कमल हासन ने संसद में ली शपथ: तमिल भाषा में दिलाई सांसद के तौर पर पहली पहचान

kamal haasan: दक्षिण भारत के दिग्गज अभिनेता और मक्कल नीधि मय्यम (MNM) पार्टी के संस्थापक कमल हासन ने आखिरकार भारतीय संसद में अपने राजनीतिक सफर की आधिकारिक शुरुआत कर दी है। उन्होंने राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ली और खास बात यह रही कि उन्होंने यह शपथ तमिल भाषा में ली, जिससे उन्होंने अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक पहचान को सम्मान दिया।
राजनीति की राह में नया पड़ाव
कमल हासन को तमिलनाडु से राज्यसभा में मनोनीत किया गया है, जो कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपति के माध्यम से मनोनीत सदस्य के रूप में हुआ। राज्यसभा की मनोनीत सीट पर उन्हें ऐसे समय पर भेजा गया है जब भारत की राजनीति में क्षेत्रीय नेताओं की भूमिका लगातार मज़बूत होती जा रही है। अभिनेता से नेता बने हासन को यह अवसर उनकी सामाजिक सक्रियता, स्पष्ट विचारधारा और देशहित में योगदान की क्षमता को ध्यान में रखते हुए मिला है।
शपथ लेते वक्त भी नज़रों में रहे
राज्यसभा में शपथग्रहण के दौरान कमल हासन ने पारंपरिक श्वेत कुर्ता और धोती पहनी हुई थी। उन्होंने पूरी गरिमा और आत्मविश्वास के साथ तमिल भाषा में शपथ ली। उन्होंने शपथ लेते समय संविधान के प्रति पूर्ण निष्ठा और भारत की एकता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई। सदन में मौजूद अन्य नेताओं और सदस्यों ने उनके पहले कदम का स्वागत तालियों के साथ किया।
फिल्मी पर्दे से संसद के गलियारों तक
कमल हासन का सफर एक अभिनेता के रूप में शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और भारतीय सिनेमा को कई यादगार किरदार दिए। परंतु, उनके भीतर सदैव एक जागरूक नागरिक और विचारशील नेता भी रहा है। उन्होंने राजनीति में अपने कदम 2018 में मक्कल नीधि मय्यम (MNM) पार्टी की स्थापना के साथ रखा, जिसका मकसद था। भ्रष्टाचारमुक्त शासन और जनता-आधारित निर्णय प्रक्रिया।
तमिल पहचान और राष्ट्रीय मंच
तमिल भाषा में शपथ लेकर कमल हासन ने यह संदेश भी दिया कि आंचलिक भाषाओं और संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर समान मान्यता मिलनी चाहिए। उनकी यह पहल उस बहस को फिर से ज़ोर देती है जो भारत में भाषा और पहचान को लेकर समय-समय पर उठती रही है। उन्होंने दिखा दिया कि संसद में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सिर्फ संख्या से नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति और भाषाई गर्व से भी किया जा सकता है।कमल हासन का राज्यसभा में पदार्पण केवल एक अभिनेता का सांसद बनना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे नागरिक की राजनीतिक सक्रियता है जो समाज में बदलाव लाने की इच्छा रखता है। उनकी संसद में उपस्थिति और कार्यशैली यह तय करेगी कि वे सिर्फ एक चेहरा बनकर रहेंगे या एक सशक्त आवाज बनकर उभरेंगे, जो जनता के मुद्दों को केंद्र में लाकर समाधान की दिशा में काम करेगी।