Rahul Gandhi Speech: राहुल गांधी का बयान- मैं राजा नहीं बनना चाहता; बोले- आने वाले कुछ दिनों में चुनाव में धांधली साबित कर देंगे

राहुल गांधी का बयान- मैं राजा नहीं बनना चाहता; बोले- आने वाले कुछ दिनों में चुनाव में धांधली साबित कर देंगे, हमारे पास ऐसे सबूत हैं

Rahul Gandhi Says I Dont Want Become King Speech in Annual Legal Conclave

Rahul Gandhi Speech: कांग्रेस सांसद और लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आज दिल्ली में आयोजित पार्टी के वार्षिक लीगल कॉन्क्लेव में पहुंचे। जहां वह मोदी सरकार पर जमकर बरसे और चुनाव आयोग को आरोपों के घेरे में लिया। इस बीच हॉल में राहुल गांधी के लिए जोरदार नारे भी लगे। 'देश का राजा कैसा हो, राहुल गांधी जैसा हो' यह नारे लगाए जा रहे थे। जिसकी प्रतिक्रिया में राहुल गांधी ने कहा कि, मैं राजा नहीं बनना चाहता।

दरअसल, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "नहीं.. नहीं... मैं राजा नहीं हूं। राजा बनना भी नहीं चाहता हूं। मैं राजा के कॉन्सेप्ट के खिलाफ हूँ।" वहीं आगे राहुल गांधी ने कहा, "हम आने वाले कुछ दिनों में यह साबित कर देंगे कि लोकसभा चुनाव में कैसे धांधली हो सकती है और हुई भी है। राहुल ने कहा कि, "सच्चाई यह है कि भारत में चुनाव प्रणाली पहले ही खत्म हो चुकी है। भारत के प्रधानमंत्री बहुत कम बहुमत के साथ भारत के प्रधानमंत्री हैं।

आज चुनाव आयोग का अस्तित्व ही नहीं

राहुल गांधी ने कहा, "हमारे पास ऐसे सबूत हैं जो पूरे देश को दिखा देंगे कि चुनाव आयोग जैसी संस्था का आज अस्तित्व ही नहीं है, यह गायब हो चुकी है। सबूतों को खोजने में हमने 6 महीने लगातार काम किया है। अब लोग बिना किसी संदेह के देखेंगे कि कैसे एक लोकसभा चुनाव चुराया जाता है। राहुल ने कहा कि, चुनाव में धांधली इस कदर हो रही है कि 6.5 लाख मतदाता वोट देते हैं और उनमें से 1.5 लाख मतदाता फर्जी होते हैं।

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राहुल बोले- 2014 से ही कुछ गड़बड़ है

राहुल गांधी ने कहा कि, मैं लंबे समय से चुनाव प्रणाली के बारे में बोल रहा हूं। मुझे हमेशा से संदेह था कि 2014 से ही कुछ गड़बड़ है। मुझे गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले से ही संदेह था कि किसी पार्टी की इतनी व्यापक जीत हासिल करने की क्षमता कैसे हो सकती है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी को राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात में एक भी सीट नहीं मिलती, यह मेरे लिए आश्चर्यजनक था।

लेकिन उस दौरान जब भी हम बोलते थे तो लोग कहते थे, सबूत कहां है? फिर, महाराष्ट्र चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ। लोकसभा में, हम चुनाव जीत गए और फिर 4 महीने बाद विधानसभा चुनाव में हम न केवल हारे, बल्कि हमारा सफाया ही हो गया। तीन दल अचानक गायब हो गए। इसके बाद से हमने चुनावी कदाचार की गंभीरता से तलाश शुरू की। हमें यह महाराष्ट्र में पता चला, लोकसभा और विधानसभा के बीच 1 करोड़ नए मतदाता सामने आए। इनमें से अधिकांश वोट भाजपा को गए।