Will have to get out together with the rain

Editorial: बरसात की आफत से मिलकर निकलना होगा बाहर

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Will have to get out together with the rain

Will have to get out together with the rain राजधानी दिल्ली समेत पूरा उत्तर भारत प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। अगर आजकल बारिश नहीं हो रही है तो पहाड़ों पर हुई बारिश के बाद पानी बहकर निचले इलाकों की तरफ आ रहा है। दिल्ली में यमुना अपने अब तक के सबसे ऊपरी स्तर पर बह रही है, इसकी वजह से इसके किनारे रहने वाले और आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई है। जन-जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका है। ऐसे ही हालात पंजाब एवं हरियाणा के विभिन्न जिलों के हैं। चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला में बारिश की वजह से टूट गए रास्ते ट्रैफिक चलने लायक नहीं रहे हैं, जिसकी वजह से लंबे जाम लग रहे हैं और घंटों तक वाहन चालक जाम में फंसे रहते हैं।

चंडीगढ़ में पेयजल की लाइन ही क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसकी अब मरम्मत जारी है। इसी प्रकार डेराबस्सी, जीरकपुर के इलाके में लगातार ऐसी रिपोर्ट मिल रही हैं, जिनमें किसी के डूब कर मरने की सूचना है। हिमाचल प्रदेश भयंकर त्रासदी से दो चार हो रहा है। यह पहाड़ी प्रदेश खूबसूरत है और यहां देश-विदेश से घूमने के लिए सैलानी आते हैं, लेकिन इस मौसम में इस प्रदेश को हजारों करोड़ रुपये की क्षति उठानी पड़ रही है। यह समय हिमाचल प्रदेश के लोगों के साथ खड़े होने का है, केंद्र एवं अन्य राज्य सरकारों को हिमाचल प्रदेश की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

लगभग 48 घंटे की बारिश ने पूरा उत्तर भारत जल-थल कर दिया। इसका अंदाजा मौसम विभाग भी नहीं लगा पाया कि इतनी भयंकर बारिश होने वाली है। हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ी बात यह कही जा रही है कि यहां बाढ़ दिन के समय आई, जिससे लोगों को बचने का समय मिल गया, अगर रात के समय सैलाब आता तो जनहानि भी भयंकर हो सकती थी। हालांकि पंजाब में दिन और रात के समय हुई बारिश ने जैसा कहर बरपाया है, वह सभी को हैरान कर रही है। पंजाब में मानसून के दौरान सतलुज दरिया के आसपास के इलाके में बाढ़ जैसे हालात बनते रहे हैं, लेकिन इस बार की बारिश में राज्य के 8 जिले जलमग्न हो चुके हैं, इस दौरान अनेक लोगों की मौत हो चुकी है।

पटियाला इलाके के 70 से ज्यादा गांवों  और शहर की 15 कॉलोनियों में पिछले 4 दिन से जलभराव व बाढ़ की वजह से हालात बदतर हैं। संगरूर, खनौरी और मूनक क्षेत्र से गुजरते घग्गर दरिया में जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रहा है। पंजाब के फिरोजपुर में बीएसएफ की 12 चौकियों में भी पानी भरा हुआ है, बताया गया है कि इन चौकियों में पानी पाकिस्तान के बांध टूटने के कारण घुसा है। इसी प्रकार जालंधर, फाजिल्का, अमृतसर, नवांशहर और फतेहगढ़ साहिब में भी हालात चिंताजनक हैं। पंजाब सरकार ने समय रहते तत्परता से कार्य किया है और बचाव कार्य तेजी के साथ किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान है, जिसमें उन्होंने बारिश से हुए एक-एक पैसे की  भरपाई करने की बात कही है। उन्होंने यह भी जाहिर किया है कि कैबिनेट मंत्री, विधायक और अधिकारी अपने-अपने स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं।

गौरतलब है कि पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहां 249 मार्ग बंद हैं और लगभग 503 गांवों का संपर्क टूट गया है। इस इलाके में अभी भी मूसलाधार बारिश हो रही है, चारधाम यात्रा मार्ग विभिन्न स्थानों पर पत्थर और मलबा गिरने से बाधित हो गया है। चमोली में बदरीनाथ धाम जा रहे चार हजार तीर्थयात्रियों को जिला प्रशासन ने आगे बढऩे से रोक दिया। राज्य में 123 गांवों में बिजली-पानी की आपूर्ति और 50 से अधिक गांवों में संचार सेवा ठप पड़ी है। राज्य सरकार ने निर्देश दिए हैं कि सुरक्षा के मद्देनजर गंगोत्री से वाहनों को शाम पांच बजे के बाद उत्तरकाशी नहीं आने दिया जाएगा।

जाहिर है, यह ऐसा आपातकाल है, जिसके बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं था, लेकिन अब जैसी स्थिति बन गई है, उससे निपटने के लिए राज्य सरकारों को हर संभव प्रयास करने ही होंगे। और उसमें वे दिन-रात लगी हुई है। इस बीच केंद्र सरकार ने आपदा मोचन के लिए 7 हजार करोड़ से अधिक की राशि जारी की है, यह राशि 22 राज्यों को जारी की गई है। इसमें महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा रकम मुहैया कराई गई है। वहीं पंजाब को 218 करोड़ और हरियाणा को 216 करोड़ दिए गए हैं। निश्चित रूप से यह राशि बहुत कम है और नुकसान इससे भी कहीं ज्यादा का हुआ है। इस प्राकृतिक आपदा का सामना मिलकर ही किया जा सकता है।

हरियाणा में एक विधायक को महिला की ओर से थप्पड़ मारने का मामला सामने आया है। निश्चित रूप से ऐसा नहीं होना चाहिए था, यह प्राकृतिक आपदा है और प्रशासनिक अमला महज विधायक के कहने पर काम नहीं करता, उसकी अपनी भी जिम्मेदारी होती है। जनता को नाराज होने का हक है, लेकिन ऐसा रवैया सही नहीं। हिम्मत के साथ सब को इस मुश्किल से बाहर आना होगा। 

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