Is enforcement of law a threat to democracy?

Editorial : क्या कानून का पालन कराना लोकतंत्र पर संकट है?

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Is enforcement of law a threat to democracy?

Is enforcement of law a threat to democracy? : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का विदेश की धरती पर अपनी जासूसी का आरोप ऐसा ही है कि कोई अपने घर की दिक्कत को पड़ोस में जाकर जाहिर करे। भारत लोकतंत्र की जननी है और आजकल जी-20 देशों की अध्यक्षता के जरिये भारत विश्व को यह समझाने में जुटा है कि उसकी अहमियत क्या है। हालांकि कांग्रेस नेता वे चाहे देश में रहें या फिर विदेश में, अपने ही देश और उसकी सरकार के खिलाफ लक्षित विरोधी अभियान क्यों चला रहे हैं इस पर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन दूसरी ओर सच्चाई यह है कि पेगासस का सच अभी तक पूरी तरह सामने नहीं आया है। आरोप अपनी जगह हैं, लेकिन यह सच्चाई अभी तक उजागर नहीं हुई है कि किस मंशा से ऐसा हुआ है। हालांकि राहुल गांधी ने लंदन में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एक तरह से मोदी सरकार की शिकायत करते हुए ऐसे आरोप लगाए हैं, जोकि वे देश के अंदर रहते हुए लगाते आए हैं। यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि आखिर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपने ही देश और उसकी सरकार के खिलाफ विदेश की धरती को इस्तेमाल क्यों कर रहे हो? क्या यह कांग्रेस की सत्ता से बाहर रहने की बेचैनी है या फिर देश के अंदर कांग्रेस का लगातार घटता जनमत है।

बीते दिनों संसद के सत्र के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उद्योगपति गौतम अदाणी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए थे, हालांकि संसद में एक-एक शब्द की जिम्मेदारी लेनी होती है। राहुल गांधी इस आरोप को कैसे साबित करेंगे, यह उन्होंने नहीं बताया और जब विशेषाधिकार हनन का नोटिस उन्हें भेजा गया तो उन्होंने अपनी टिप्पणियों को सही ठहराया है। पेगासस जासूसी मामले में भी उनके बयान आशंकित करते हैं कि वे तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि गुप्तचर अधिकारियों ने उन्हें फोन किया था कि वे फोन पर बात करते समय सतर्क रहें, क्योंकि उनके पास रिकॉर्डिंग का सॉफ्टवेयर था। आखिर राहुल गांधी की अगर अधिकारियों को जासूसी ही करनी थी तो वे उन्हें बता कर यह काम क्यों कर रहे थे, यह सवाल अहम है। कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिस पर शक होगा, उसकी जांच हो सकती है, उससे पूछताछ भी हो सकती है, फिर देश में हालात अगर ऐसे बन जाएं कि अपनी सरकार के साथ खड़े होने के बजाय चीन और पाकिस्तान के साथ सुर अलापे जाएं तो फिर तमाम पक्षों से जांच किए जाने में कैसी अड़चन रह जाती है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का यह सवाल इसी संदर्भ में है कि पेगासस की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच के समय राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने अपने मोबाइल फोन उपलब्ध क्यों नहीं कराए थे। यानी राहुल गांधी विदेश की धरती पर जाकर जो आरोप लगा रहे हैं, उनकी सच्चाई भी क्या है, कितनी है। क्या पूर्व प्रधानमंत्रियों के खानदान से होने का मतलब यह है कि आप कानून से भी ऊपर हो जाते हो। भारत में गांधी परिवार बार-बार यही दोहराता रहता है कि कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई, इसलिए देश बर्बाद हो गया है। क्या कांग्रेस यह बताएगी कि क्या देश पर उसी का एकाधिकार है, कि राज करेगी तो सिर्फ वही करेगी। वास्तव में इन सभी बातों और विषयों पर बहस होनी चाहिए। लेकिन इस तरह के आरोप पूरी तरह से सही नहीं है कि भारत में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। देश में मीडिया और न्यायपालिका पर नियंत्रण किया जा रहा है, सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है या फिर अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और अजा समाज के लोगों का दमन हो रहा है। सोच-विचार कोई भौतिक वस्तु नहीं है, वह आत्मिक प्रेरणाएं हैं, अगर कोई बात हमें अपने मुताबिक होती नजर नहीं आती है तो वह हमें अनुचित लगने लगती है। फिर उसके संदर्भ में हम नकारात्मक रूख अपना लेते हैं।

राहुल गांधी जिस भारत भूमि से जाकर ब्रिटेन की धरती पर यह बात कह रहे हैं, वह भी भारतीय लोकतंत्र की आजादी की वजह से है। अगर किसी व्यक्ति को अपमानित किया जाता है तो उसके पास कानून का सहारा लेने की आजादी है। फिर एक प्रधानमंत्री पर अगर आक्षेप लगते हैं तो क्या उन्हें इसका हक नहीं है कि वे कानून का सहारा लें। लेकिन इसे अभिव्यक्ति की आजादी का दमन बताया जाता है। देश में इस समय बदलाव की बयार है। यह बदलाव सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, आर्थिक और भौतिक स्वरूपों में हो रहा है। जिन्हें बदलाव की चाहत नहीं है, वे विरोध के स्वर अलाप रहे हैं। उनका यह कहना उचित नहीं है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। अगर ऐसा हुआ भी तो ब्रिटेन इसमें हमारी कोई मदद नहीं कर सकता। इसे बचाने की जिम्मेदारी हमारी खुद की है, यह कार्य तभी नहीं होगा जब कांग्रेस सत्ता में होगी। कांग्रेस के पास बतौर विपक्ष अहम जिम्मेदारी है, जिसका निर्वाह वह सकारात्मक तरीके से जनमत निर्माण करने में कर सकती है, हमेशा विरोधी रवैया रखकर ही कामयाबी हासिल नहीं की जा सकती। कांग्रेस को रचनात्मक होना चाहिए। 

 

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