Meaning of Liz Truss's victory

लिज ट्रस की जीत के अर्थ

Meaning of Liz Truss's victory

Meaning of Liz Truss's victory

Meaning of Liz Truss's victory : ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार ऋषि सुनक को हराकर यह सर्वोच्च पद पाया है। वे पिछली बोरिस जाॅनसन सरकार में विदेश मंत्री रही हैं। ऋषि सुनक हारे जरुर हैं लेकिन उन्हें 43 प्रतिशत वोट मिल गए जबकि ट्रस को 57 प्रतिशत वोट मिले। सुनक अंग्रेज नहीं हैं। भारतीय मूल के हैं। उनके पिता गुजराती और माँ पंजाबी हैं। इसके बावजूद उन्हें ट्रस के 81 हजार वोटों के मुकाबले 60 हजार वोट मिल गए, यह अपने आप में भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

जिस अंग्रेज ने भारत पर लगभग 200 साल राज किया, उसी अंग्रेज के सिंहासन तक पहुंचने का अवसर एक भारतीय को मिल गया। सुनक का यह साहस ही था कि उन्होंने अपना इस्तीफा देकर बोरिस जाॅनसन की सरकार को गिरवा दिया। वित्तमंत्री के तौर पर उन्हें काफी सराहना मिली थी लेकिन कई छोटे-मोटे विवादों ने उनकी छवि पर प्रश्न चिन्ह भी उछाल दिए थे। यदि वे जीत जाते तो 21 वीं सदी की वह उल्लेखनीय घटना बन जाती लेकिन हारने के बावजूद उन्होंने जो बयान दिया है, उसमें आप भारतीय उदारता और गरिमा की झलक देख सकते हैं। उन्होंने ट्रस को बधाई दी है और कंजर्वेटिव पार्टी को एक परिवार की तरह बताया है।

लिज ट्रस कैसी प्रधानमंत्री साबित होंगी, यह कहना मुश्किल है। अगले दो साल तक उनकी कुर्सी को कोई हिला नहीं सकता लेकिन 2024 के चुनाव में वे अपनी पार्टी को कैसे जिता पाएंगी, यह देखना है। बोरिस जाॅनसन का उन्हें पूरा सहयोग रहेगा लेकिन उनकी हालत इस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ की तरह हो गई है। वे जिस वक्त में प्रधानमंत्री बनी हैं, वह ऐसा खराब है, जैसा पिछले कई दशकों में नहीं रहा है। ब्रिटेन में मंहगाई, बेरोजगारी, महामारी आदि की समस्याओं ने तो सिर उठा ही रखा है, उसकी अर्थव्यवस्था बिल्कुल डांवाडोल हो रही है। आम आदमी सरकारी टैक्स भरने से बेहद परेशान है।

ट्रस का कहना है कि टैक्स घटाने में वे कोताही नहीं करेंगी। लेकिन ब्रिटेन के कई मजदूर-संगठनों ने अभी से हड़तालों और प्रदर्शनों की घोषणा कर दी है। विदेश मंत्री के तौर पर उनके द्वारा दिए गए कई बयानों की ब्रिटिश अखबारों ने काफी मजाक उड़ाई है लेकिन यूक्रेन के बारे में उनकी रूस-विरोधी नीति को काफी समर्थन मिला है। यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के संबंध को घनिष्ट बनाने के लिए भी वे कृतसंकल्प हैं। रूस-चीन की हिंद-प्रशांत नीति के विरोध में भी वे सक्रिय रहेंगी। रूस सरकार ने ट्रस के प्रधानमंत्रित्व का काफी मजाक उड़ाया है लेकिन ऋषि सुनक की हार के बावजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रस का स्वागत किया है। कोई आश्चर्य नहीं कि ट्रस-काल में ही भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता हो जाए। विदेश मंत्री की हैसियत में वे दो बार भारत आ चुकी हैं। यह भी संभव है कि उनके मंत्रिमंडल में भारतीय मूल के कुछ नेताओं को महत्वपूर्ण विभाग सौंपे जाएं। ऋषि सुनक को पराजित करनेवाली अंग्रेज नेता को भारत के प्रति अतिरिक्त उदारता दिखाने में ही ज्यादा लाभ होगा।

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक