Holi with flowers in Vrindavan

कई मायनों में है खास वृंदावन की फूलों वाली होली,देखें क्या है खास

Holi

Vrindavan flower holi is special in many ways

हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होली का उत्सव मनाया जाता है। ऐसे में साल 2024 में 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृन्दावन, बरसाना और नंदगांव आदि में कई दिनों पहले से ही होली का त्योहार शुरू हो जाता है। इस दौरान लठमार होली, लड्डू होली और फूलों वाली होली भी खेली जाती है। इस स्थानों पर होली के पर्व का आनंद उठाने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी लोग पहुंचते हैं।

यह है मान्यता
ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां पर लठमार होली, लड्डू होली और फलों वाली होली विश्व प्रसिद्ध हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा रानी और गोपियों संग फूलों वाली होली खेली थी। तभी से इस होली का चलन बना हुआ है।

ऐसे खेली जाती है ये होली
फूलवाली होली के दौरान, भक्त फूलों और फूलों की प्राकृतिक डाई से बने रंगों के साथ त्योहार खेलते हैं। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में फूल वाली होली की विशेष धूम देखने के मिलती है। इस अवसर पर भक्त मंदिर में एकत्रित होते हैं, जहां मंदिर के पुजारी भक्तों पर रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा करते हैं। इसके साथ ही लोग एक-दूसरे पर गुलाब, कमल और गेंदे के फूल की पंखुडय़िां बरसाते हैं। इस दौरान लोग होली के गीत व भजन गाते हैं और नृत्य भी करते हैं।

इसलिए भी है खास
फूलों की होली इस मायने में भी खास है क्योंकि यह होली प्रकृति का सम्मान करने का भी संकेत देती है। वहीं सिंथेटिक रंगों की तुलना में, फूलों का उपयोग स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है, क्योंकि फूलों की होली से त्वचा और आंखों को सुरक्षित रहती ही हैं। साथ ही इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता

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