Editorial: प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन है देश की आज की आवाज
- By Habib --
- Tuesday, 13 May, 2025

Address by Prime Minister Modi
Prime Minister Modi address is the voice of the country today: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में जो बातें कही हैं, वे नए भारत की प्रस्तावना समझी जानी चाहिए। यह बात ध्यान देने योग्य है कि बीते करीब 12 वर्षों में देश की विदेश और उसकी सामरिक नीति बदल चुकी है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो अद्भुत धैर्य और साहस दिखाया है, वह उसे आज पूरे विश्व में सभी से अलग कर रहा है। 140 करोड़ से ज्यादा वासियों के देश ने अपने घोषित और अघोषित दुश्मनों को बता दिया है कि अब भारत बदल चुका है। बेशक, गांधी उसकी आत्मा का हिस्सा हैं, लेकिन अब वह नेता जी सुभाष की भाषा भी बोलने लगा है।
यह वास्तव में जरूरी था कि पाकिस्तान जैसे आतंकी देश को उसी की भाषा में या फिर कहें कि उससे कहीं ज्यादा परिष्कृति शैली में जवाब दिया जाए। और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एवं उसके बाद भारत की तीनों सेनाओं और सुरक्षा बलों ने दुश्मन को जो संदेश और सबक दिया, वह प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का सार था। बीते कुछ समय के दौरान परमाणु शक्ति संपन्न होने के नाम पर जिस प्रकार का शिगूफा पाकिस्तान ने छेड़ा हुआ था, उसे भी भारत ने खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग अब नहीं बर्दाश्त नहीं होगी, बेहद उचित जवाब है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा और भारत ने उनके आतंक के हेडक्वार्टर उजाड़ दिए, सर्वथा उचित टिप्पणी है। इन हमलों के दौरान भारतीय सेनाओं ने पाक में आतंकियों के 100 से अधिक खूंखार आतंकियों को मार गिराया है। आखिर आज जीत का झूठ बोलकर जश्न मनाने में जुटे पाकिस्तान को इसका अंदाजा कब था कि एकाएक यह सब हो जाएगा। इससे पहले भी भारत पर आतंकी हमले हुए हैं, लेकिन उस दौरान बेहद सीमित कार्रवाई अंजाम दी गई। पुलवामा अटैक के बाद भारत ने पीओके के आतंकी ठिकानों पर ही कार्रवाई की थी, लेकिन पहलगाम हमले के बाद तो पूरी तस्वीर बदल गई।
इसका अंदाजा सेनाओं को था कि पाकिस्तान की ओर से हताशा में कदम उठाया जाएगा, हालांकि इसका जवाब देने को सरकार और सेनाएं तैयार थी। उनकी तत्परता ने पाकिस्तान और उसके आकाओं को भयभीत कर दिया, अगर पाकिस्तान चाहता तो यह युद्ध आगे भी जारी रखा जा सकता था, लेकिन इस दौरान उसका नक्शा संभव है, कुछ अलग ही तरह का हो जाता। प्रधानमंत्री मोदी ने इसलिए यह बात कही है कि पाक ने भारत ने बुरी तरह पिटने के बाद दुनिया में गुहार लगाई और उसी के जैसे उसके मित्र उसकी मदद को आगे आए। यह पाक की जनता का दुर्भाग्य है कि दुनिया के विकसित देशों ने इस बात को बखूबी समझा है कि वह किस प्रकार आतंक का पोषक बना हुआ है, जबकि भारत ने न केवल अपने नागरिकों अपितु पूरी दुनिया में अमन-चैन और खुशहाली के बीज बोए हैं।
इस घटनाक्रम के दौरान भारत ने पाक की तरफ बहने वाली नदियों के पानी को रोक दिया है, वहीं व्यापार-कारोबार को भी पूरी तरह से बंद कर दिया है। आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके पाकिस्तान के लिए यह बहुत बड़ी सजा है। इसी के जवाब में पाक के एक युवा मंत्री ने कहा था कि उनका पानी रोका गया तो खून बहेगा। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी ने इसका बेहद सार्थक जवाब दिया है, जब उन्होंने यह कहा कि पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते तो पाकिस्तान के रक्तपाती मानसिकता के हुक्मरानों को इसका जवाब मिल गया होगा कि भारत की सोच कहां है और वे आज भी कहां रहकर जी रहे हैं।
पाकिस्तान के अंदर मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन होता है, उसके अंदर एक धर्म के अलावा अन्य किसी धर्म का कोई अस्तित्व नहीं है। उसके अंदर संस्कृति, साहित्य और रंग दम तोड़ चुके हैं। अब केवल उसकी सेना है और सेना के पयादों के रूप में काम करने वाले हुक्मरान हैं, जिन्हें केवल इसी तरह की बातें सूझती हैं कि जिन नदियों में कल कल करता पानी बहना चाहिए, वहां वे खून बहाने की बात करते हैं। निश्चित रूप से आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर अब देश का न्यू नॉर्मल है। अभी तक अपने हक के संबंध में नरमी दिखाने का रवैया अपनाते रहे देश ने अगर अपनी आंखें तरेरी हैं, तो दुश्मन चार कदम नहीं अपितु पूरी तरह पलट चुका है। एक वायुसेना अधिकारी ने रामायण की उस पंक्ति का सही ही प्रवचन किया था कि भय बिनु प्रीत न होई। वास्तव में पाकिस्तान से अब अंतिम बात करने का यही वक्त है। उसे समझा दिया गया है कि बात होगी तो आतंकवाद और पीओके पर होगी। प्रधानमंत्री मोदी देश के स्वावलंबन का वह साहसी चेहरा हैं, जिन्होंने देश को अपरिमित हर्ष और उल्लास से भर दिया है। इस कामयाबी का श्रेय देश की तीनों सेनाओं, सुरक्षा बलों और कर्तव्यबद्ध केंद्र एवं जनता को जाता है।
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