आज विकास प्रेमी तय करेंगे पहाड़ का सरताज,देखें किसका पलड़ा कहां भारी

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: आज विकास प्रेमी तय करेंगे पहाड़ का सरताज,देखें किसका पलड़ा कहां भारी

Himachal Pradesh Assembly Election 2022

Himachal Pradesh Assembly Election 2022

अर्थ प्रकाश टीम: शिमला, 11 नवंबर । Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव का मंच सज चुका है और हिम के दिग्गज कड़ा मुकाबला(Compition) करने को तैयार हैं। इन गगनचुंबी पर्वतों(high-rise mountains) पर इस बार कौन सा दिग्गज अपना झंड फहराएगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन विकास प्रेमी जनता अपने हिम वीर को लेकर अपना मन पहले ही बना चुकी है। हिमाचल प्रदेश में सभी ६८ सीटों को हो रहे चुनाव में पिछले एक महीने से भाजपा(BJP), कांग्रेस(CONGRESS), आम आदमी पार्टी(AAP) के नेता अपनी पूरी ताकत झौंके हुए लेकिन सबके दिलों पर कौन राज करने वाला है, इसका फैसला ईवीएम(EVM) की टूं-टूं करेगी। जिसका 8 दिसंबर को पता चलेगा कि कौन बनेगा पहाड़ों का राजा। अर्थ प्रकाश व्यूरो के अनुसार, शनिवार को करीब 56 लाख लोग मतदान करेंगे। वोटरों की संख्या बढ़कर 55,92,882 हो गई है। ढाई महीने के भीतर प्रदेश में 2,04,473 वोटर बढ़े हैं। 16 अगस्त को जारी की गई पहली वोटर लिस्ट में प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 53,88,409 थी। 10 अक्टूबर को जारी की गई दूसरी वोटर लिस्ट में मतदाताओं की संख्या 55,07,261 थी। 26 अक्टूबर को जारी की गई फाइनल वोटर लिस्ट में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 55,92,828 हो गई है। इनमें 67,559 सर्विस वोटर, 22 एनआरआई वोटर, 38 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। प्रदेश में 10 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक 23,034 नए मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं। 


शिमला जिले की विधानसभा सीटें

शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पर जहां सभी की नजर हैं। शिमला जिलें 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। जिनमें शिमला ग्रामीण विधानसभा, कुसुम्पटी, ठियोग, जुब्बल कोटखाई, चौपाल,  रोहडू व रामपुर विधानसभा क्षेत्र हैं। शिमला सीट पर पिछली बार भी भाजपा के सुरेश भारद्वाज(Suresh Bhardwaj) का कब्जा था।  जिन्हें अब कुसुम्पटी भेज दिया गया है। इस बार भाजपा(BJP) ने नए प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, जबकि माकपा ने भी एक अच्छे चेहरे व पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की तरफ से हरीश जनार्था जहां मजबूत प्रत्याशी(strong candidate) नजर आ रहे हैं, लेकिन जो इस सीट पर  हरीश जनार्था के अलावा दो और पहाड़ी प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके चलते पहाडी़ मतदाता बट जाने के कारण संजय सूद को स्थानीय निवासी होने के इलावा व्यापारी वर्ग का जो समर्थन मिल रहा है, उसका फायदा मिल सकता है। 
शिमला ग्रामीण : यहां कांग्रेस से वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य प्रत्याशी है। वह यहां के विधायक भी है। यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री व युवा नेता विक्रमादित्य काफी मजबूत स्थिति में नजर हा रहे हैं क्योंकि भाजपा ने नए चेहरे रवि मेहता को प्रत्याशी बनाया है। वह मुकाबले में काफी पीछे रह सकते हैं। 

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कुसुम्पटी: कुसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह मजबूत प्रत्याशी(strong candidate) है। हालांकि सरकार के मंत्री सुरेश भारद्वाज(Minister Suresh Bhardwaj) को भाजपा का टिकट दिया गया है। भारद्वाज प्रचार में डटे हैं लेकिन उन्हें कर्मचारियों की नाराजगी व इनकंमबैंसी का नुकसान हो सकता है। इसलिए अनिरुद्ध सिंह अगर सीट निकाल भी ले तो बड़ी बात नहीं होगी। 

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ठियोग विधानसभा: ठियोग में वर्तमान में माकपा के विधायक राकेश सिंघा है। इस बार कांग्रेस के प्रत्याशी कुलदीप राठौर, भाजपा के श्याम हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों में बागवत है। कुमारसेन क्षेत्र से विजय पाल खाची चुनाव मैदान में हैं तो ठियोग क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक राकेश वर्मा(Former MLA Rakesh Verma) की पत्नी इंदु वर्मा भी मैदान में हैं। जिससे वोटों को बंटबारा होगा। जिससे लगता है कि फिर राकेश सिंघा कही बाजी न मार जाए। 

जुब्बल कोटखाई: जुब्बल कोटखाई में कांग्रेस के विधायक रोहित ठाकुर(MLA Rohit Thakur) हैं तो भाजपा से पूर्व भाजपा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा प्रत्याशी है। रोहित ठाकुर मजबूत हैं लेकिन चेतन के साथ भी सहानुभूति के वोट हैं। यहां मुकाबला दोनों के बीच कड़ा मुकाबला होगा। इसलिए अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि कौन बाजी मारेगा, लेकिन कर्मचारियों व इनकमबैंसी का नुकसान(loss of employees and income) न हुआ तो भाजपा यह सीट निकाल सकती है। वरना कांग्रेस के रोहित ठाकुर बाजी मार जाएंगे। और कांग्रेस सरकार बनने पर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। 

चौपाल विधानसभा: चौपाल विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के बलवीर वर्मा(Balveer Verma) लगातार दो बार से जीत रहे हैं। अभी कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में रजनीश किमटा को प्रत्याशी बनाया है जो मजबूत प्रत्याशी हैं। लेकिन कांग्रेस में बगावत हैं। वहां से कांग्रेस के पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट(Former MLA Subhash Mangalet) निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे हैं। जिससे कांग्रेस के वोट बंटेंगे और भाजपा को फायदा होगा। लेकिन फिर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होगा।

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रोहडू विधानसभा: यह कांग्रेस की परंपरागत सीट है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह(Former Chief Minister Late Virbhadra Singh) के प्रभाव के कारण हमेशा कांग्रेस ही जीतती आई है। यहां कांग्रेस के मोहन लाल व्राक्टा और भाजपा की महिला प्रत्याशी शशिबाला के बीच मुकाबला है। लेकिन संभावना है कि कांग्रेस बाजी मार सकती है। 

रामपुर विधानसभा: यह भी कांग्रेस की परंपरागत सीट है। यहां वीरभद्र सिंह की रियासत हैं जिससे कांग्रेस हमेशा ही जीत दर्ज करती आई है। कांग्रेस प्रत्याशी नंद लाल हैं तो भाजपा ने नए चेहरे कौल नेगी को प्रत्याशी बनाया है। कौल नेगी मूल रुप से किन्नौर के रहने वाले हैं। कांग्रेस की ही जीत की संभावना है। नेगी को अगर सरकार की इनकमबैंसी और कर्मचारियों का शिकार होना पड़ा तो दोबारा कांग्रेस प्रत्याशी इस परमपरागत सीट को नंदलाल बचाने में कामयाब हो सकते हैं। 

सोलन की 3 सीटों पर कड़ा मुकाबला

सोलन विधानसभा हलके की 3 सीटों सोलन सदर, कसौली और दून में पुराने प्रतिद्वंदियों में कड़ा मुकाबला हो रहा है, जबकि नालागढ़ और अर्की विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस-भाजपा को निर्दलीय प्रत्याशी कांटे की टक्कर दे रहे हैं। क्षेत्र की 5 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा चुनाव नामांकन वापस लेने के बाद अब चुनावी तस्वीर काफी साफ हो गई है। हिमाचल प्रदेश की सोलन विधानसभा सीट कई मायनों में खास मानी जाती है। यहां अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है, लेकिन कई चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने लगातार दो-दो चुनावों में जीत दर्ज की है। यहां से कांग्रेस भी साल 2012 और 2017 के दोनों पिछले चुनावों में जीत दर्ज करती आ रही है। कांग्रेस पार्टी के धनी राम शांडिल ने भाजपा के राजेश कश्यप को 671 वोटों के अंतराल से हराकर जीत हासिल की थी। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता धनी राम शांडिल को एक बार फिर मैदान में उतारा गया है। वहीं भाजपा के राजेश कश्यप पर भरोसा जताते हुए उनको एक और मौका दिया गया है। आम आदमी पार्टी ने अंजू राठौर को चुनावी दंगल में उतारकर मुकाबले को और दिलचस्प व कड़ा बना दिया है। सोलन सदर में दोनों पार्टियों में जबरदस्त गुटबाजी भी है, लेकिन यह दोनों एकजुटता दिखाते हुए साथ चल रहे हैं। आप की अंजू राठौर भी चुनावी मैदान में हैं। वे पहले कांग्रेस में थीं और अब वे पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं।

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दून में भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला

दून सीट पर भी भाजपा-कांग्रेस के पिछले चुनाव उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होता दिख रहा है। भाजपा की ओर से निवर्तमान विधायक परमजीत सिंह पम्मी मैदान में हैं। पूर्व विधायक राम कुमार कांग्रेस के टिकट पर फिर उन्हें चुनौती दे रहे हैं। पिछले चुनाव में पम्मी, राम कुमार पर भारी पड़े थे। राम कुमार के पिता चौधरी लज्जा राम इस सीट से 4 बार विधायक रहे हैं। 2003 के बाद यहां कांग्रेस-भाजपा बारी-बारी जीतती रही है।

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नालागढ़ सीट पर इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प

सोलन जिले की नालागढ़ सीट इस समय हॉट सीट बनी हुई है। सीट पर इस बार चुनाव बेहद दिलचस्प रहने वाला है। यह हिमाचल प्रदेश की विधानसभा सीट है। इस सीट से 2017 में लखविंदर सिंह राणा को विधायक चुना गया था। वह कांग्रेस विधायक हैं। कांग्रेस और बीजेपी के वर्चस्?व वाली इस सीट पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हैं। साल 2017 के चुनावों में कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा ने बीजेपी के केएल ठाकुर को शिकस्त दी थी, लेकिन इस बार लखविंदर सिंह राणा राणा बीेजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। यहां पर आप के धर्मपाल ठाकुर की स्थिति भी खराब नहीं है। वे कांग्रेस से आप में गए हैं। जिला परिषद अध्यक्ष रहे हैं। पंजाब से सटे होने का कुछ फायदा भी उन्हें मिल सकता है।

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कसौली में डॉ. सैजल को चौका लगाने से रोकने की चुनौती

कसौली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी पिछले 2 चुनाव नजदीकी मुकाबले में हारे हैं।  पिछले 2 विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा और कांग्रेस ने पुराने उम्मीदवारों को ही चुनावी मैदान में उतारा है। यहां कांग्रेस के सामने भाजपा के डॉ. राजीव सैजल को जीत का चौका लगाने से रोकने की चुनौती है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सुल्तानपुरी मात्र 24 वोट से हारे तो 2017 के चुनाव में इन दोनों के वोटों का अंतर 442 ही रहा। इस सीट पर कांग्रेस की गुटबाजी भारी पड़ती रही है। यहां पर आप के हरमेल धीमान चुनाव लड़ रहे हैं। धीमान भाजपा से आप में गए हैं और इनकी परवाणू क्षेत्र में लोगों के बीच काफी अच्छी पकड़ है।

अर्की में निर्दलीय राजेंद्र ने बनाया तिकोना मुकाबला

जिले की अर्की विधानसभा सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजेंद्र ठाकुर ने मुकाबले को तिकोना बनाया हुआ है। वे कांग्रेस और भाजपा को बराबरी की टक्कर दे रहे हैं। नामांकन के बाद दाड़लाघाट में बड़ी रैली करके वे अपनी ताकत दिखा चुके हैं। राजेंद्र ठाकुर ने पिछले साल हुए उप चुनाव में टिकट न मिलने पर कांग्रेस छोड़ी थी। यहां पर कांग्रेस की ओर से निवर्तमान विधायक संजय अवस्थी तो भाजपा से 2 बार के विधायक रहे गोविंद राम शर्मा मैदान में हैं। गोविंद राम और संजय अवस्थी के बीच 2012 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला हो चुका है, तब गोविंद जीते थे। अब यहां समीकरण राजेंद्र ठाकुर के निर्दलीय लडऩे से बदले हैं।

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18-19 साल के 1.23 लाख नए मतदाता बने: लोकतंत्र के महापर्व में 18 से 19 साल के 1,93,000 नए मतदाता अपने वोट का इस्तेमाल करेंगे। ढाई महीने के भीतर प्रदेश में युवा मतदाताओं की संख्या 1,23,219 बड़ी है। 10 अक्टूबर को जारी की गई सूची में 18-19 आयु वर्ग के नए मतदाता की संख्या 69,781 थी। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या में 500 की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 10 अक्टूबर को इनकी संख्या 56,001 थी, जो बढ़कर 56,501 हो गई है। 

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सुलह में सबसे ज्यादा और लाहौल स्पीति में सबसे कम वोटर: प्रदेश के 68 विधानसभा क्षेत्रों में से सुलह विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोटर्स हैं। यहां पर मतदाताओं की संख्या 1,04,486 है, जबकि लाहौल स्पीति में सबसे कम 24744 मतदाता हैं। वहीं लोग अब साल में 4 बार अपना नाम दर्ज करवा सकेंगे। जो व्यक्ति 17 साल के हैं, वह पहले ही मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन कर सकेंगे, ताकि 18 साल के होने पर उनका नाम मतदाता सूची में जल्दी से दर्ज हो सके। 

142 बूथों पर महिलाएं करवाएंगे मतदान: प्रदेश विधानसभा चुनाव में 142 बूथों पर महिला कर्मचारी चुनाव मतदान करवाएंगी। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए आयोग ने 142 बूथों पर महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। दिव्यांग जनों को भी समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए पोलिंग बूथ पर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

50 फीसदी पोलिंग बूथों पर चुनाव आयोग लाइव देखेगा वोटिंग: विधानसभा चुनाव में इस बार प्रदेश के 50 फीसदी पोलिंग बूथों पर वेब कास्टिंग होगी। वेब कास्टिंग के जरिए केंद्रीय चुनाव आयोग दिल्ली से प्रदेश की विधानसभा चुनाव पर अपने सीधी नजर रख सकेगा। केंद्रीय चुनाव आयोग दिल्ली में बैठकर प्रदेश के 50 फीसदी बूथों पर मतदान की पल-पल की नजर रहेगी।

7881 पोलिंग स्टेशन पर होगी वोटिंग: निर्वाचन विभाग के एक प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश विधानसभा चुनाव में 7881 पोलिंग स्टेशन पर वोटिंग होगी। इनमें 7235 फोल्डिंग स्टेशन गांवों में है और 646 पोलिंग स्टेशन शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। देश के सबसे बड़े कांगड़ा जिला में सबसे ज्यादा 1625 पोलिंग स्टेशन है, जबकि लाहौल स्पीति में सबसे कम 92 पोलिंग स्टेशन हैं। कांगड़ा के सिद्ध बाड़ी पोलिंग स्टेशन पर सबसे ज्यादा 1511 और किन्नौर के पोलिंग स्टेशन पर सबसे कम 16 वोटर्स हैं।

जिला स्तर के पोलिंग स्टेशन पर एक नजर: चंबा जिला में डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के मनोला मतदान केन्द्र में सबसे ज्यादा 1459 मतदाता ,जबकि भरमौर विधानसभा क्षेत्र के क्यूनर में मात्र 84 वोटर है। भरमौर का चस्क भटोरी एक ऐसा मतदान केन्द्र है जहां पोलिंग पार्टी को पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। यहां पर सबसे दूर मतदान केन्द्र शाहपुर विधानसभा का मांच है जहां पोलिंग पार्टी को 7 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। जिला लाहौल-स्पीति के अन्तर्गत 76-काजा में 811 जबकि 33-लिंगर मतदान केन्द्र में मात्र 38 वोटर हैं। कुल्लू जिला के मनाली विधानसभा क्षेत्र के सबसे अधिक मतदाता वाला चिचोंगा मतदान केन्द्र जहां 1305 मतदाता हैं ,जबकि इसी जिला के बंजार विधानसभा क्षेत्र के तिलगा में सबसे कम 89 मतदाता हैं। कुल्लू का रसोल और बंजार का 58  जिला मंडी के सुन्दरनगर विधानसभा क्षेत्र के चौगान में सबसे ज्यादा 1403 वोटर है। जबकि सबसे कम जारठू मतदान केन्द्र पर मात्र 95 मतदाता हैं। इसी विधानसभा क्षेत्र का मंझागण सबसे दूर वाला मतदान केन्द्र है, जहां पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी को 10 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। हमीरपुर जिला के हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र के स्वाहल मतदान केन्द्र पर सबसे ज्यादा 1283 वोटर है जबकि बड़सर विधानसभा क्षेत्र के बल्ह ढटवालियां मतदान केन्द्र पर सबसे कम 105 मतदाता हैं। जिला ऊना के ऊना मतदान केन्द्र पर सबसे ज्यादा 1404 मतदाता हैं। जबकि सबसे कम चिन्तपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के सूरी में औसतन 246 मतदाता हैं। बिलासपुर जिला के श्रीनैणादेवी जी विधानसभा क्षेत्र के-बैहल में सबसे ज्यादा 1281 मतदाता हैं, जबकि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र का धाड़त केन्द्र में सबसे कम 835 मतदाता वाला केन्द्र है। सोलन जिला का दून विधानसभा क्षेत्र बद्दी में 1385 और कसौली विधानसभा क्षेत्र के गलयाणा में सबसे कम 105 मतदाता हैं। सिरमौर जिला के पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र के पांवटा में सबसे ज्यादा 1423 मतदाता है ,जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र के नागली मतदान केन्द्र में सबसे कम 112 मतदाता हैं। यहां के शिलाई विधानसभा क्षेत्र के बोबड़ी मतदान केन्द्र तक पोलिंग पार्टी को पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है।