Harmohan Dhawan Funeral| पंचतत्व में विलीन हुए हरमोहन धवन, चंडीगढ़ के सेक्टर-25 श्मशान घाट में अंतिम संस्कार हुआ

और नेताओं से अलग ही थे हरमोहन धवन; आज पंचतत्व में विलीन तो लोग गमगीन, नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, अमर रहने के नारे

Harmohan Dhawan Funeral

Chandigarh AAP Senior Leader Harmohan Dhawan Funeral

Harmohan Dhawan Funeral: पूर्व केंद्रीय मंत्री और AAP सीनियर नेता हरमोहन धवन (83 साल) अब पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं। चंडीगढ़ के सेक्टर-25 स्थित श्मशान घाट में उन्हें अंतिम विदाई दी गई। यहां राजकीय सम्मान के साथ धवन का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान हरमोहन धवन के पारिवारिक लोगों के अलावा पूर्व सांसद सत्यपाल जैन, पूर्व सांसद पवन बंसल और संजय टंडन समेत आप, बीजेपी और कांग्रेस के कई सीनियर नेता नम आंखों के साथ मौके पर मौजूद रहे।

वहीं राजनीतिक क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्र के जाने-माने लोग और बड़ी संख्या में धवन के समर्थक भी उन्हें अंतिम बार देखने के लिए श्मशान घाट पहुंचे हुए थे। हरमोहन धवन के जाने से उनके समर्थक काफी ज्यादा गमगीन दिखे। धवन को देखकर उनके आंसू नहीं रुक रहे थे। समर्थकों ने हरमोहन धवन अमर रहें के नारे भी लगाए। बता दें कि, इससे पहले हरमोहन धवन का पार्थिव शरीर चंडीगढ़ के सेक्टर-9 स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन और श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए रखा गया था। ज्ञात रहे कि, बीते कल हरमोहन धवन का मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। हरमोहन धवन लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

हरमोहन धवन बहुत सुलझे हुए और सॉफ्ट नेता थे

हरमोहन धवन चंडीगढ़ की राजनीति के भीष्म पितामह कह जाते थे। धवन बहुत सुलझे हुए और सॉफ्ट नेता थे। उनमें जो समाजवादी निष्ठा थी, वह उन्हें और नेताओं से हमेशा ही अलग बनाती थी। हरमोहन धवन ने खुद को बहुत निचले और सामान्य स्तर पर ही रखा। वह लोगों से आम व्यवहारिकता में ही मिलते थे। उन्हें सुनते थे. इसीलिए धवन ने हमेशा ही अन्य नेताओं से हटकर अपनी एक अलग ही छवि बरकरार रखी। वह लोगों के साथ और उनके लिए खड़े होने के लिए हमेशा ही तत्पर रहे। खासकर गरीबों, वंचितों और पिछड़ों के कल्याण के लिए काम करने में हरमोहन धवन काफी ज्यादा आगे रहे। उनके लिए कई बार लड़ाइयाँ लड़ीं और जेल भी गए।

लोगों के बीच हरमोहन धवन का प्रभाव था

हरमोहन धवन चंडीगढ़ के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। उनका लोगों के बीच काफी प्रभाव था। हरमोहन धवन ने लोगों की सहायता के लिए अपने कदम कभी पीछे नहीं खींचे। जो उनके दरवाजे पर पहुंचा। उसकी हर संभव मदद हरमोहन धवन ने की। यहां तक की हरमोहन धवन खुद ही कई बार लोगों के बीच पहुँचकर उनकी समस्या जानते थे।

हरमोहन धवन के बारे में

हरमोहन धवन का जन्म भारत के विभाजन से पहले 14 जुलाई 1940 को पंजाब के जिला कैम्बलपुर के फतेहजंग इलाके में हुआ था। जो कि अब अब पाकिस्तान में है। 1947 में भारत के विभाजन के बाद धवन का का परिवार अंबाला आ गया। हरमोहन धवन ने अंबाला मे नही मैट्रिक और एसडी कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। इसके बाद वह 1960 में धवन पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में आ गए और यहां उन्होने 1963 में वनस्पति विज्ञान विभाग में बी.एससी. (ऑनर्स) और वर्ष 1965 में फिर एमएससी (ऑनर्स) की डिग्री ली।

इसके बाद वह 1965 से 1970 तक एक शोधकर्ता रहे। हरमोहन धवन ने उत्तर पश्चिम हिमालय के आर्थिक पौधों के साइटोलॉजिकल अध्ययन पर शोध किया। वहीं धवन ने 1970 में ही एक लघु उद्योग इकाई शुरू की और चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 1979 में, उन्होंने एक बढ़िया डाइनिंग रेस्तरां, महफ़िल खोला। धवन को 1983 में भारत के उपराष्ट्रपति से सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमी पुरस्कार मिला था।  

1989 में पहली बार सांसद बने हरमोहन धवन

हरमोहन धवन साल 1977 में राजनीति में प्रवेश किया था और दिवंगत प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने उनका मार्गदर्शन किया. धवन 1981 में जनता पार्टी के अध्यक्ष बने। इसके बाद 1989 में वह चंडीगढ़ से संसद सदस्य के रूप में चुने गए और चंद्र शेखर की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बने। धवन ने बसपा, बीजेपी और कांग्रेस के साथ जुड़कर काम किया। वहीं साल 2018 में धवन अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए। 2019 में आप की टिकट पर हरमोहन धवन ने चंडीगढ़ से सांसद का चुनाव लड़ा लेकिन मोदी लहर में वह हार गए।