Why One Boy is Important to Be Part of 9 Kanjak Pujan

'कंजक पूजन' में क्यों जरूरी है 9 कन्याओं के साथ एक बालक, जानें इसके पीछे की कहानी 

Why One Boy is Important to Be Part of 9 Kanjak Pujan

Why One Boy is Important to Be Part of 9 Kanjak Pujan

Kanjak Puja 2023: शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व है। नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि को कन्या पूजन किए जाते हैं इसमें छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर इनकी पूजा की जाती है और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है। बतादें कि नवरात्र में दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्याओ को घर बुलाकर उनकी आवभगत एंव मान-सामान किया जाता है। माना जाता है कि कन्याओं को देवियों की तरह आदर- सत्कार और भोज कराने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है और अपने भक्तों को सुख - समृद्धि का वरदान देती है। 9 कन्याओं को देवी के नौ रूप मान कर पूजन के बाद नवरात्री व्रत पूरा होता है। चलिए जानते है जानिए नवरात्रि में क्यों पूजी जाती है कंजक और क्यों जरूरी होता है इनके साथ एक बालक ?

Aaj Ka Panchang, 19 October 2023: आज नवरात्रि का 5वां दिन, जानें आज के मुहूर्त और शुभ योग का समय

सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं मां दुर्गा का पंचम स्वरूप स्कंदमाता

Aaj ka Panchang 18 October 2023: मां कूष्मांडा की पूजा के दिन बन रहे हैं ये शुभ योग, पढ़िए आज का पंचांग

कब है कन्या पूजन 2023?
नवरात्रि में कन्या पूजन कुछ लोग दुर्गा अष्टमी के दिन तो वहीं कुछ लोग महानवमी के दिन करते हैं। आप अपनी सुविधा और मान्यता के अनुसार इस शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन 22 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी या 23 अक्तूबर को महानवमी के दिन कर सकते हैं।

Kanya Puja 2023: Durga Ashtami, Navami Dates And Other Important Details

किस उम्र की कन्याओं की करें पूजा
कंजक पूजन में कन्याओं की आयु दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक होनी चाहिए। हमें हमेशा 9 कन्याएं पूजनी चाहिए, जो कि माता के 9 स्वरूपों को दर्शाती हैं। उनके साथ एक बालक भी पूजा जाता है, जिसे हनुमान जी का रूप माना जाता है, जिसे लंगूर या लोगड़ा भी कहा जाता है। जिस तरह मां की पूजा भैरव के बिना पूरी नहीं मानी जाती, ठीक उसी तरह कन्या-पूजन भी लंगूर के बिना अधूरा होता है।  

Kanya Puja 2023: Durga Ashtami, Navami Dates And Other Important Details

कंजक या कन्या पूजन में क्यों जरूरी होता हैं बालक?
मान्यताओं के अनुसार 9 कन्याओं के साथ 1 बालक का होना भी जरूरी होना चाहिए क्योंकि माँ दुर्गा की पूजा के साथ भैरव क लपूजा अवश्य की जाती है यही कारण है कि नवरात्री में 9 कन्याओं को देवी के स्वरूप मानकर पूजते है।  वहीं बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है। आपको बतादें कि बटुक का अर्थ बालक होता है।  यह भी माना जाता है कि बालक की पूजा बजरंगबली का स्वरूप मानकर की जाती है, इसलिए कंजको के साथ बिठाए जाने वाले बालकको लंगूर या लांगुरिया भी कहा जाता है। माँ की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती है उसी तरह कन्या पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है।  

Learn how to worship Kanjak, Its importance and rules! - My Voice

कन्याओं का न हो शोषण 
नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है पर कुछ लोग नवरात्री के बाद ये सब भूल जाते है। बहुत जगहों कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है। आज भी भारत में बहुत से ऐसे क्षेत्र है जहां बेटियों के जन्म होने पर अच्छा नहीं माना जाता है। कई लोग तो दुखी हो जाते है। बेटी के जन्म पर, ऐसा कब तक और क्यों हो रहा है ? क्या आप ऐसा करके देवी माँ के 9 रूपों को अपमानित नहीं कर रहें? कन्याओ और महिलाओं के प्रति हमे अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। तभी समाज में सुधार होगा। देवी तुल्य कन्याओं का सम्मान करें और इनका आदर करना ईश्वर की पूजा करने जितना पुण्य देता है। शास्त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते है।

Navratri 2022: महा अष्टमी पर आज कैसे करें कन्या पूजन? जानें शुभ मुहूर्त और  विधि - Shardiye navratri 2022 kanya pujan significance shubh muhurt and  vidhi tlifdg - AajTak