आज रिटायर होगा मिग-21 लड़ाकू विमान, जानें कौन सा विमान लेगा इसकी जगह

आज रिटायर होगा मिग-21 लड़ाकू विमान, जानें कौन सा विमान लेगा इसकी जगह

Retirement Of Mig 21

Retirement Of Mig 21

नई दिल्ली/चंडीगढ: Retirement Of Mig 21: छह दशकों से भी अधिक समय से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की ताकत रहे प्रसिद्ध रूसी लड़ाकू विमान मिग-21 शुक्रवार को चंडीगढ़ में आयोजित होने वाले एक समारोह में सेवामुक्त हो जाएंगे.

62 साल पहले वायुसेना में शामिल हुआ था मिग-21

मिग-21 विमानों के संचालन का आधिकारिक समापन 26 सितंबर को चंडीगढ़ में एक औपचारिक फ्लाईपास्ट और विदाई समारोह के साथ होगा, जहां इस प्रतिष्ठित विमान को 62 साल पहले वायुसेना में शामिल किया गया था.

ऐतिहासिक अध्याय के समापन का प्रतीक

यह भारत की वायुशक्ति में एक ऐतिहासिक अध्याय के समापन का प्रतीक होगा. भारतीय वायु सेना के पूर्व अधिकारी ओपी तिवारी ने कहा कि मिग-21 भारत का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान है. वर्तमान में भारत में 2500 से ज़्यादा लड़ाकू पायलट इस विमान को उड़ाने के लिए योग्य हैं.

चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर आयोजित समारोह में विदाई

'पैंथर्स' उपनाम वाले तेईसवें स्क्वाड्रन के अंतिम मिग-21 विमान को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर आयोजित समारोह में विदाई दी जाएगी, जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे. इस अवसर पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे.

MiG-21 एक ऐसा योद्धा...

एयर चीफ मार्शल एपी. सिंह शुक्रवार को विमान की अंतिम उड़ान में सवार होंगे. साल 1981 में भारतीय वायुसेना प्रमुख बने दिलबाग सिंह ने 1963 में यहां पहली मिग-21 स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था. मिग-21 विमानों के बारे में हाल ही में 'एक्स' पर एक पोस्ट में भारतीय वायुसेना ने कहा था, "छह दशकों की सेवा, साहस की अनगिनत कहानियां, एक ऐसा योद्धा जिसने राष्ट्र के गौरव को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया."

पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए

देश को छह दशकों से ज्यादा की सेवा देने के बाद लड़ाकू विमान मिग-21 शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो रहा है. भारतीय वायुसेना के पूर्व सैनिकों ने इसे बेहद भावुक क्षण बताया है. वह इसलिए क्योंकि इस लड़ाकू विमान ने 1971 के युद्ध, कारगिल युद्ध या फिर ऑपरेशन सिंदूर, दुश्मनों के खिलाफ भारत के हवाई हमलों में अहम भूमिका निभाई है.

मिग-21 भारत का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान

MiG-21 कभी भारत का सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान हुआ करता था. दरअसल, इस समय भारत में 2500 से ज्यादा लड़ाकू पायलट इस विमान को उड़ाने के लिए योग्य हैं. वायुसेना के पूर्व एयर मार्शल ओपी तिवारी ने ईटीवी भारत से कहा कि, रूस ने 1959 में पहली बार मिग-21 लेकर आया था. 1961 में भारत के पायलट प्रशिक्षण के लिए रूस गए थे.

उन्होंने कहा कि, 1963 में देश के पास पहला मिग-21 स्क्वाड्रन था और उसके बाद हमारे पास कई मिग विमान आए. रूस ने सारी तकनीक दी जिसके बाद एचसीएल ने देश में मिग बनाना शुरू किया. भारत में हमारे पास 871 मिग-21 विमान थे.

बेहद भावुक क्षण

मिग 21 के सेवामुक्त होने को अपने लिए बेहद भावुक क्षण बताते हुए तिवारी ने कहा कि, भारत में कम से कम 600 मिग 21 का उत्पादन हुआ था. यह लंबे समय तक भारतीय वायुसेना की मुख्य ताकत रहा. 2013 में, भारत ने इसके कुछ संस्करणों को सेवानिवृत्त कर दिया। फिर भारत ने कई बदलावों के साथ मिग 21 बाइसन बनाया.

तिवारी ने कहा कि भारतीय वायु सेना मिग-21 का सबसे बड़ा विदेशी ऑपरेटर है. तिवारी के मुताबिक, मिग-21 सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान था. दुनिया भर में 10,000 से ज़्यादा मिग-21 लड़ाकू विमानों का उत्पादन किया गया. तिवारी ने याद करते हुए कहा कि, 1971 में इसने एक अहम भूमिका निभाई और फिर कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई. चाहे बालाकोर हमला हो या ऑपरेशन सिंदूर, मिग-21 हमेशा सक्रिय रहा.

आज के युद्ध के तौर-तरीकों में आमूल-चूल परिवर्तन का जिक्र करते हुए तिवारी ने कहा कि आज के लड़ाकू विमानों को कुशल होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि, हमने रूस-यूक्रेन युद्ध देखा है. हमने ऑपरेशन सिंदूर भी देखा है. लड़ाकू विमानों को भार वहन करने में सक्षम होना चाहिए. इसमें सटीकता होनी चाहिए. हमारे पास पर्याप्त विमान हैं और सभी विमानों को समय के साथ संशोधित करने की आवश्यकता है.

मिग-21 की चिरस्थायी विरासत का सम्मान करते हुए, वायुसेना प्रमुख मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में इस दिग्गज लड़ाकू विमान का संचालन करने वाली अंतिम स्क्वाड्रन, 23 स्क्वाड्रन 'पैंथर्स' का दौरा किया. सिंह ने एक लड़ाकू उड़ान भरी और स्क्वाड्रन लीडर प्रिया के नेतृत्व में एक फॉर्मेशन में भी उड़ान भरी, जो परंपरा और परिवर्तन दोनों का प्रतीक है.

1963 में शामिल होने के बाद से ही लड़ाकू विमान मिग-21 भारत की वायु रक्षा का एक अभिन्न अंग रहा ह.। इसने 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्धों के साथ-साथ 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 में बालाकोट हवाई हमलों में भी प्रमुख भूमिका निभाई. ऑपरेशन सिंदूर में भी इसने एक ढाल का काम किया.

सेवामुक्ति समारोह में दो फॉर्मेशन में उड़ान

शुक्रवार को सेवामुक्त होने के साथ ही भारत के वायु शक्ति इतिहास के एक युग का अंत हो जाएगा. गौरतलब है कि मिग-21 को पहली बार चंडीगढ़ में शामिल किया गया था और इसकी सेवानिवृत्ति चंडीगढ़ में ही हो रही है.

वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि, "सेवामुक्ति समारोह में, हम दो फॉर्मेशन में उड़ान भरेंगे. पहला बादल फॉर्मेशन और दूसरा पैंथर फॉर्मेशन. अंतिम फॉर्मेशन में, एलसीए तेजस एक होगा, जो मिग-21 का स्थान लेगा." भारतीय वायुसेना ने सेवानिवृत्त हो रहे मिग-21 के बारे में एक्स पोस्ट में कहा कि, छह दशकों की सेवा, साहस की अनगिनत कहानियाँ, एक ऐसा युद्ध अश्व जिसने राष्ट्र के गौरव को आसमान में पहुंचाया.

कमांडिंग ऑफिसर, नंबर 23 स्क्वाड्रन के ग्रुप कैप्टन नंदा राजेंद्र, ने कहा कि, यह सचमुच "पैंथर्स" के लिए गर्व का क्षण है, खासकर "पैंथर्स" के लिए. हम अपनी संचालन क्षमता में मिग-21 का अंतिम संचालन स्क्वाड्रन हैं. उन्होंने कहा कि, वे 26 सितंबर को उड़ान भरेंगे.

मिग-21 ने पिछले 62 साल से देश की सेवा की

राजेंद्र ने कहा कि मिग-21 ने पिछले 62 साल से देश की सेवा की है. 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान सबसे उन्नत लड़ाकू विमान होने के नाते, यह भारत द्वारा की गई सभी सैन्य कार्रवाइयों का मुख्य रक्षक रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी, यह एक विरासत वाला लड़ाकू विमान था. हालांकि, इसे ऑपरेशनल रेडीनेस प्लेटफॉर्म (ORP) ड्यूटी सौंपी गई थी और अगर जरूरत पड़ी तो हम आसमान की रक्षा के लिए तैयार थे.

एक अन्य वायु सेना के पूर्व सैनिक, एयर कमोडोर नितिन साठे के अनुसार, छह दशकों से भी ज़्यादा समय से मिग 21 सिर्फ एक विमान से कहीं बढ़कर रहा है. यह युद्ध और शांति के दौर में एक आदर्श और भरोसेमंद साथी रहा है और लड़ाकू पायलटों की पीढ़ियों के लिए एक परीक्षण स्थल रहा है। यह डेल्टा विंग इंटरसेप्टर, जहाँ तक हमें याद है, हमेशा से एआईएफ की रीढ़ रहा है.

आईएएफ पॉडकास्ट में, साठे ने कहा कि 1965, 1971 से शुरू हुए सभी युद्धों, 1999 के कारगिल युद्ध और हाल ही में हुए बालाकोट हमले और ऑपरेशन सिंदूर से लेकर हवाई क्षेत्र के मिशन से लेकर जमीनी हमले तक, मिग 21 हमेशा मौजूद रहा है और अक्सर मुश्किल क्षणों में बाज़ी पलट दी है.

साठे ने कहा, "आज जब हम इस दिग्गज को विदाई देने जा रहे हैं, हम सिर्फ़ एक मशीन को अलविदा नहीं कह रहे हैं, बल्कि हम साहस, बलिदान, नवाचार और सबसे बढ़कर उन पुरुषों और महिलाओं के जज्बे की विरासत का जश्न मना रहे हैं जिन्होंने मिग 21 को उड़ाया, उसका रखरखाव किया और उसके साथ रहे."

'पैंथर्स' उपनाम से जानी जाने वाली 23वीं स्क्वाड्रन के आखिरी मिग-21 जेट को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर सेवामुक्ति समारोह में विदाई दी जाएगी। शुक्रवार को, एयर चीफ मार्शल सिंह 'बादल 3' नाम से स्क्वाड्रन की आखिरी उड़ान भरेंगे.