श्री सनातन धर्म मंदिर सेक्टर 32-डी में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन

Three-day Lord Shiva Katha Organized

Three-day Lord Shiva Katha Organized

Three-day Lord Shiva Katha Organized: (चंडीगढ़) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री सनातन धर्म मंदिर सभा, सेक्टर 32-डी, चंडीगढ़ के सहयोग से मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के प्रथम दिवस, संस्थान के संस्थापक एवं संचालक दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ज्योत्सना भारती ने भगवान शिव कथा की महिमा बताई और सभी भक्तों को आत्म-साक्षात्कार कर धर्म को पूर्णरूपेण अपने जीवन में धारण करने के लिए प्रेरित किया।

भगवान शिव का महिमा–गान करते हुए साध्वी ज्योत्सना भारती ने बताया कि भगवान भोलेनाथ हमें जीवन में श्रेष्ठ गुणों को धारण कर, श्रेष्ठ मानव बनने की प्रेरणा देते हैं। वे ही जीवन के आदि से अंत तक हर जीव का मार्गदर्शन करते हैं – पशुपतिनाथ बन मूक जीवों के रक्षक बने, भूतनाथ बन सभी जीवों को आश्रय दिया, गृहस्थ होते हुए भी भोगी न बनकर महायोगी बने। जिन्हें संसार दूषण समझता है, देवों के देव – महादेव ने उन्हें भी अपना आभूषण बनाकर मान दिया। साध्वी जी ने आज के समाज की बिगड़ती हालत, तार-तार होते रिश्तों और लुप्त होते संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए समझाया कि सच्चे धर्म से दूरी ही नैतिक मूल्यों के हनन का कारण बन रही है। आज समाज में धर्म का स्थान धन ने ले लिया है। पर जब जीवन में भगवान शिव रूपी ब्रह्मनिष्ठ गुरु का आगमन होता है तो मनुष्य अपने आत्म स्वरूप को जान, अपने विकारों से लड़ता है, भोलनाथ के आदर्शों को आचरण में चरितार्थ करता है और सही मायनों में मानव बन संसार को राह दिखाता है।

साध्वी जी ने चंचुला-बिंदुक प्रसंग के माध्यम से समझाया कि ईश्वर की कथा और उनकी कृपा से पापी से पापी व्यक्ति भी मोक्ष को प्राप्त कर सकता है बशर्ते वह ईश्वर की शास्त्र-सम्मत भक्ति करे, उनका तत्व से दर्शन कर कर्म-बंधनों को ज्ञानी अग्नि में भस्म करे। साध्वी जी ने बताया कि हमारे शास्त्र-ग्रंथ उद्घोष करते हैं कि ईश्वर केवल मानने का विषय नहीं, बल्कि जानने का, साक्षात अनुभव का विषय है। और हर मानव इसका अधिकारी है – चाहे वह गृहस्थी हो या संन्यासी, अमीर हो या गरीब, संत हो या पापी। जैसे चंचुला को संतों की संगत से ईश्वर दर्शन और भक्ति का ज्ञान मिला, वैसे ही आज के समय में हमें भी आवश्यकता है एक पूर्ण संत की खोज करने की – ऐसे संत की जो तत्क्षण ईश्वर दर्शन करा हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दें। संत के संग से ही मरुस्थल जीवन में बहार आ जाती है और नीरस जीवन भी सरस बन जाता है। भगवान शिव भी माँ पार्वती को सत्संग का महत्व बताते हुए कहते हैं कि जिसे जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई उसकी विद्या, धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है।

ऐसी ही दिव्य प्रेरणाओं और भक्तिमय भजनों ने सभी प्रभु भक्तों को मंत्रमुग्ध किया। भगवान शिव कथा के प्रथम दिवस का विराम प्रभु की पावन आरती से हुआ। आरती में मंदिर सभा एवं महिला मंडल के सभी सदस्य उपस्थित रहे और सभी भक्तों ने प्रभु के आशीर्वाद को प्राप्त किया।