कस्बाई क्षेत्र की निशा वाडेकर, परंपरागत नृत्य को दे रही है बड़ा फलक

कस्बाई क्षेत्र की निशा वाडेकर, परंपरागत नृत्य को दे रही है बड़ा फलक

Traditional Dance

Traditional Dance

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह

पटना (बिहार) : Traditional Dance: आधुनिक दौर में, नृत्य की परिभाषा और पूरी परिपाटी ही बदल गयी है। कम कपड़े में, अधकचरे और कमर तोड़ नृत्य को खासी लोकप्रियता(Popularity) भी हासिल हो रही है। ऐसे में, बिहार के सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर की रहने वाली निशा वाडेकर, कत्थक नृत्य(kathak dance) में बिहार की शान बन कर उभरी है। निशा को राज्यस्तरीय मंच पर, जहाँ प्रस्तुति के लगातार मौके मिल रहे हैं, वहीं कई अवार्ड ने भी भी उसके कद को बढ़ाया है। निशा वाडेकर(Nisha Wadekar) से हमने खास बातचीत की। निशा ने बताया कि वर्ष 2014 में उसने कत्थक नृत्य सीखने के लिए क्लास ज्वाईन किया था। उस समय वह, 11 वर्ष की थी।  उसके पिता अजय वाडेकर गायक हैं और इंदु कुमारी आंगनबाड़ी सेविका हैं। वह अपने माता-पिता के आशिर्वाद(parents' blessings) से आज इस मुकाम पर पहुँची है।

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जिस समय उसने डांस क्लास शुरू किया था, उस समय समाज  के लोग उसका मज़ाक उड़ाया करते थे। लोग फिकरे कसते हुए कहते थे कि पिता गाना गाएंगे और बेटी नाचेंगी।  लेकिन उसके माता-पिता की बलिहारी है कि उन्होंने, कभी उसका हौसला टुटने नहीं दिया । यही कारण है कि आज वह इतने बड़े-बड़े मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर पा रही है। महज डेढ़ साल तक एक संगीत संस्थान से उसने नृत्य सीखा और उसके बाद वह स्वयं  अपने घर पर ही, टेलीविजन शो देख-देख कर नृत्य का अभ्यास कर रही है। नेहा ने साफ लहजे में कहा कि उसकी सारी कामयाबी के पीछे उसकी माँ है। निशा पहले सहरसा जिला, फिर कोसी  प्रमंडल स्तर पर अपनी प्रस्तुति से लोगों की चहेती बन गई। शहर के अन्य कई सांस्कृतिक कार्यक्रम में वह अपनी लगन और मेहनत से, बेस्ट परफॉर्मर बन गई। गौरतलब है कि तीन भाई बहनों में, सबसे बड़ी निशा राजगीर महोत्सव में प्रसिद्ध गायक सुरेश वाडेकर की मौजूदगी में कत्थक नृत्य प्रस्तुत कर वाहवाही बटोर चुकी है।

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इसके अलावा कोसी महोत्सव, उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव, युवा महोत्सव, बिहार उत्सव, पाटलिपुत्र महोत्सव में अपनी प्रस्तुति दे चुकी है। सहरसा में वर्ष 2018 में आयोजित कोसी फिल्म फेस्टिवल में भी वह, अपने नृत्य का लोहा मनवा चुकी है। कोरोना के लॉकडाउन के समय में, उसके प्रैक्टिस का सिलसिला छूटता चला गया था। लेकिन अब फ़िर से वह जबरदस्त तरीके से प्रैक्टिस कर रही है। उसका सारा फोकस अब सीखने और अपनी कमियों को दूर करने पर है। वह कत्थक नृत्य में इतनी महारत हासिल करना चाहती है, जिससे कि आने वाली पीढ़ी के बीच वह अपनी उपलब्धियों को साझा कर सके। उसकी प्रबल ईच्छा है कि देश के परम्परागत नृत्य कत्थक को वह मजबूती से जिंदा रख सके। वर्तमान में वह नृत्य के साथ-साथ पटना में रह कर, जेनरल कम्पिटीशन की तैयारी कर रही है। निशा की प्रतिभा यह बता रही है कि भारतीय कत्थक में वह, आने वाले समय में वह सशक्त हस्ताक्षर साबित होगी।

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