आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) 2 नवंबर 2025 : आज द्वादशी तिथि और तुलसी विवाह, जानें आज के सभी शुभ मुहूर्त

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) 2 नवंबर 2025 : आज द्वादशी तिथि और तुलसी विवाह, जानें आज के सभी शुभ मुहूर्त

Aaj ka Panchang 02 November 2025

Aaj ka Panchang 02 November 2025

Aaj ka Panchang 02 November 2025: आज यानी 02 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस तिथि पर तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन तुलसी विवाह करने से वैवाहिक सुख में खुशियों का आगमन होता है। तुलसी विवाह के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 02 November 2025) के बारे में।

तिथि: शुक्ल एकादशी
मास पूर्णिमांत: कार्तिक
दिन: रविवार
संवत्: 2082

तिथि: शुक्ल एकादशी प्रातः 07 बजकर 31 मिनट तक, फिर द्वादशी
योग: व्याघात रात्रि 11 बजकर 11 मिनट तक
करण: विष्टि प्रातः 07 बजकर 31 मिनट तक
करण: बव सायं 06 बजकर 24 मिनट तक
करण: 3 नवम्बर को बालव प्रातः 05 बजकर 07 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 34 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 35 मिनट पर
चंद्रोदय: दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर
चन्द्रास्त: 3 नवम्बर को सुबह 03 बजकर 50 मिनट पर

सूर्य राशि: तुला
चंद्र राशि: कुंभ
पक्ष: शुक्ल

आज के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक
अमृत काल: प्रातः 09 बजकर 29 मिनट से 11 बजे तक

आज के अशुभ समय

राहुकाल: सायं 04 बजकर 12 मिनट से सायं 05 बजकर 35 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 02 बजकर 50 मिनट से सायं 04 बजकर 12 मिनट तक
यमगण्ड: दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक

देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह

देवउठनी एकादशी

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है। यह दिन विवाह, गृहप्रवेश और नए कार्यों के आरंभ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि:

  • प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
  • विष्णु की शालिग्राम स्वरूप या चित्र पर पूजा आरंभ करें।
  • दीपक जलाकर गंगाजल, तुलसी दल, पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • भगवान विष्णु को खीर, फल और तुलसी पत्र का भोग लगाएं।
  • तुलसी माता की आराधना करें और देवजागरण की कथा सुनें।
  • रात्रि में दीपदान करें और भगवान को जगाकर आरती करें।
  • अंत में दान और अन्न सेवा का संकल्प लेकर व्रत पूर्ण करें।

तुलसी विवाह:

तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल द्वादशी या देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है। यह पावन दिन माता तुलसी (जो देवी लक्ष्मी का रूप हैं) और भगवान विष्णु (शालिग्राम स्वरूप) के दिव्य मिलन का प्रतीक है। इसी दिन से विवाह जैसे शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है। पौराणिक मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से वैवाहिक सुख, समृद्धि और गृहस्थ जीवन में सौहार्द की वृद्धि होती है।

तुलसी विवाह पूजा विधि:

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • आंगन या मंदिर में तुलसी माता के पौधे को सजाएं।
  • तुलसी माता को हल्दी-कुमकुम, साड़ी, गहने और पुष्प अर्पित करें।
  • शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति को वर के रूप में स्थापित करें।
  • मंगल गीत गाते हुए तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न करें।
  • पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
  • विवाह पूर्ण होने पर ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान दें।
  • इस दिन विवाहित जोड़ों को एकसाथ तुलसी पूजा करनी चाहिए, जिससे दांपत्य जीवन में प्रेम और स्थायित्व बना रहे।