Prime Minister reply on the opposition

Editorial : विपक्ष पर भारी प्रधानमंत्री का जवाब, जनता देख रही सब कुछ

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Heavy Prime Minister's reply on the opposition

Heavy Prime Minister's reply on the opposition प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्ष का आरोप होता है कि वे जवाब नहीं देते। हालांकि पिछले दो रोज में मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा में जिस प्रकार विपक्ष के हर आरोप का सिलसिलेवार जवाब दिया है, वह बताता है कि प्रधानमंत्री की नजर सिर्फ देश के विकास पर है और वे विपक्ष की ओर से उछाले जाने वाले आरोपों में फंस कर अपनी ऊर्जा और समय को नष्ट नहीं करना चाहते।

यह किसी राजनीतिक की उच्च कोटि की क्षमता है कि वह अपने लक्ष्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। हालांकि भारत में पिछले कुछ वर्षों के दौरान राजनीति और समाज में अजीब बेचैनी देखने को मिल रही है, जब यह आरोप लगाया जाता है कि सत्ता किसी व्यक्ति विशेष के हाथों में केंद्रित हो गई है और उनके द्वारा समाज को भी अपने तरीके से नियोजित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi को लोकसभा और राज्यसभा में बोलते हुए सुनना अपने आप में एक विस्मयकारी घटना थी। चुनावी रैलियों में उन्हें बोलते हुए सुना जाता है, जब वे रह-रहकर अपने विरोधियों पर तीखे हमले करते हैं, लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के सवालों के उन्होंने जिस प्रकार से जवाब दिए हैं, वह उनके रणनीतिक कौशल और अपनी सरकार के प्रखर बचाव के अंदाज को दर्शाता है। आखिर विपक्ष के इस आरोप कि सत्ताधारी दल ने देश का विकास ठप कर दिया है, कितना गंभीर है।

कांग्रेस समेत दूसरे विरोधी राजनीतिक दल निजी क्षेत्र के कारोबारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी पर वार कर रहे हैं। आरोप तो यहां तक लगाए जाते हैं कि इन कारोबारियों के माध्यम से मोदी अपना भला करने में जुटे हैं। हालांकि ऐसे आरोपों की धज्जियां तब उड़ जाती हैं, जब प्रधानमंत्री उनका एक-एक करके जवाब देते हैं। यह भी खूब रहा कि जब प्रधानमंत्री राज्यसभा में बोल रहे थे तो विपक्ष के सांसद सिर्फ हल्ला करते रहे। अपने पूरे भाषण को प्रधानमंत्री ने इस हल्ले के बीच ही पूरा किया। क्या देश का विपक्ष प्रधानमंत्री को सुनने का इतना भी धीरज नहीं रखता?

प्रधानमंत्री मोदी आज विपक्ष के निशाने पर हैं। अगले वर्ष जब लोकसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं, तब यह तकरार और ज्यादा तीखी हो गई है। हालांकि इतना तय है कि अगले वर्ष भी प्रधानमंत्री मोदी ही तमाम विपक्ष के सामने प्रमुख विरोधी होंगे। यह तब है, जब खुद मोदी ने विपक्ष के अपने खिलाफ शोर और नारों को उनकी बौखलाहट करार दिया है। सवाल यही है कि लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन क्या वास्तव में उसके पास कुछ ऐसा है, जिसे सुना जाए।

उद्योगपति अदाणी मामले में सरकार की कोताही का कथित पर्दाफाश होने से बल्लियों उछल रहा विपक्ष आजतक एक भी ऐसा सबूत नहीं जुटा पाया है, जिससे यह पता चले कि वास्तव में ही अदाणी समूह पर भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी ने कोई कृपा दिखाई है। बदलते दौर में पब्लिक सेक्टर खुद को प्रोफेशनली मैनेज करने में कामयाब नहीं रहा है। ऐसे में निजी सेक्टर अपने आप आगे बढ़ता गया है, यह उन कारोबारियों के साहस और उनकी ओर से चुनौतियों को अपनाने से संभव हुआ है। तब उन पर इसके आरोप लगाना कि वे देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं, अनुचित प्रतीत होता है।

लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष की ओर से मोदी पर आरोप ही ज्यादा लगाए गए थे। जबकि इस बार का आम बजट संतुलित और देश के दीर्घगामी विकास की नजर से तैयार किया गया है। यह भी कितना आश्चर्यजनक है कि जब अगले वर्ष लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, तब भी आम बजट को लोकलुभावन नहीं बनाया गया। क्या इसे मौजूदा सरकार की देश के प्रति जिम्मेदारी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

आखिर हर विषय में राजनीतिक स्वार्थ क्यों भांपा जाता है। अगर एक राजनीतिक दल का मंतव्य महज वोट हासिल करके सत्ता में बने रहने का हो तो वह तमाम वे प्रयास करेगी जिससे जनता उनके प्रति सम्मोहित रहे। लेकिन मोदी सरकार ने उन विषयों को भी छुआ है, जोकि अभी तक देश के दूरगामी विकास की नजर से अछूते थे। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी पूरे विश्वास के साथ यह कहते हैं कि उनके पास 140 करोड़ देशवासियों का रक्षा कवच है।

वहीं इसके बाद राज्यसभा में उनका यह अंदाज पूरे विपक्ष को चुनौती है कि पूरा देश देख रहा है कि एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही खिलेगा। दरअसल, यह नए जमाने की राजनीति है, जिसका आगाज प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं। वह चाहे सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष, उसे जनता की कसौटी पर खरा उतरना हो, उसे परफॉर्म करना होगा। विपक्ष महज आरोप लगाकर भाग नहीं सकता, उसे भी आरोपों का जवाब देना होगा।   

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