दो करोड़ का कर्ज था, बैंकक्रप्ट हुआ, पर परिवार ने संभाला" Saiyaara स्टार राजेश कुमार की वापस लौटने की प्रेरक कहानी

rajesh kumar: कभी टीवी के दुनिया में राज करने वाले राजेश कुमार ने जब अपना एक्टिंग करियर छोड़ा तो उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी पूरी तरह से खतरे में आ जाएगी। लेकिन कहते हैं ना की “मन के हारे हार है और मन के जीते जीत” ठीक उसी प्रकार राजेश कुमार ने भी अपने जीवन में हिम्मत नहीं हारी और अपने बुरे वक्त से निकलकर फिर एक बार टीवी की दुनिया में वापसी कर उन्होंने सबके लिए एक प्रेरणा बना दी हैं।
नीचे की जमीन से दो करोड़ रुपये के कर्ज तक
2019 में अभिनय छोड़कर खेती करने का निर्णय लेने वाले राजेश ने बताया कि उस व्यवसाय ने उन्हें आर्थिक तौर पर पूरी तरह से तबाह कर दिया। कुछ ही सालों में उनकी बचत खत्म हो गई और वे दो करोड़ रुपये के निजी ऋण में दब गए। बैंकक्रप्टसी की सोच उनका हिस्सा बन गई और बैंक अकाउंट में मात्र ₹2,500 रहते थे। वे यह भी स्वीकार करते हैं कि "मैं रोजमर्रा की ज़रूरतों के लिए भी पैसा नहीं कमा पा रहा था"।
परिवार बना एक मजबूत सहारा
जीवन के इस कठिन मोड़ पर राजेश को उनकी परिवार की निःस्वार्थ समर्थन ने बचाया। उन्होंने माना कि जब उनके पास कोई स्रोत नहीं था, तब भी उनके परिवार ने उन्हें बेझिझक संभाला: "मैं परिवार के सहारे जीवित था"।
खेती, आत्म-सम्मान और अभिनय की गहराई
राजेश का मकसद खेती को अपमानजनक पेशे के रूप में नहीं देखने देना था। उन्होंने खुले दिल से कहा कि वह “खेती को सम्मान दे कर दिखाना चाहते थे”। हालांकि असली जीवन ने उन्हें कर्जा और निराशा दी, पर इस दौरान उन्होंने नम्रता, मेहनत और ज़मीन से जुड़ाव का गहन अनुभव किया। उन्होंने स्वीकार किया कि इस अनुभव ने उन्हें बेहतर एक्टर बनाया। जब उन्हें पर्दे पर भावनात्मक दृश्यों की जरूरत होती है, तो वे अपने बुरे दिनों को याद कर आंखों में आंसू ले आते हैं।
“सैयारा” से हुई वापसी
अब राजेश “सैयारा” के माध्यम से नई पहचान बना चुके हैं। उन्होंने Aaneet Padda के एक पिता के रूप में गहरा प्रभाव छोड़ा। फिल्म ने ₹400 करोड़+ की कमाई कर दर्शकों और आलोचकों दोनों का दिल जीत लिया और संभवतः ₹500 करोड़ पार कर जाएगी। उनकी सादगी और सहज डिलीवरी ने साबित कर दिया कि संघर्षों से होकर गुजरने वाले व्यक्ति की भावनाएँ पर्दे पर कितनी विश्वसनीय और सजीव बन सकती हैं। राजेश कुमार की कहानी उस असत्य को चुनौती देती है कि किसी कठिनाई के बाद वापसी संभव नहीं। वे यह उदाहरण हैं कि कैसे व्यक्ति अपने सबसे अँधेरे दौर से भी वापसी कर सकता है, जब उसके पास परिवार की सहायता हो, अडिग इरादा हो, और सीखने की इच्छा हो। बैंकक्रप्ट होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, खेती को सम्मानित रूप देने की सोच रखी, और फिर “सैयारा” की सफलता ने उन्हें एक नए जोश और पहचान से नवाज़ा।