Attack on Chandigarh police audacious

Editorial : चंडीगढ़ पुलिस पर हमला दुस्साहसिक, दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई

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Attack on Chandigarh police audacious

Attack on Chandigarh police audacious बंदी सिखों और अन्य मांगों को लेकर धरना दे रहे कौमी इंसाफ मोर्चा के सदस्यों का चंडीगढ़ पुलिस पर हमला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुस्साहसिक घटना है। प्रदर्शनकारी पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास पर जाकर प्रदर्शन करना चाहते थे, इससे पहले वे मोहाली-चंडीगढ़ की सीमा पर धरना दे रहे थे। चंडीगढ़ में लंबे अंतराल के बाद ऐसी घटना देखने को मिली है, जब संगठित पुलिस असहाय होकर तलवारों, बरछों, डंडों के वार झेलता रहा।

इस वारदात में चंडीगढ़ पुलिस के 60 जवान और अधिकारी घायल हो गए। यह कितनी हैरान करने वाली बात है कि चंडीगढ़ पुलिस को प्रदर्शनकारियों के इरादों की भनक तक नहीं लगी और उन्हें रोकने के लिए कुछ भी ठोस कदम नहीं उठाए जा सके। ऐसी रिपोर्ट है कि पुलिस अधिकारियों को लाठी चार्ज करने के आदेश देने तक का मौका नहीं मिला। क्या इसे चंडीगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली की भयंकर भूल नहीं कहा जाना चाहिए। आखिर प्रदर्शनकारी जिनका एकमात्र मकसद चंडीगढ़ में घुस कर उत्पात मचाना था, जिनके हाथों में तलवारें, डंडे थे क्या उन्हें कहने-समझाने मात्र से रोका जा सकता था।
 

पंजाब में सिख कैदियों की रिहाई का मामला The issue of the release of Sikh prisoners in Punjab अब एक मुद्दा बन चुका है। बीते माह गणतंत्र दिवस पर पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू की समय पूर्व रिहाई का मामला खूब उठा था, लेकिन पंजाब सरकार ने रिहाई के आदेश नहीं दिए। अब समझा जा सकता है कि राज्य में सिख बंदियों की रिहाई के लिए किस प्रकार सरकार से लोहा लेने के लिए प्रदर्शनकारी तैयार हैं। यानी उन्हें हरहाल में बंदियों की रिहाई चाहिए, चाहे इसके लिए फिर पुलिस जवानों का खून क्यों न बहाना पड़े। कौमी इंसाफ मोर्चा नामक इस संगठन से यह पूछा जाना चाहिए कि जब वह बंदी सिखों की रिहाई के लिए इंसाफ मांग रहा है तो क्या इस प्रकार नाइंसाफी पर उतरेगा।

यह भी सामने आया है कि मोर्चा ने कहा है कि उन पर पत्थर फेंका गया, जिसके बाद वे उग्र हुए। हालांकि यह सफाई बेतुकी और समझ से परे है। अगर वे शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना चाहते थे तो वही करते। वैसे भी पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास तक जाने की इजाजत उन्हें कैसे दी जा सकती है, यह चंडीगढ़ की कानून और व्यवस्था का मामला है।

यह तय है कि प्रदर्शनकारी योजनाबद्ध होकर चंडीगढ़ में घुसना चाहते थे, उनके पास घोड़े थे, जिनसे उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस के जवानों को रौंद दिया। उन्होंने खुले हाथों से तलवारें भांजी हैं, पुलिस कर्मी जान बचाकर भागने लगे तो हमलावर भी उनके पीछे दौड़े। जो भी पुलिस कर्मी सामने दिखा, उसे ही पीटा। डीएसपी की बाजू पर डंडा मारा। पुलिस की गाडिय़ां तोड़ दी।  
 

गौरतलब है कि इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस, पंजाब पुलिस पर आरोप मढ़ रही है कि उसे प्रदर्शनकारियों के संबंध में इनपुट नहीं मिले वहीं मोहाली पुलिस ने उन्हें अपनी सीमा में रोकने की कोशिश नहीं की। खुद चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी का यह बयान आया है कि चंडीगढ़ पुलिस की ओर से इस जानकारी को पंजाब पुलिस के साथ शेयर किया जा रहा था कि प्रदर्शनकारी चंडीगढ़ आ रहे हैं, बावजूद इसके उन्हें रोका नहीं गया। डीजीपी का यह भी कहना है कि प्रदर्शनकारियों को बता दिया गया था कि शहर में धारा 144 लागू है और उन्हें प्रवेश करने नहीं दे सकते। हालांकि पंजाब पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों की हर मूवमेंट की जानकारी चंडीगढ़ पुलिस को दी जा रही थी, पंजाब के डीजीपी का कहना है कि इस मामले में कोई सिक्योरिटी फेल्योर नहीं हुआ है, ऐसे मोर्चे होते रहते हैं, कभी-कभार भीड़ उग्र भी हो जाती है। मौके पर पंजाब पुलिस भी तैनात थी, उनके भी 11 मुलाजिम जख्मी हुए हैं।

दरअसल, यह सब ब्लेम गेम है, जोकि अकसर ऐसे हादसों के बाद सामने आते हैं। जरूरत इसकी है कि चंडीगढ़ पुलिस उन लापरवाहियों का पता लगाए, जोकि उसकी तरफ से हुई हैं। यह सामान्य झड़प नहीं थी, अपितु सुनियोजित हमला था जोकि एक संगठित बल पर किया गया। अगर पुलिस बल ही खुद की रक्षा नहीं कर पाएगा तो फिर जनता की क्या करेगा? किसी को भी कानून से ऊपर उठने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।

वहीं पंजाब पुलिस Punjab Police भी अपनी गलती को स्वीकार करे, संभव है उसकी ओर से प्रदर्शनकारियों के प्रति नरम रूख रखा गया हो, जिससे वे अनियंत्रित हुए। अगर उसी समय उन पर कड़ी कार्रवाई होती तो चंडीगढ़ की तरफ इस तरह उग्र होकर नहीं बढ़ते। पंजाब में प्रदर्शनकारियों का उग्र होना मामूली बात हो गई है। शांतिपूर्वक तरीके से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करना एक बात है लेकिन उग्र होकर कानून की धज्जियां उड़ाना पूरी तरह दूसरी। इस मामले में कानून को अपना काम करना चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। 

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