खट्टर सरकार की दिल्ली को डूबोने की साजिश ने हरियाणा के सैकड़ों गांवों को नुकसान पहुंचाया : अनुराग ढांडा

खट्टर सरकार की दिल्ली को डूबोने की साजिश ने हरियाणा के सैकड़ों गांवों को नुकसान पहुंचाया : अनुराग ढांडा

Conspiracy to Drown Delhi

Conspiracy to Drown Delhi

यमुनानगर के 10, करनाल के 34, पानीपत के 24 व सोनीपत के 22 गांव गंदी राजनीति का शिकार हुए : अनुराग ढांडा

दिल्ली की तरफ छोड़े गए पानी की वजह से करनाल, पानीपत और सोनीपत में तटबंध टूटे : अनुराग ढांडा

हरियाणा में 7 जगह तटबंध टूटे, जबकि यूपी की तरफ कोई तटबंध नहीं टूटा : अनुराग ढांडा

9 सालों से तटबंधों की मरम्मत न होने के चलते टूटे यमुना के किनारे: अनुराग ढांडा

आपदा प्रबंधन के लिए अलॉट हुए करोड़ों रुपये कहां खर्च किए, खट्टर सरकार स्पष्टीकरण दे : अनुराग ढांडा

तटबंध टूटने का संबंध अवैध माइनिंग से, जो खट्टर सरकार की सरपरस्ती में जारी : अनुराग ढांडा

मुख्यमंत्री खट्टर ने राजनीतिक द्वेष में दिल्ली को डूबोने की साजिश रची : अनुराग ढांडा

रोहतक/चंडीगढ़, 15 जुलाईConspiracy to Drown Delhi: आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने शनिवार को रोहतक में सोनीपत रोड स्थित जोनल ऑफिस में प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि 9 से 13 जुलाई के बीच इस्टर्न और वेस्टर्न कैनाल में एक बूंद भी पानी रिलीज नहीं किया गया, सारा पानी दिल्ली की तरफ छोड़ा गया। जबकि यूपी की तरफ जाने वाली नहर बिल्कुल सूखी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली को डूबाने के लिए प्राकृतिक आपदा में कृत्रिम तड़का लगा कर आम आदमी पार्टी से दुश्मनी निकालना चाहती थी। लेकिन उसके चक्कर में सीएम खट्टर ने हरियाणा के ही हजारों लाखों लोगों को इस आपदा में धकेल दिया। खट्टर सरकार ने दिल्ली के लिए की गई इस साजिश से हरियाणा के भी सैकड़ों गांवों को नुकसान पहुंचाया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के 13 जिलों के 982 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें यमुना के साथ की बेल्ट में यमुनानगर के 10 गांव, करनाल के 34, पानीपत के 24 और सोनीपत के 22 गांव हरियाणा की इस गंदी राजनीति का शिकार हो गए। जिसके तहत दिल्ली की तरफ सारा पानी छोड़ दिया और दिल्ली में यमुना ने 208.66 रिकॉर्ड स्तर को छुआ, जो पहले कभी नहीं हुआ। पहले कभी भी ऐसी आपदा आई तो पानी को डिस्ट्रीब्यूट कर दिया जाता था। उन्होंने कहा कि भाजपा की दिल्ली को डूबोने की साजिश के चलते पानी छोड़ गया, जिसकी वजह से करनाल, पानीपत और सोनीपत में तटबंध टूट गए।

उन्होंने कहा कि करनाल में तीन जगह, करनाल से पानीपत के बीच में दो जगह और सोनीपत में भी यमुना का दो जगह तटबंध टूट गया। ऐसी स्थिति की वजह यमुना कमजोर के तट थे, जबकि उत्तर प्रदेश की तरफ कोई तटबंध नहीं टूटा। क्योंकि वहां लंबे समय से सरकारों ने उसको मजबूत करके रखा है। लेकिन हरियाणा में जनवरी 2023 में बैठक हुई और 1100 करोड़ रुपये अलॉट किए गए, ताकि बाढ़ न आने के लिए बंदोबस्त किया जाए। बाढ़ आपदा के लिए 2022 में 494 करोड़ रुपये, 2020 में कुरूक्षेत्र में 13 करोड़ रुपये, अंबाला और बरवाला में 45 करोड़ रुपये, करनाल में 80 करोड़ रुपये का बजट दिया गया ताकि बाढ़ जैसी स्थिति न बने। करोड़ों रुपयों का दुरूपयोग कहां किया खट्टर सरकार इसका स्पष्टीकरण दे। 

उन्होंने आरोप लगाया कि जहां जहां ये तटबंध टूटे हैं वहां खुलेआम खट्टर सरकार की आंखों के सामने अवैध माइनिंग होती है। इसमें भाजपा के कई नेता और मंत्रियों के शामिल होने की भी संभावना है। दिन रात खुलेआम अवैध माइनिंग हो रही है लेकिन खट्टर सरकार ने इनपर कभी कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि शिक्षामंत्री के क्षेत्र यमुनानगर में माइनिंग की वजह से तटबंध पर मात्र मिट्टी की एक दीवार रह गई है। तटबंध टूटने का सीधा संबंध अवैध माइनिंग से है जो खट्टर सरकार की सरपरस्ती में चल रही है।

उन्होंने कहा कि सीएम खट्टर राजनीतिक द्वेष में इतने अंधे हो गए थे कि दिल्ली को डूबोने के लिए एक सुनियोजित साजिश रची। हथिनी कुंड बैराज पर 18 गेट हैं, जिनमें से 15 हरियाणा की तरफ खुलते हैं, जिनमें वेस्टर्न कैनाल और मेन स्ट्रीम शामिल है। तीन गेट यूपी की तरफ खुलते हैं। इस तीनों गेटों को बंद रखा गया और वेस्टर्न कैनाल को भी बंद रखा। सारा पानी मेन स्ट्रीम में दिल्ली की तरफ छोड़ दिया। जिसकी वजह से बाढ़ की स्थिति बनी। दिल्ली में आईटीओ बैराज जहां पर पानी को रेगुलेट करने का काम हरियाणा का सिंचाई विभाग देखता है, वहां पर भी पांच गेट जाम थे, जिसकी वजह से वाटरफ्लो सुनिश्चित नहीं हो सका। एडीआरफ और आर्मी को कड़ी मशक्कत के बाद एक गेट खोलने में कामयाबी मिली। यदि ये पांचों गेट खुले होते तो पानी आगे की तरफ रीलिज हो सकता था। उन्होंने कहा कि भाजपा को तकनीकी ज्ञान का अभाव है या लोगों को मुर्ख समझते हैं। हथिनी कुंड बैराज की 1 लाख क्यूसेके की कैपिसिटी है। जब उससे ज्यादा पानी होता है, तब गेट खोले जाते हैं। जब उससे आगे पानी गया तो जब दिल्ली के तरफ के गेट खुल सकते हैं तो यूपी की तरफ इस्टर्न कैनाल और वेस्टर्न कैनाल के गेट क्यों नहीं खुल सकते। 

इस मौके पर प्रदेश सह सचिव डॉ. अनिल रंगा, जसवंत अंबेडकर, डॉ. परिमल, साहिल मग्गू, करण सिंह धनखड़, रविंद्र जाखड़, अरुण कटारिया, दुष्यंत रंगा और राम प्रकाश सुतवाल मौजूद रहे।

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