vocal for local

Editorial: वोकल फॉर लोकल से ही देश की अर्थव्यवस्था बनेगी मजबूत

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The country' economy will become stronger only through vocal for local.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने साप्ताहिक मन की बात कार्यक्रम में हर बार ऐसे विषयों पर चर्चा करते हैं, जोकि देश के जनमानस को प्रेरित करते हैं। एक प्रधानमंत्री का दायित्व देश का नेतृत्व करना है और इस सोच के साथ जब वे अपना संबोधन देश को देते हैं तो इससे जागरूकता की अलख जगती है। इस बार अपने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश में भारतीय परिवारों की ओर से शादियों के आयोजन पर जो बात कही है, वह ऐसी वास्तविकता है जिस पर व्यापक काम किए जाने की जरूरत है।

बेशक, हर परिवार विदेश में जाकर शादी नहीं कर सकता और न ही कर रहा है, लेकिन कुछ बेहद अमीर परिवारों की ओर से ऐसा किया जा रहा है। देश में अनेक फिल्म स्टार, क्रिकेटर और उद्योगपति हैं जोकि ऐसा कर चुके हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना उचित है कि इस तरह से हम अपने देश का पैसा विदेश में खर्च कर रहे हैं, जिसका हमें फायदा नहीं मिलता। हालांकि अगर अपने ही देश में शादी होगी तो इससे यहां के विभिन्न व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलेगा और यहां का पैसा यहीं रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह विचार श्रेष्ठ है और इस पर अमल होना चाहिए। मोदी सरकार ने देश में वोकल फॉर लोकल का नारा दिया है। यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया है।

बीते दिनों दशहरे, दिवाली के अवसर पर देश में वोकल फॉर लोकल का क्रेज देखने को मिला है। एक समय देश में चाइनीज मूर्तियां और कैलेंडर तक बिकते थे, लेकिन इस बार मिट्टी के दीए और देश के अंदर बने सामान की खूब खरीदारी देखी गई। देश के अंदर बने वस्त्र, गहने, सजावटी सामान आदि की जमकर खरीदारी हुई। यह सब प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल आह्वान की वजह से हुआ है। निश्चित रूप से इस विचार से कौन इनकार कर सकता है कि अगर देश के अंदर बने सामान को ही हम खरीदेंगे तो इससे देश की आर्थिकी को ही बल मिलता है। एक देश जब आर्थिक रूप से सक्षम होगा, तभी विश्व में उसका सिर गर्व से ऊपर होगा।

चीन जैसे देश जोकि अपनी विस्तारवादी सोच से पूरी दुनिया पर नियंत्रण चाहते हैं, से मुकाबले के लिए भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को इतना मजबूत बनाना होगा कि वह चीन के आक्रामक रवैये का प्रखरता से जवाब दे सके। बकौल प्रधानमंत्री मोदी इस बार दीपावली, छठ पूजा पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है। यानी वोकल फॉर लोकल का मंत्र अपना असर दिखा रहा है।
 

आजकल शादियां अपना रूतबा दिखाने का सबसे बड़ा माध्यम हो गई हैं। ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों की शादियों के लिए बड़े शहरों एवं पर्यटन स्थलों को चुन रहे हैं। इस दौरान शादियों के आयोजन के लिए तमाम प्रबंध स्थानीय व्यवसायिक समूहों के द्वारा किए जाते हैं। देश में इसका आंकड़ा शायद ही प्राप्त हो सके कि कितने लोग शादियों के बिजनेस में लगे हैं। सजावट से लेकर खान-पान और वस्त्र-ज्वेलरी से लेकर ट्रांसपोर्टेशन और सुरक्षा, बैंड बाजे आदि के लिए अलग-अलग लोग काम कर रहे होते हैं। तब इन सभी लोगों को रोजगार हासिल हो रहा होता है। लेकिन जब अमीर परिवार विदेश में जाकर शादी करते हैं तो स्वदेशी रोजगार को नुकसान पहुंचता है। कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि शादियों के इस मौसम में करीब पांच लाख करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है। वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन उचित है कि भारत की मिट्टी में, भारत के लोगों के बीच अगर हम शादी-ब्याह करें तो देश का पैसा देश में रहेगा। देश के लोगों को शादी में कुछ न कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा।

गौरतलब है कि देश में अब पहले की तुलना में ऑनलाइन पेमेंट ज्यादा हो रही हैं। आज देश में एक ठेले, रिक्शा चालक से लेकर बड़े से बड़े कारोबारी तक ऑनलाइन पेमेंट ली जा रही हैं। अगर देश में ऑनलाइन पेमेंट का यह दौर न होता तो कोरोना काल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को और ज्यादा नुकसान पहुंचता। अब प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों का आह्वान किया है कि वे एक महीने तक यूपीआई से या किसी डिजिटल माध्यम से ही भुगतान करें और जब एक महीना हो जाए तो अपने अनुभव उनसे साझा करें। वैसे इस समय देश में तमाम ऐसे लोग हैं, जोकि बैंक एटीएम जाना भूल चुके हैं, वे अपने मोबाइल फोन को ही एटीएम बना चुके हैं और इसी माध्यम से पैसे का आदान-प्रदान कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना सर्वथा उचित और सर्वग्राही है कि जब सभी अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देंगे तो देश को विकसित बनाने का संकल्प अवश्य पूरा होगा। जब लोग राष्ट्र निर्माण का दायित्व संभालते हैं तो देश को आगे बढऩे से कोई ताकत नहीं रोक सकती। भारत इस समय अपने विकास की दौड़ में है, यह समय सभी भारतीयों के सार्थक योगदान का है। देश को बनाने की चाबी हमारे हाथ में है।  

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