Manipur incident embarrassed

Editorial: मणिपुर की वारदात ने किया शर्मसार, केंद्र-राज्य करें प्रभावी समाधान

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Manipur incident embarrassed

Manipur incident embarrassed पूर्वोत्तर के राज्यों को शांति और खुशहाली का प्रतीक समझा जाता है, लेकिन आजकल मणिपुर में जातीय हिंसा की आग ने यहां मानवता को जहां रसातल में पहुंचा दिया है, वहीं ऐसे घिनौने अपराध सामने आ रहे हैं जोकि रूह को कंपा रहे हैं।  यहां अतिवादियों ने जिस प्रकार दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उन्हें घुमाया और एक अन्य महिला से सामूहिक दुष्कर्म किया है, वह बेहद शर्मनाक और झकझाेर देने वाली वारदात है। यह वारदात मई महीने की है, लेकिन अब इसका वीडियो सामने आ रहा है तो देश को मालूम हो रहा है। इसके बाद पूरे देश में गुस्से का उबाल है और ऐसी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जोकि मणिपुर में हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के प्रति गुस्से को प्रदर्शित कर रही हैं। 

राज्य में मैतेई और कुकी जनजाति के बीच झगड़े हो रहे हैं। 3 मई से लेकर 20 जुलाई की शाम तक 77 दिन हो चुके हैं, इस दौरान 150 लोग मारे जा चुके हैं, सैकड़ों घायल हैं। बंदूक की आग ठंडी नहीं हुई है। 2000 हथियार जब्त होने के बाद भी मणिपुर जल रहा है। एक दूसरे के खून के प्यासे लोगों ने कत्लेआम, लूट के नए कीर्तिमान बना दिए हैं और 4 मई को जो हुआ वह तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान में घटने वाली घटनाओं से भी कमतर ही प्रतीत हो रहा है। 

यहां अतिवादियों का सबसे ज्यादा जोर असहाय महिलाओं पर चला है। उन महिलाओं को इन घिनौने अपराधियों ने सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया और जिसने उनका प्रतिकार करने की कोशिश की, उन्हें गोली मार दी गई। इस दौरान यह भी हुआ कि उनके पिता या भाई या फिर कोई अन्य अगर उन्हें बचाने के लिए आगे आया तो उसे भी मौत दे दी गई। 

गौरतलब है कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के दर भी पहुंच चुका है। देश संविधान से संचालित है और इसका अभिप्राय यह होता है कि प्रत्येक कार्य कानून सम्मत तरीके से होगा। मणिपुर में आजकल जो हो रहा है, वह किसी भी प्रकार से कानून सम्मत नहीं है। यह अराजकता का ऐसा तांडव है, जोकि राज्य के हर शहर, गली में हो रहा है और सरकार है कि मूक दर्शक बनकर बैठी है। ऐसा तब भी है कि जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह स्वयं राज्य में कई दिन के प्रवास के दौरान विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात कर हालात को सामान्य बनाने की चेष्टा कर चुके हैं, लेकिन उनके दिल्ली लौटते ही पुन: हिंसा का दौर शुरू हो गया था। 

अब सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को बुलाकर पूछा कि यह जो हुआ है, वह बर्दाश्त से बाहर है। सरकार से कहो कि जल्दी कुछ कदम उठाए नहीं तो हम कार्रवाई करेंगे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इस मामले पर टिप्पणी आई है, जिसमें उन्होंने कहा, मेरा हृदय पीड़ा से भरा हुआ है, क्रोध से भरा हुआ है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है, किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं कौन हैं, वो अपनी जगह है लेकिन ये पूरे देश की बेइज्जती है।  इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि दोषियों को फांसी की सजा दिलाई जाएगी। 

बेशक, राजनीतिकों का काम है, ऐसे बयान देकर अपने पक्ष को साफ करें। लेकिन यह बेहद शर्मनाक और सभी पक्षों के लिए जवाबदेह विषय है। आखिर राज्य के हालात ऐसे कैसे हो गए और अपराधी तत्वों का हौसला इस कदर कैसे बढ़ गया कि उन्होंने थाने लूट लिए और उनमें रखे हथियारों के जखीरे अपने हाथों में ले लिए। राज्य के मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा देने का एक बार प्रहसन रच चुके हैं, लेकिन पूरा राज्य और देश अब हालात को समझ चुका है।

मई में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घूमाने एवं अन्य महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात ने उजागर कर दिया है कि राज्य में हालात बद से बदतर हो चुके हैं। यह घटना तो मई माह की है, लेकिन उसके बाद से अनेक ऐसे वाकये घटे होंगे, संभव है उनके वीडियो भी अभी आने बाकी हैं। 

वास्तव में पूर्वोत्तर को आग लगाने की इस साजिश को पूरी सख्ती के साथ रोका जाना चाहिए। राज्य में पुलिस, सेना, अर्द्धसैनिक बल, जिन्हें भी लगाने की जरूरत हो, लगाया जाना चािहए और उपद्रवियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए। मणिपुर के हालात इससे भी ज्यादा खराब हो सकते हैं और अगर समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह विकास पथ पर बढ़ रहे देश के लिए दावानल बन जाएगा।

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