Death due to electrocution in Chamoli is heartbreaking

Editorial: चमोली में करंट से मौतें हृदयविदारक, जिम्मेदार को सजा जरूरी

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Death due to electrocution in Chamoli is heartbreaking

Death due to electrocution in Chamoli is heartbreaking उत्तराखंड के चमोली में बदरीनाथ हाईवे पर एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लोहे के ढांचे में करंट से 17 लोगों की मौत हृदयविदारक एवं चौंकाने वाली घटना है। इन लोगों की मौत के अलावा 11 अन्य लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं और उनका इलाज जारी है। भारी बरसात की वजह से राज्य में पहले ही चिंताजनक हालात हैं, लेकिन अब एसटीपी में करंट से जिस प्रकार इतनी मौतें हो गई हैं, वह व्यवस्था पर अनेक सवाल खड़े करती है। मालूम हो, यह हादसा तब घटा, जब प्लांट में पहले से मृतक एक कर्मचारी के परिजनों के लिए लोग मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान एसटीपी में करंट आ गया और यह हादसा घटा। यानी पहले से जिस त्रासदी के लिए लोग न्याय की उम्मीद में वहां आए थे, उसकी कड़ी में एक और भयानक त्रासदी वहां घट गई और 17 परिवारों से उनके प्रमुख आजीविका अर्जक या फिर सदस्य हमेशा के लिए विदा हो गए।

इस घटना पर राज्य सरकार ने तुरंत कदम उठाए हैं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये की राहत राशि देने के निर्देश दिए हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और झुलसे हुए लोगों को 50-50 हजार रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा ऊर्जा निगम ने मृतकों के परिजनों के आश्रितों और घायलों को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही है।

दरअसल, केंद्र, राज्य एवं ऊर्जा निगम की ओर से दी जाने वाली यह राशि न्यूनतम ही समझी जाएगी, क्योंकि जिन परिवारों के लोग इस हादसे में चल बसे, उनके लिए यह ऐसा जख्म है, जोकि कभी नहीं भर पाएगा। राहत राशि केवल फौरी तौर पर परिवार की जरूरतों को पूरा करने का जरिया हो सकती है, लेकिन हादसे की वजह से मारे गए लोगों के परिजनों के लिए उनकी कमी की भरपाई कभी नहीं हो सकेगी।

गौरतलब है कि इस एसटीपी का संचालन कर रही निजी कंपनी की इस हादसे में लापरवाही सामने आ रही है। ऊर्जा निगम के अधिकारियों का कहना है कि एसटीपी की आंतरिक विद्युत लाइनों में करंट लीक हुआ, जिसके कारण हादसा हुआ। अभी तक यह सामने आ रहा है कि एसटीपी की रेलिंग में करंट आया। इस दौरान मुआवजे की मांग को लेकर वहां प्रदर्शन कर रहे लोग उस रेलिंग की चपेट में आ गए और गिरते चले गए। यह भी हुआ एसटीपी में तैनात सुपरवाइजर गणेश लाल की पहले ही करंट से मौत हो चुकी थी, उनके साथ यह हादसा रात के समय घटा था, जब सुबह वे ड्यूटी से घर नहीं लौटे तो लोग उन्हेंं देखने गए। इसी दौरान एक चौकी इंचार्ज और तीन होमगार्ड मृतक के पंचनामे के लिए वहां गए और जनता भी पहुंच गई। लेकिन उनमें से किसी को इसका अहसास नहीं था कि एसटीपी में करंट दौड़ रहा है और सुपरवाइजर गणेश लाल की इसी वजह से जान जा चुकी है। बताया गया है कि जिस समय लोग वहां पहुंचे, तब करंट नहीं था क्योंकि वहां बिजली नहीं थी, लेकिन फिर एकाएक करंट आ गया।

यह सब घटनाक्रम लापरवाही का साफ-साफ नमूना है, आखिर यह कैसे हो गया कि पूरे एसटीपी प्लांट में करंट दौड़ रहा था और तकनीकी रूप से उसे दुरुस्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय निवासी इस पर सवाल उठा रहे हैं कि जब पहले से यह खुलासा हो गया था कि सुपरवाइजर की मौत करंट से हुई है तो फिर फेज बंद क्यों नहीं किया गया। निश्चित रूप से यह घटना हालिया समय की सबसे हैरतअंगेज घटना है। जिस रेलिंग में करंट दौड़ रहा था, वह असामान्य था, क्योंकि उसने लोगों को संभलने तक का मौका नहीं दिया और वे उसकी चपेट में आकर गिरते चले गए और तुरंत मौत हो गई। राज्य सरकार का कहना है कि एक हफ्ते के अंदर जांच रिपोर्ट सामने आएगी।

यह जरूरी है कि जिन भी लोगों की वजह से यह हादसा घटा है, उन्हें कठोरतम सजा सुनिश्चित करवाई जाए। यह भी जांचा जाना चाहिए कि यह मानवीय भूल थी या फिर किसी अन्य वजह से ऐसा हुआ। मालूम हो, सियाचिन में सेना के हथियारों के बंकर में शॉर्ट सर्किट से आग की वजह से भी एक भयानक हादसा घटा है। इसमें एक कैप्टन शहीद हो गए वहीं तीन जवान गंभीर रूप से घायल हैं। सेना ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। इस तरह के हादसे सेना के लिए भी सबक हैं, इससे पहले 2011 में भी ऐसा ही हादसा घट चुका है। जरूरत इसकी है कि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति को रोका जाए। चाहे सिविल हो या फिर सेना हर जगह सावधानी जरूरी है। 

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