Holika Dahan date and time confusion then know the exact date.

Holika Dahan आज है या कल! जानिए सही तारीख़ और पूजा का समय 

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Holika Dahan 2023: जैसे कि सबको पता है कि होली में दो दिन रह गए है और सभी लोगों को रंगो को होली और होलिका दहन में अभी Confusion हो रही है। इसे लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम से होली पर्व की शुरुआत हो जाती है। सबसे पहले शाम के समय होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन सुबह के समय रंग वाली होली धुमधाम से खेली जाती है। लेकिन इस वर्ष पूर्णिमा के दिन भद्राकाल के कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर उलझन है, पर कई ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि होलिका दहन के लिए शुभ मूहर्त 6 मार्च, दिन सोमवार को ही है।

होलिका दहन का दिन और शुभ मूहर्त
होलिका दहन 6 मार्च, सोमवार को रात्रि 8 बजे से 08:55 तक का है। होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च दिन सोमवार को इस तिथि का समापन 7 मार्च दिन मंगलवार को शाम 06.09 बजे होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन 7 मार्च दिन मंगलवार को होगा। होलिका दहन के दिन 7 मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। तो इस बार 2023 में होलिका दहन का दिन 6 मार्च है और इसका समापन 7 मार्च को होगा। 

होलिका दहन की तैयारी और महत्व 
होलिका दहन के लिए लगभग एक महीने पहले माघ पूर्णिमा से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन में गाय के गोबर से बने कंडे और कुछ चुने हुए पेड़ों की लकड़ियों को ही जलाना चाहिए। क्योंकि धार्मिक दृष्टि से भी पेड़ों पर किसी न किसी देवता का अधिपत्य होता है। उनमें देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए तीज-त्योहारों पर शास्त्रों में पेड़ों की पूजा करने का भी विधान है, जो हमारे लिए स्वास्थ्य वर्धक व हमारे प्राणों के रक्षक हैं। इसलिए हरे पेड़ों का होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही इसका महत्व होलिका दहन पर्व भी हमें एक अच्छी सीख देता है। होलिका दहन के द्वारा हम समाज के अंदर फैली बुराइयों को जलाते हुए उससे सीख लेते हैं। माना जाता है कि इस दिन हर एक व्यक्ति को संकल्प लेते हुए अपनी असुरी प्रवृत्ति का होलिका की अग्नि में दहन कर देना चाहिए। मान्यता अनुसार जो भी कोई व्यक्ति पूरे विधि विधान से होलिका दहन की पूजा कर उसकी परिक्रमा करता है उसे स्वस्थ जीवन और सुख-समृद्ध की प्राप्ति होती है।