It is necessary to reveal the truth of Gyanvapi

Editorial: ज्ञानवापी का सच सामने आना जरूरी, संशय के हटें बादल

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It is necessary to reveal the truth of Gyanvapi

It is necessary to reveal the truth of Gyanvapi वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सच आखिर कैसे उजागर होगा। उस जगह पर मुस्लिम और हिंदू पक्ष के अपने-अपने दावे हैं, एक पक्ष चाहता है कि उस जगह की खोजबीन हो और यह पता लगाया जाए कि आखिर मूल रूप से वह जगह किसके पास थी और वहां पूजा होती थी या फिर इबादत। हाईकोर्ट के आदेश पर मस्जिद परिसर का एएसआई ने वैज्ञानिक सर्वे किया तो मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और माननीय अदालत ने इस पर रोक लगा दी।

बेशक यह रोक दो दिन के लिए ही है, लेकिन यह समझ से परे कि बात हो गई है कि आखिर एक पक्ष उस सच को उजागर होने से क्यों रोक रहा है, जोकि पूरे देश और दुनिया के सामने आना जरूरी है। क्या यह ज्यादा सही नहीं होगा कि विवाद के बजाय उसका समाधान हो। अगर वह जगह कभी मंदिर थी तो क्यों नहीं इसे हिंदुओं को दे दिया जाए और अगर वह जगह मस्जिद का हिस्सा है तो फिर इसे मुस्लिम पक्ष को दे दिया जाए। लेकिन न जाने क्यों संशय के बादल मंडराते रहते हैं और अनोखे दावों के बीच एक पक्ष तमाम सबूतों के प्रकाश में यह बात स्वीकार करने को तैयार नहीं होता कि आखिर उस जगह पर एक मस्जिद कैसे बन गई?

गौरतलब है कि सोमवार को जब एएसआई की टीम ज्ञानवापी में सर्वे कर रही थी, उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत वहां पर किसी तरह की खोदाई पर रोक लगा दी। इस दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि यह संपत्ति 1500 ईसवी से एक मस्जिद के रूप में है। अब इतनी जल्दी क्या है? निश्चित रूप से अदालत के समक्ष अगर इसकी गुहार लगाई जाएगी तो वह इस पर निर्णय जरूर देगी। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। क्या इस दलील में कोई तर्क हो सकता है कि इस जगह को इसी स्थिति में 1500 साल हो चुके हैं और अब इसकी जरूरत नहीं है कि यह पता लगाया जाए कि वहां की वास्तविक स्थिति क्या है।

यह तब है, जब मस्जिद परिसर में सील वजूस्थल को छोडक़र पूरे परिसर का सर्वे कराने की बात कही गई थी। अब सोमवार की सुबह जब सर्वे शुरू हुआ तो शुरुआती 3 घंटे के सर्वे में फीता लेकर पूरे परिसर को नापा गया। 4 स्टैंड कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाए गए। उसमें एक-एक एक्टिविटी रिकॉर्ड की गई। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया। वह सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका को लेकर सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि एएसआई वहां क्या कर रही है। ज्ञानवापी में सर्वे की यथास्थिति क्या है। इस पर हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि आज केवल परिसर का माप लिया गया। लेकिन इस दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से बिल्कुल सपोर्ट नहीं किया गया है। मस्जिद का दरवाजा नहीं खोला गया। अंदर जाने के लिए जगह नहीं दी गई। सिर्फ पश्चिमी द्वार और बाहर-बाहर माप किया गया। तब तक सुप्रीम कोर्ट का स्टे आ गया और काम रोक दिया गया।

गौरतलब है कि सर्वे से पहले जिला प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को विश्वास में लिया था और दोनों पक्षों के वकीलों की मौजूदगी में चर्चा की गई। इस दौरान हिंदू पक्ष ने सर्वे में सहयोग की बात कही लेकिन मुस्लिम पक्ष ने सहयोग से पल्ला झाड़ लिया। इस दौरान कहा गया कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, इसके फैसले के अनुसार आगे चला जाएगा।

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जारी विवाद बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक गंभीर मामला बन चुका है। हिंदू पक्ष के दावे की सच्चाई अब सामने आने लगी है, यह भी कितना अचंभित करने वाला तथ्य है कि शिवलिंग को फव्वारा बना दिया गया और नंदी जोकि हर शिव मंदिर में शिवलिंग की ओर से मुख करके बैठे होते हैं, की भी अनदेखी की जा रही है। हिंदू पक्ष के मुताबिक उसे यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है। सर्वे का परिणाम उनके अनुकूल होगा।  

मालूम हो, ऐसे भी तथ्य हैं कि इससे पहले हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था। ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिह्न मिले। मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। वास्तव में ज्ञानवापी का सच उजागर होना जरूरी है, यह हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द का भी विषय है। प्रश्न यह है कि आखिर किसी को उसका हक क्यों नहीं मिले। अगर सदियों से एक मंदिर परिसर अगर दूसरे धर्म के धर्मावलंबियों के नियंत्रण में है तो उसे क्यों न आजादी मिले। बेशक, यह सब कुछ कानून के दायरे में होना चाहिए लेकिन यह आवश्यक है कि ज्ञानवापी का सच अब सामने आए। 

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