविड-19 लक्षणों में बुखार, गले में ख़राश, खांसी, थकान, नाक बहना, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गंध और स्वाद की कमी और जठरांत्र संबंधी समस्याएं शामिल हैं।

वहीं, मंकीपॉक्स के लक्षण स्मॉल पॉक्स की तरह के ही हैं। WHO के मुताबिक, इसमें सिर दर्द, बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, बेचैनी, थकावट, रैश और लिम्फैडेनोपैथी आम लक्षण हैं।

क्या वैक्सीन है उपलब्ध?

हम सभी जानते हैं कोविड-19 वैक्सीन और वैक्सीनेशन प्रोग्राम किस तेज़ी से दुनिया भर में चल रहा है। इसी तरह मंकीपॉक्स के मामले में सभी को मालूम होना चाहिए कि इस बीमारी से बचाव के लिए किसी तरह की वैक्सीन उपलब्ध है या नहीं। CDC के मुताबिक, मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है, लेकिन क्योंकि मंकीपॉक्स, स्मॉलपॉक्स से संबंधित है, तो ऐसे में स्मॉलपॉक्स वैक्सीन, एंटीवायरल और वैक्सीना इम्यून ग्लोबिन लोगों को मंकीपॉक्स से संक्रमित होने से बचा सकती हैं।

WHO का कहना है कि जिन लोगों की उम्र 40-50 के बीच है, उनमें स्मॉलपॉक्स यानी चेचक की वैक्सीन लगी होने की संभावना नहीं है, क्योंकि इसके लिए वैक्सीन लगना साल 1980 में ख़त्म हो गया था।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।