उपराष्ट्रपति का दफ्तर सील किया गया? जगदीप धनखड़ को तुरंत आवास खाली करने का आदेश, जानिए सरकार ने क्या जानकारी दी

PIB Fact Check on Former Vice President Jagdeep Dhankhar News

PIB Fact Check on Former Vice President Jagdeep Dhankhar News

Jagdeep Dhankhar News: जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं धनखड़ के इस्तीफे को लेकर कई कयासबाजी चल रहीं हैं। कहा जा रहा है कि इस्तीफे के पीछे कुछ बहुत बड़ा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ यह भी बताया जा रहा है कि, इस्तीफे के बाद जल्दी से जल्दी जगदीप धनखड़ से सरकारी सुविधाएं छीनी जा रहीं हैं। उपराष्ट्रपति के दफ्तर को सील किए जाने की बात कही गई है। इसके साथ ही जगदीप धनखड़ को तुरंत उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास को खाली करने का आदेश दिया गया है।

अब सवाल यह है कि, क्या वाकई उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनखड़ के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है। ऐसी खबरों पर केंद्र सरकार की ओर से अब पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से दी गई है। PIB Fact Check के माध्यम से यह साफ किया गया है कि उपराष्ट्रपति दफ्तर और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के संबंध में किए जा रहे दावों में कोई सच्चाई नहीं है। ऐसे दावे पूरी तरह से फेक हैं। मसलन, पीआईबी फैक्ट चेक ने ऐसे दावों को फर्जी बताया है।

PIB Fact Check ने लिखा, ''सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं कि उपराष्ट्रपति के आधिकारिक दफ्तर को सील कर दिया गया है और पूर्व उपराष्ट्रपति को तुरंत अपना आवास खाली करने के लिए कहा गया है। ये दावे फ़र्ज़ी हैं। पीआईबी ने लोगों से कहा कि गलत सूचनाओं पर ध्यान न दें। किसी भी खबर को शेयर करने से पहले हमेशा आधिकारिक स्रोतों से उसकी पुष्टि कर लें।'' फिलहाल तो उपराष्ट्रपति दफ्तर/आवास सील होने और जगदीप धनखड़ के फौरन आवास छोड़ने जैसी खबरें सच नहीं हैं।

क्या है PIB फैक्ट चेक?

PIB का पूरा नाम Press Information Bureau है. PIB केन्द्र सरकार की पॉलिसी/स्कीम्स के बारे में पल-पल जानकारी देता है. इसके अलावा PIB Fact Check का काम यह है कि वह केन्द्र सरकार की पॉलिसी/स्कीम्स से जुड़ी गलत खबरों को उजागर करता है. उनसे सावधान करता है.

इसलिए सरकार से जुड़ी कोई खबर सच है या झूठ है, यह जानने के लिए PIB Fact Check की मदद ली जा सकती है। कोई भी PIB Fact Check को संदेहात्मक खबर का स्क्रीनशॉट, ट्वीट, फेसबुक पोस्ट या URL वॉट्सऐप नंबर 918799711259 पर भेज सकता है या फिर pibfactcheck@gmail.com पर मेल कर सकता है।

धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद छोड़ने से भारी राजनीतिक हलचल

धनखड़ के अचानक उपराष्ट्रपति पद छोड़ने से देश की राजनीति में भारी हलचल पैदा रखी है। जगदीप धनखड़ के इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया है। बता दें कि, 21 जुलाई की रात जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया। जगदीप धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजा था। धनखड़ ने कहा है कि ''मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।''

वहीं इस्तीफे के पीछे धनखड़ ने 'खराब स्वास्थ्य और चिकित्सा सलाह' का हवाला दिया है। हालांकि हेल्थ ग्राउंड पर दिए गए धनखड़ के इस्तीफे को कोई जल्दी से स्वीकार नहीं कर पा रहा है और कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष ने इस पर बेहद हैरानी जताई है। इस्तीफे से पहले जगदीप धनखड़ संसद सत्र के पहले दिन की कार्यवाही में सामान्य रूप से शामिल हुए थे। इसके बाद वह शाम को विपक्ष के सांसदों से मिले भी। किसी को यह नहीं लगा कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं।

विपक्ष का कहना है कि, जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा सामान्य नहीं है। उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं है, बल्कि उनसे इस्तीफा लिया गया है, उनके और मोदी सरकार के बीच संबंध अब ठीक नहीं लग रहे। यह मोदी सरकार की राजनीतिक चाल है। फिलहाल अब सवाल यह है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? फिलहाल इसके लिए चर्चाओं का दौर गर्म है। कुछ नामों पर अटकलें लग रहीं हैं।

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जगदीप धनखड़ के बारे में

जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 को राजस्थान के झुंझनु जिले के किठाना गांव में हुआ था। वह जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। धनखड़ की शुरुवाती पढ़ाई राजस्थान में ही हुई और इसके बाद जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिक्स में स्नातक किया। इसके बाद धनखड़ ने कानून की पढ़ाई के लिए एलएलबी कोर्स में एडमिशन ले लिया और कानून डिग्री हासिल की. इसके बाद धनखड़ ने वकालत शुरू कर दी। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस की। इसके बाद वह धीरे-धीरे राजनीतिक सफर में आ गए।

जगदीप धनखड़ का सियासी सफर

जगदीप धनखड़ ने राजनीति में आने के बाद पहला चुनाव 1989 में झुंझनु से लोकसभा का जीता। वह पहली बार झुंझनु से लोकसभा सांसद बने। इसके साथ ही 1990 में वह संसदीय मामले के केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए गए। इसके बाद वह 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे। वहीं 2019 में सक्रिय राजनीति से दूर होकर जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। वह 30 जुलाई 2019 से 18 जुलाई 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।

वहीं जुलाई 2022 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से हटने के बाद जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में NDA उम्मीदवार के रूप मे उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। 11 अगस्त को धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। अब उन्होंने 21 जुलाई 2025 को उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। इस तरह वह 11 अगस्त 2022 से 21 जुलाई 2025 तक उपराष्ट्रपति रहे। हालांकि, बतौर उपराष्ट्रपति धनखड़ का कार्यकाल 2027 में पूरा होना था। लेकिन इससे पहले ही उन्होंने पद छोड़ दिया।

सरल स्वाभाव के माने जाते हैं जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ पेश से एक नेता के साथ एक वकील भी हैं। उनका व्यक्तित्व सरल और सहज स्वाभाव का है। इतने बड़े पद पर रहते हुए उनका व्यवहार दूसरों के प्रति काफी नर्म देखा गया है। वह शालीन ढंग से अपनी बात कहते आए हैं। हालांकि, बतौर राज्यपाल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से उनका टकराव देखने को मिलता रहा है। इसके बाद बतौर राज्यसभा सभापति भी विपक्ष के साथ कई बार धनखड़ का टकराव हुआ। कुछ विपक्षी सांसदों ने जगदीप धनखड़ की मिम्क्री कर उनका मजाक भी बनाया। जिससे वह काफी आहत हुए थे।