The world is watching the character of Pakistan, salute to the courage of India

Editorial: पाक का चरित्र दुनिया देख रही, भारत की दिलेरी को सैल्यूट

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The world is watching the character of Pakistan, salute to the courage of India

The world is watching the character of Pakistan, salute to the courage of India: उलटा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत यहीं साबित हो रही है, जब आतंकवाद का पोषक और आतंकियों का सरगना होकर पाकिस्तान दुनिया से कह रहा है कि भारत उस पर स्ट्राइक कर रहा है। जबकि सनातन सत्य यह है कि एक हद के के बाद जुल्म को सहना अपराध हो जाता है। पहलगाम में अपने 26 निर्दोष और इससे पहले अनेक नागरिकों की हत्याओं का बदला लेने के लिए भारत ने अगर अब कदम उठाया है तो पाकिस्तान बिललिबाने लगा है। यह कितनी दुष्टता है कि एक दुष्ट अपने निर्दोष होने की गवाही मांग रहा है, जबकि भारत में अब तक हुए जितने भी युद्ध, मुंबई में ताज हमला, संसद पर हमला, पुलवामा अटैक, कारगिल वार और अन्य तमाम ऑपरेशन यह बताने को काफी हैं कि नापाक पाक किस हद तक इंसानियत का दुश्मन बन चुका है।

वास्तव में युद्ध को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि गोली न क्षेत्र देखती है, न धर्म, न जाति और न ही अवस्था। उसका काम इंसानी शरीर को भेदना है और वह यही करती है। निश्चित रूप से इस कथन के संदर्भ में यह भी समझे जाने की जरूरत है कि अपनी आत्मरक्षा करना एक देश का धर्म है। भारत सदियों से इसी परंपरा का निर्वाह करते आया है, अगर पहलगाम में आतंकियों ने मौत का खेल नहीं खेला होता तो आज संभव है स्थिति पहले की तरह चल रही होती। लेकिन केंद्र सरकार ने देश की इस पुकार को सुना है कि पाकिस्तान को उसके किए की सजा मिलनी चाहिए। एक सरकार के लिए अपने देश की संप्रभुता और उसकी अखंडता को कायम करना धर्म होता है, ऐसे में पाकिस्तान पर कार्रवाई उचित है।

गौरतलब है कि बृहस्पतिवार की रात को पाकिस्तान की ओर से भारतीय नागरिक इलाकों में भारी गोलाबारी की गई है। हालात ऐसे हो गए हैं कि चंडीगढ़ में भी आपातकाल के सायरन बज रहे हैं। पूरा राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर आतंकियों ने अपनी जद में ले लिया है और गोलाबारी कर रहे हैं। इससे पहले भारतीय सेना ने पाक में घुसकर उसके आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया था, अगर सेना चाहती तो उसी समय सिविल इलाकों में भी बम फोड़ कर वहां से सुरक्षित निकल सकती थी, लेकिन भारत श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों वाला देश है और यह पूरा विश्व जानता है।

धर्म, नैतिकता और न्याय इसके आधार हैं। वह अपने लिए हो या फिर दुश्मन के लिए, भारत अपनी नीति को कभी नहीं भूलता। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तमाम कारणों से आलोचना होती है, लेकिन उनके पंचशील के सिद्धांत में दुश्मन के प्रति नरमी को कमजोरी नहीं माना जा सकता, अपितु यह भारतीय होने का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कायम करने की प्रणाली थी। बेशक, शत्रु को यह बात समझ नहीं आती, तब उसके लिए वही प्रक्रिया अपनानी पड़ती है, जिसे वह भलीभांति जानता और समझता है। इस संघर्ष से पहले पाकिस्तान को तमाम बार समझाने की कोशिश की गई है कि अगर उसने कोई हरकत की तो इसकी सजा को वह खुद तय कर सकता है। हालांकि अपने सिरफिरे हुक्मरानों को फिल्मी जीवन जीने वाली पीढ़ी की बदसोच के प्रभाव में आकर भारत पर हमले की गुस्ताखी कर दी है। लेकिन यह भारतीय पक्ष की प्रौढ़ता, उसकी सुविज्ञता, उसकी सक्षमता और उसकी दूरदृष्टि का प्रतिफल है कि आज भारत सुरक्षित है और शत्रु की कुटिलता को उसी की जबान में जवाब दे रहा है।  

मालूम हो, कुछ समय पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान अगर भारत के साथ अच्छे संबंध रखता तो उसे भारत की ओर से न केवल आर्थिक पैकेज मिलता अपितु पाक को किसी अन्य देश से मदद की जरूरत ही नहीं रह जाती। हालांकि पाक की ओर से भारत से अच्छे संबंध कायम करने के बजाय आजादी के बाद से नफरत और द्वेष ही पोषित किया जा रहा है। निश्चित रूप से सरहदें कभी अच्छी या बुरी नहीं होती, लेकिन उनके पार जो रहते हैं, वे अच्छे या बुरे होते हैं।

एक समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। उनका यह कथन सर्वथा उचित है और आज के समय में पाकिस्तान और चीन जैसे देशों पर सही बैठता है। दरअसल, कोई दूसरे का बुरा करके अपना भला नहीं कर सकता। यह बात अब पाकिस्तान पर सही बैठती है। पाकिस्तान का साथ अब वे मुस्लिम देश भी नहीं दे रहे, जोकि एक समय उसे पलकों पर बैठाते थे। इस जंग की शुरुआत पाकिस्तान ने की है, लेकिन इसका समापन भारत के द्वारा होना तय है। 
 

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