Modi foreign trip

Editorial: मोदी की विदेश यात्रा से भारत की कीर्ति में लगे चार चांद

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Modi foreign trip

Modi foreign trip प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका, मिस्र यात्रा पश्चिमी देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों की शुरुआत है। अमेरिका ने भारत के साथ अपने संबंधों को जिस प्रकार से विस्तार दिया है और प्रधानमंत्री मोदी का जिस प्रकार से स्वागत-सत्कार किया है, वह यह बताता है कि अब भारत आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से वैश्विक स्तर पर विकसित देशों के मुकाबले में खड़ा हो चुका है और भविष्य में यह ऊंचाई और बढ़ने वाली है।

वास्तव में राजनीतिक नेतृत्व का भरोसा ही यह यकीन दिलाता है कि कोई देश या समाज आगे बढ़ रहा है। बीते 9 वर्षों के दौरान भारत में प्रगति का जो दौर शुरू हुआ है, वह इस देश के भाग्य को बदलने वाला है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसका अभिप्राय यह है कि यहां सरकारों के चेहरे बदलते रहेंगे, लेकिन सबसे बड़ी बात यही है कि जो भी सरकारें आएंगी उन्हें भविष्य में इसी गति को बनाए रखना होगा और विश्व स्तर पर देश का इसी प्रकार नेतृत्व करते रहना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा बेहद सफल रही है, इस दौरान अमेरिकी सरकार से जहां युद्धक विमानों के कलपुर्जों को लेकर समझौता हुआ वहीं कंपनियों ने भारत में निवेश की घोषणा की है। अमेजॉन, गूगल, माइक्रोन, अप्लाइड मैटेरियल्स जैसी कंपनियों ने भारत में निवेश की घोषणा की है। अमेरिकी कंपनियों की ओर से भारत में 6.5 अरब डॉलर के निवेश की वृद्धि हुई है।

मोदी की अमेरिका यात्रा और व्यापारिक संबंधों में प्रगाढ़ता ने दोनों देशों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नई ऊर्जा प्रदान की है। यही वजह है कि उद्योग मंडल एसोचैम का कहना है कि दोनों देशों के बीच मित्रता की इस नई शुरुआत ने अपार अवसरों का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। निश्चित रूप से इस यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंधों ने अहम मोड़ लिया है। इससे दोनों उभरती अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था में रणनीतिक कौशल के साथ सबसे प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के रूप में सामने आएंगे। गौरतलब है कि विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में भरोसा लगातार बढ़ रहा है और अभी तक 59923 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आ चुका है।

इस यात्रा के जरिये भारत ने एक और मकसद पूरा किया है। अमेरिका के साथ भारत के प्रगाढ़ संबंधों के बीच पाकिस्तान और चीन को जो संदेश मिला है, वह निर्णायक है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और वह राजनीतिक भंवर में है। पाक, भारत की तुलना में वर्ष 1947 की उस दहलीज पर है, जब दोनों में विभाजन हुआ था। अब पाकिस्तान अगले सौ वर्षों में भी भारत के मुकाबले खड़ा होने की स्थिति में नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त बयान जारी करके यह बता दिया है कि अमेरिका का रुख अब भारत के प्रति ज्यादा है। एक समय पाक अमेरिका की गोद में बैठा होता था, लेकिन अब उसी कंगाल पाक को अमेरिका ने भी छिटक दिया है।

भारत और अमेरिका ने साझे बयान में पाकिस्तान को सख्त हिदायत दी है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका है। यह भी खूब है कि साझा बयान में पाकिस्तान का नाम लेकर उसे हिदायत दी गई है। दक्षिण एशिया में इस समय आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है और उसकी इन हरकतों को रोकने के लिए अमेरिका का सीधे दखल निश्चित रूप से उसके कुटिल मंसूबों पर अंकुश लगाएगा।

  मोदी-बाइडेन के साझा बयान को पाक मीडिया ने भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना है, यही राय अंदरखाने पाक सरकार की भी हो सकती है। मालूम हो, बीते समय में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भी अमेरिका की यात्रा की थी, लेकिन उसे कोई महत्व नहीं मिला था। इस यात्रा के जरिये भारत-अमेरिका ने चीन के बढ़ते वर्चस्व को भी सीमित करने का संदेश दिया है। बेशक दोनों देशों के प्रमुखों ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन विभिन्न बयानों में चीन को यह जताया गया है कि उसकी विस्तारवादी सोच उचित नहीं है। साझा बयान में कहा गया है कि भारत-अमेरिका कानून सम्मत वैश्विक व्यवस्था का सम्मान करते हैं। इसका अभिप्राय यही है कि प्रत्येक देश अपने पड़ोसी देश की सीमाओं का सम्मान करे। बीते दिनों में चीन ने जहां भारत की सीमाओं का उल्लंघन किया है वहीं अरुणाचल प्रदेश पर भी अपना हक जताया है।

भारत के लिए यह भी अति सम्मानजनक है कि मिस्र ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ द नील से नवाजा। किसी देश की ओर से दूसरे देश के प्रमुख को इस तरह का सम्मान प्रदान करना यह बताता है कि वह देश संबंधों को ज्यादा से ज्यादा प्रगाढ़ करना चाहता है। यह विश्व में भारत की बढ़ती धमक और चमक का परिचायक है। देश की यह कीर्ति यूं ही बढ़ती रहनी चाहिए।   

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