नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू; इलेक्शन कमीशन ने चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की, अधिसूचना जारी की गई

Election Commission Appointed Returning Officer For Vice President Election 2025
Vice President Election 2025: भारत के उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चयन के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने आज (25 जुलाई) को उपराष्ट्रपति चुनाव के संबंध में चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। जिसके बारे में आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई है।
राज्यसभा के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) ने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए राज्यसभा के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया है। ECI ने बताया कि, रोटेशन के हिसाब से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एक-एक बार के लिए लोकसभा के महासचिव और राज्यसभा के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जाता है। पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान लोकसभा के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया था।
इलेक्शन कमीशन ने कहा कि, अब नियम अनुसार उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 (Vice President Election) के दौरान राज्यसभा के महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जा रहा है। इसके अलावा राज्यसभा सचिवालय की जाइंट सेक्रेटरी गरिमा जैन, राज्यसभा सचिवालय के डायरेक्टर विजय कुमार को सहायक रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया है।
धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद छोड़ने से भारी राजनीतिक हलचल
ज्ञात रहे कि, 21 जुलाई की रात जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेजा। जिसके बाद अगले दिन ही धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। वहीं इस समय जगदीप धनखड़ के अचानक उपराष्ट्रपति पद छोड़ने से देश की राजनीति में भारी हलचल पैदा रखी है। जगदीप धनखड़ के इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया है।
हालांकि इस्तीफे के पीछे धनखड़ ने 'खराब स्वास्थ्य और चिकित्सा सलाह' का हवाला दिया है। लेकिन हेल्थ ग्राउंड पर दिए गए धनखड़ के इस्तीफे को कोई जल्दी से स्वीकार नहीं कर पा रहा है और कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष ने इस पर बेहद हैरानी जताई है। इस्तीफे से पहले जगदीप धनखड़ संसद सत्र के पहले दिन की कार्यवाही में सामान्य रूप से शामिल हुए थे। इसके बाद वह शाम को विपक्ष के सांसदों से मिले भी। किसी को यह नहीं लगा कि वह इस्तीफा देने जा रहे हैं।
विपक्ष का कहना है कि, जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा सामान्य नहीं है। उन्होंने इस्तीफा दिया नहीं है, बल्कि उनसे इस्तीफा लिया गया है, उनके और मोदी सरकार के बीच संबंध अब ठीक नहीं लग रहे। यह मोदी सरकार की राजनीतिक चाल है। फिलहाल अब सवाल यह है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? फिलहाल इसके लिए चर्चाओं का दौर गर्म है। कुछ नामों पर अटकलें लग रहीं हैं।
जगदीप धनखड़ के बारे में
जगदीप धनखड़ का जन्म 1951 को राजस्थान के झुंझनु जिले के किठाना गांव में हुआ था। वह जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं। धनखड़ की शुरुवाती पढ़ाई राजस्थान में ही हुई और इसके बाद जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिक्स में स्नातक किया। इसके बाद धनखड़ ने कानून की पढ़ाई के लिए एलएलबी कोर्स में एडमिशन ले लिया और कानून डिग्री हासिल की. इसके बाद धनखड़ ने वकालत शुरू कर दी। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस की। इसके बाद वह धीरे-धीरे राजनीतिक सफर में आ गए।
जगदीप धनखड़ का सियासी सफर
जगदीप धनखड़ ने राजनीति में आने के बाद पहला चुनाव 1989 में झुंझनु से लोकसभा का जीता। वह पहली बार झुंझनु से लोकसभा सांसद बने। इसके साथ ही 1990 में वह संसदीय मामले के केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए गए। इसके बाद वह 1993 से 1998 तक राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे। वहीं 2019 में सक्रिय राजनीति से दूर होकर जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। वह 30 जुलाई 2019 से 18 जुलाई 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।
वहीं जुलाई 2022 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से हटने के बाद जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में NDA उम्मीदवार के रूप मे उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। 11 अगस्त को धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। अब उन्होंने 21 जुलाई 2025 को उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। इस तरह वह 11 अगस्त 2022 से 21 जुलाई 2025 तक उपराष्ट्रपति रहे। हालांकि, बतौर उपराष्ट्रपति धनखड़ का कार्यकाल 2027 में पूरा होना था। लेकिन इससे पहले ही उन्होंने पद छोड़ दिया।
सरल स्वाभाव के माने जाते हैं जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़ पेश से एक नेता के साथ एक वकील भी हैं। उनका व्यक्तित्व सरल और सहज स्वाभाव का है। इतने बड़े पद पर रहते हुए उनका व्यवहार दूसरों के प्रति काफी नर्म देखा गया है। वह शालीन ढंग से अपनी बात कहते आए हैं। हालांकि, बतौर राज्यपाल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से उनका टकराव देखने को मिलता रहा है। इसके बाद बतौर राज्यसभा सभापति भी विपक्ष के साथ कई बार धनखड़ का टकराव हुआ। कुछ विपक्षी सांसदों ने जगदीप धनखड़ की मिम्क्री कर उनका मजाक भी बनाया। जिससे वह काफी आहत हुए थे।