Such statements of the opposition are derogatory

Editorial: विदेश की धरती पर विपक्ष के ऐसे बयान अपमानजनक

Edit2

Such statements of the opposition are derogatory

Such statements of the opposition are derogatory कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेश की धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में ऐसे बयान दिए हैं जिनसे देश के सम्मान को ठेस पहुंची है। इसके अलावा उन्होंने देश की न्याय प्रणाली और विधानपालिका का भी मजाक उड़ाया है। कांग्रेस नेता का यह कहना सर्वथा अनुचित है कि वे ऐसे पहले सांसद हैं, जिन्हें मानहानि के मामले में इतनी बड़ी सजा मिली है। राहुल गांधी लोकसभा से अपनी सदस्यता जाने के मामले में बोल रहे थे। क्या यह देश की न्याय प्रणाली का विदेश की धरती पर अपमान नहीं है कि वे देश के अंदर बीते एक घटना का दुखड़ा विदेश में जाकर जाहिर कर रहे हैं।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और उसके यहां न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका सभी स्वतंत्र हैं, हालांकि राहुल गांधी के बयानों से यह प्रतीत हो रहा है, जैसे वे यह उलहाना दे रहे हैं कि भारत में राजनीतिक दखल से उनके साथ ऐसा कराया गया। उन्होंने यह भी कहा है कि देश में पूरा विपक्ष लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कब्जा है। क्या राहुल गांधी के यह बयान अपने आप में विरोधाभासी नहीं हैं, भारत में कितना लोकतंत्र है, इसी का उदाहरण है कि राहुल गांधी अमेरिका में बैठकर अपने देश की सरकार और अन्य संस्थाओं की आलोचना कर सकते हैं।

 बीते दिनों देश की नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का विपक्ष ने कांग्रेस के नेतृत्व में बहिष्कार किया था, हालांकि राहुल गांधी ने इसका जिक्र करना उचित नहीं समझा। देश में कांग्रेस ने हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है, जिससे उत्साहित पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए नए समीकरण तैयार करने में जुटी है, हालांकि जिस लोकतंत्र में रहकर वह यह सब कर रही है, उसकी बुनियाद को उसके नेता विदेश की धरती पर जाकर कमजोर करने का काम कर रहे हैं।

इससे पहले भी अनेक अवसरों पर ऐसा हो चुका है। बेशक, राहुल गांधी को भी आलोचना का हक है, लेकिन न जाने क्यों कांग्रेस यह प्रतीत करवाने में पीछे नहीं रहती कि उसके सत्ता में नहीं होने से देश को कितना नुकसान हो गया है और देश पिछड़ गया है। उन्होंने मुस्लिम समाज की तुष्टिकरण के प्रयास में ऐसा बयान दिया है, जिसकी देशभर में आलोचना हो रही है।

उन्होंने कहा कि देश में आज जो मुस्लिमों के साथ हो रहा है, वैसा 1980 के दशक में दलितों के साथ होता था। हालांकि इस दौरान राहुल गांधी ने यह गौर नहीं किया कि अस्सी का दौर कांग्रेस का ही था और उस समय देश और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ही सरकारें थी। तब क्या राहुल गांधी भी यह मानते हैं कि कांग्रेस की सरकारों के वक्त दलितों के साथ बुरा होता था। वास्तव में देश में दलितों की स्थिति हमेशा से चिंता का विषय रही है लेकिन इसका जिक्र अब नए स्वरूप में विदेश की धरती से हो रहा है तो यह भी उल्लेखनीय बात है।

वास्तव में इस बयान पर व्यापक बहस की जरूरत है। क्या आज हकीकत में मुस्लिम समाज के साथ देश में अन्याय हो रहा है। देश में जब सांप्रदायिक दंगे होते हैं तो उसमें विभिन्न समाज के लोग ही संलिप्त मिलते हैं। चाहे वह दिल्ली के दंगे हों या फिर मध्य प्रदेश, राजस्थान में आगजनी। टीवी पर बहस के दौरान धार्मिक टिप्पणी के विवाद में जिस प्रकार राजस्थान में एक टेलर की हत्या कर दी गई और महाराष्ट्र में एक नागरिक को मौत के घाट उतार दिया गया वह धार्मिक कट्टरता की हद थी, लेकिन इसे किसी धर्म या मजहब के साथ अन्याय के रूप में पेश नहीं किया जा सकता।

राहुल गांधी को मुस्लिम समाज के तुष्टिकरण के लिए अन्य विषयों पर चर्चा करनी चाहिए। कर्नाटक चुनाव में मुस्लिम समाज के संबंध में अनेक मुद्दे उठे थे, लेकिन बाद में वे किसी एक पार्टी के पक्ष में जाते नजर आए। देश में प्रत्येक नागरिक को समान नजर से देखा जाना चाहिए और उनका सम्मान होना चाहिए।

हालांकि कांग्रेस नेताओं ने दलित और मुस्लिम वर्ग को अपनी तरफ लाने के प्रयास में हर वह कदम उठाया है, जोकि वे उठा सकते थे। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी का भगवान के साथ तुलना करके भी मजाक उड़ाया है, देश के प्रमुख कार्यकारी को क्या एकल निर्णय लेने का हक नहीं है, एक जमाने में राजनीतिकों की मंडली ऐसे निर्णय लेती थी, लेकिन अब एक राजनेता ही ऐसा कर रहा है तो यह भी विपक्ष के लिए परेशानी की वजह बन गई है। वास्तव में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अब व्यक्तिगत लड़ाई में बदलती जा रही है, जहां पर कटुता के अलावा कुछ नहीं है। राजनीतिक दलों को देश की मर्यादा और उसके सम्मान का हर जगह ख्याल रखने की जरूरत है, चाहे फिर वह विदेश की धरती ही क्यों न हो। 

यह भी पढ़ें:

Editorial: पीयू को हरियाणा की ग्रांट से युवाओं का भविष्य होगा बेहतर

यह भी पढ़ें:

Editorial:समाज को मरने नहीं देनी चाहिए अपनी संवेदनशीलता