‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ विषय पर संत निरंकारी मिशन का व्यापक वृक्षारोपण एवं स्वच्छता अभियान
- By Vinod --
- Tuesday, 03 Jun, 2025

Sant Nirankari Mission's massive tree plantation and cleanliness drive on the theme 'Beat Plastic Po
Sant Nirankari Mission's massive tree plantation and cleanliness drive on the theme 'Beat Plastic Pollution'- चण्डीगढ/ पंचकुलाI प्रकृति मानव जीवन की सदा-संगीनी रही है, उसकी छांव में सभ्यताओं ने आकार लिया, संस्कृतियाँ पनपीं और जीवन निरंतर रूप से विकसित होता रहा। किंतु जब मानवीय स्वार्थ ने संतुलन का दायरा लांघा, तब इस जीवनदायिनी प्रकृति को क्षतिग्रस्त होना पड़ा। मानव शायद यह भूल जाता है कि वह स्वयं भी इसी प्रकृति का ही एक अंग है। आज, पर्यावरणीय संकट की गूंज वैश्विक चेतना को झकझोर रही है और इसी अनुभूति के तहत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिवर्ष 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ आयोजित किया जाता है।
इस वैश्विक पहल से प्रेरणा लेते हुए, संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन, सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के लोकमंगलकारी एवं दूरदर्शी नेतृत्व में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित थीम ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ को केंद्र में रखते हुए देशभर के 18 प्रमुख पर्वतीय पर्यटक स्थलों पर 5 जून को प्रातः 8ः00 से दोपहर 2ः00 बजे तक एक व्यापक वृक्षारोपण एवं स्वच्छता अभियान का आयोजन कर रही है। यह प्रयास न केवल स्वच्छ, हरित एवं संतुलित पर्यावरण की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि यह आज की युवा पीढ़ी को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने और संरक्षण की भावना को व्यवहार में उतारने की एक प्रेरणादायक पहल भी है। एक ऐसा अभियान जो सेवा, सद्भाव और सजगता को जनचेतना से जोड़ता है।
संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के सचिव श्री जोगिंदर सुखीजा ने जानकारी देते हुए बताया कि मिशन वर्ष 2014 से ही संयुक्त राष्ट्र के ‘युनाईटेड नेशन एनवाईरनमेंट प्रोग्राम‘ पर्यावरण कार्यक्रम की थीम पर ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ आयोजित कर रहा है। यह एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक सतत जनचेतना अभियान है जो प्रकृति और मानवता के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध को पुनः सशक्त करता है।
इस महाअभियान के अंतर्गत देश के विविध प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण 18 प्रमुख पर्वतीय एवं पर्यटक स्थलों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें उत्तराखंड के मसूरी, ऋषिकेश, लैंसडाउन, नैनीताल, चकराता एवं भवाली; हिमाचल प्रदेश के शिमला, मनाली और धर्मशाला; गुजरात का सापुतारा; महाराष्ट्र के महाबलेश्वर, पंचगनी, खंडाला, लोनावाला, पन्हाला एवं सोमेश्वर; सिक्किम का गीजिंग और कर्नाटक की सुरम्य नंदी हिल्स विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ये स्थल न केवल प्रकृति की गोद में बसे हैं, बल्कि पर्यावरण जागृति के प्रति समर्पित ऐसे केंद्र बिंदु बन रहे हैं जहाँ निष्काम सेवा और सहभागिता एक साथ साकार हो रही हैं।
इस अवसर पर मिशन के स्वयंसेवक, सेवादल सदस्य, श्रद्धालुजन एवं स्थानीय नागरिक एकजुट होकर प्रार्थना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे। तदोपरांत युवा स्वयंसेवक नुक्कड़ नाटकों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और रचनात्मक संदेशों के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभाव और समाधान पर जन-जागरूकता फैलाएंगे। पर्यावरण संरक्षण से समबद्ध युक्त तख्तियाँ व बैनर लिए मानव श्रृंखला बनाकर समाज को प्रेरित किया जाएगा।
इस विश्व पर्यावरण दिवस पर संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन का यह समर्पित प्रयास एक सार्थक संदेश देता है, आइए, मिलकर पर्यावरण की रक्षा करें और भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, सुंदर और संतुलित पृथ्वी का निर्माण कर सके।