Perform aarti of Shri Satyanarayan ji on full moon date

पूर्णिमा तिथि पर करें श्री सत्यनारायण जी की आरती, घर आएगी सुख और समृद्धि

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Perform aarti of Shri Satyanarayan ji on full moon date

Perform aarti of Shri Satyanarayan ji on full moon date हिन्दू पंचांग के अनुसार, 1 अगस्त को अधिक मास की पूर्णिमा है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि पर पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि श्री सत्यनारायण जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पूर्णिमा तिथि पर विधि विधान से श्री सत्यनारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय श्री सत्यनारायण जी की आरती अवश्य करें। धर्म शास्त्रों में निहित है कि पूजा के समय आरती करने से घर में मौजूद सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। 
 

श्री सत्यनारायण जी आरती
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
रत्न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।

नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥
ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।

चन्द्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी ॥
ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण कीन्हीं, तिनको काज सरयो ॥
ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी ॥

ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा ।

धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥
ऊँ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

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