भाजपा ने मनरेगा को खत्म कर छीनी दलितों और गरीबों के रोजगार की गारंटी- भगवंत मान

BJP has Snatched away the Employment Guarantee of Dalits

BJP has Snatched away the Employment Guarantee of Dalits

- इस पाप में अकाली दल भी भाजपा के साथ, तभी मनरेगा खत्म करने पर खामोश है- भगवंत मान

- आम आदमी पार्टी दलितों और मजदूरों की आवाज बनेगी और उनकी बात पीएम तक पहुंचाएगी- भगवंत मान

- ‘पंजाब-विरोधी सिंड्रोम’ से ग्रसित भाजपा की केंद्र सरकार लगातार पंजाब के खिलाफ फैसले ले रही है- भगवंत मान

- एक तरफ केंद्र ‘अपने चहेते’ उद्योगपतियों को सब्सिडी देता है और दूसरी तरफ गरीबों का अधिकार छीनता है- भगवंत मान

- दलितों-गरीबों से भोजन का अधिकार छीनकर भारत कैसे ‘विश्वगुरु’ या ‘विकसित भारत’ बन सकता है?- भगवंत मान

- बहस से भागना कांग्रेस की गरीब विरोधी मानसिकता और भाजपा से मिलीभगत को उजागर करता है- भगवंत मान

- विधानसभा के विशेष सत्र में मनरेगा को चालू रखने और इसमें केंद्र सरकार की ओर से किए गए बदलावों के विरोध में प्रस्ताव पास

चंडीगढ़, 30 दिसंबर 2025: BJP has Snatched away the Employment Guarantee of Dalits: मनरेगा की जगह लाए गए नए विकसित भारत जी-राम-जी कानून को लेकर मंगलवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में जोरदार चर्चा हुई। इस दौरान मनरेगा को चालू रखने और इसमें केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलावों के विरोध में पेश प्रस्ताव ध्वनि मत से पास कर दिया गया। सीएम भगवंत मान ने कहा कि भाजपा ने मनरेगा को खत्म कर दलितों और गरीबों के रोजगार की गारंटी छीन ली है। भाजपा की केंद्र सरकार विकसित भारत जी-राम-जी कानून को तत्काल वापस ले और मनरेगा को वापस लागू करे। भाजपा इस पाप में अकाली दल भी उसके साथ है। इसीलिए मनरेगा को खत्म करने पर खामोश है। लेकिन आम आदमी पार्टी दलितों और मजदूरों की आवाज बनेगी और उनकी बात पीएम तक पहुंचाएगी। इस कानून का उद्देश्य कमजोर और वंचित वर्गों से न सिर्फ उनका भोजन छीनना है, बल्कि उनकी गरिमा और आत्मसम्मान भी छीनना है। 

मंगलवार को इस मुद्दे पर आयोजित विशेष विधानसभा सत्र में चर्चा के दौरान सीएम भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ कर इसकी मूल भावना को ही खत्म कर दिया है। इस नए कानून के तहत गरीब मजदूरों, महिलाओं और लाखों जॉब कार्ड धारक परिवारों से गारंटीड रोजगार/मजदूरी का अधिकार छीन लिया गया है और राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा वर्षों के विचार-विमर्श के बाद मनरेगा जैसी दूरदर्शी योजना लाई गई थी, जबकि अब ‘विकसित भारत जी-राम-जी’ को संसद में मात्र कुछ घंटों के भीतर पारित कर दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा एक मांग-आधारित योजना थी, जबकि नई योजना मानकों पर आधारित है, जो आम जनता के हित में नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में पंजाब में मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी 60 फीसद और अनुसूचित जातियों की भागीदारी 70 फीसद रही, जिससे स्पष्ट है कि इस योजना के लाभार्थी समाज के सबसे हाशिए पर पड़े वर्ग थे। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि नए कानून के लागू होने से इन वर्गों की आर्थिक स्थिति और अधिक खराब होगी क्योंकि रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि यह कानून सामाजिक और आर्थिक रूप से अनुसूचित जातियों और महिलाओं को कमजोर करने की साजिश है, जिससे असमानता और बढ़ेगी तथा अनावश्यक पीड़ा उत्पन्न होगी। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह कदम आम आदमी से भोजन छीनने की सोची- समझी कोशिश है, जिन्हें मनरेगा से बड़ा लाभ मिला था। पहले जहां कमजोर वर्गों को सुनिश्चित रोजगार मिलता था, अब वह उद्देश्य ही समाप्त कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को फसलों पर एमएसपी की गारंटी देने के बजाय केंद्र सरकार ने अब मजदूरों से उनके काम की गारंटी भी छीन ली है, जिससे व्यापक संकट पैदा होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कानून केंद्र सरकार की उस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत ‘अपने चहेते’ उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाया जाता है, यहां तक कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं भी उनके हित में नियोजित की जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राजधानी में आरामदेह दफ्तरों में बैठे लोग पंजाब के गांवों के विकास की योजनाएं बना रहे हैं, जो जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा एक गहरे ‘पंजाब-विरोधी सिंड्रोम’ से ग्रस्त है और इसी कारण वह लगातार पंजाब के हितों के खिलाफ फैसले ले रही है। चंडीगढ़, पंजाब विश्वविद्यालय, भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड जैसे मामलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का हर कदम पंजाब के अधिकारों को लूटने के लिए उठाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पंजाब को नुकसान पहुंचाने पर तुली हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि भाजपा-नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की मनमानी चली, तो वह राष्ट्रीय गान से भी पंजाब का नाम हटाने में देर नहीं लगाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बार-बार सौतेला व्यवहार कर रही है। पहले अग्निवीर योजना के जरिए अनुसूचित जाति के युवाओं से सेना में अवसर छीने गए और अब इस नए कानून के जरिए उनकी रसोई पर हमला किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ओर अडानी जैसे ‘साहब के मित्रों’ को तरह-तरह की सब्सिडी दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर गरीब-हितैषी योजनाओं के बजट को ‘राजकोषीय प्रबंधन’ के नाम पर घटाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार केवल शब्दों और आंकड़ों का खेल खेलकर लोगों को गुमराह कर रही है। योजना का नाम बदलने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि नाम बदलने के बजाय सरकार को लोगों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए था।

भगवंत मान ने सवाल उठाया कि गरीबों से भोजन और बुनियादी सुविधाएं छीनकर भारत कैसे ‘विश्वगुरु’ या ‘विकसित भारत’ बन सकता है। उन्होंने अकाली दल की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा गुरु साहिबानों के कार्टून सोशल मीडिया पर डालने के बावजूद अकाली नेतृत्व मौन क्यों है। उन्होंने कहा कि अकाली दल विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा से गठबंधन की आस में चुप बैठा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले आठ महीनों तक अकाली दल भाजपा सरकार की तमाम ज्यादतियों पर मूकदर्शक बना रहेगा। उन्होंने पंजाब के भाजपा नेताओं पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे राज्य और पंजाबियों के मुद्दों पर चुप हैं और जनता के प्रति वफादार नहीं हैं। उन्होंने दोहराया कि यह योजना गरीबों से भोजन छीनने की साजिश है और पंजाब सरकार इसे कभी सफल नहीं होने देगी।

राज्य सरकार की जन-हितैषी पहलों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि एजी कार्यालय में अनुसूचित जाति के वकीलों के लिए आरक्षण दिया गया है और अमृतसर व पटियाला की फ्लाइंग स्कूलों में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं। कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जहां कुछ नेता जनता की भलाई की बात करते हैं, वहीं कांग्रेस नेतृत्व केवल अपने स्वार्थों में उलझा है। उन्होंने पंजाब की जनता से इस गरीब-विरोधी कदम के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार जनता की ‘ए-टीम’ है और राज्य व लोगों के हित में हर कदम उठाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि यदि ऐसे जन-विरोधी फैसले लिए गए, तो जनता उन्हें गांवों में घुसने नहीं देगी। उन्होंने दोहराया कि पंजाब सरकार इस बिल का दांत-नाखून से विरोध करेगी और केंद्र की ‘नापाक मंशा’ को सफल नहीं होने देगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम अनुसूचित जाति वर्ग की गरिमा और आत्मसम्मान पर सीधा हमला है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पंजाबियों के अधिकारों की संरक्षक है और किसी को भी उन्हें लूटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर भी तीखा हमला करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सस्ती चालें चल रही है। उन्होंने कांग्रेस से स्पष्ट रुख बताने की मांग की कि वह नई योजना को स्वीकार करती है या नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहस से भागना कांग्रेस की सामंती और गरीब-विरोधी मानसिकता को उजागर करता है तथा भाजपा के साथ उसकी मिलीभगत को दर्शाता है।

कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें सत्ता-लोलुप नेता करार दिया और कहा कि वे केवल मीडिया में बने रहने के लिए सदन की मर्यादा भी नहीं मानते। उन्होंने कहा कि राज्य और जनता के मुद्दों को उठाने के बजाय कांग्रेस नेता व्यक्तिगत प्रचार में लगे हुए हैं।