उत्तराखंड के रहस्यमयी पांडव नृत्य में दिव्य नजारा, खेलते–खेलते बच्चे पर ‘भगवान’ सवार

उत्तराखंड के रहस्यमयी पांडव नृत्य में दिव्य नजारा, खेलते–खेलते बच्चे पर ‘भगवान’ सवार

A Miracle in Rudraprayag, Uttarakhand

A Miracle in Rudraprayag, Uttarakhand

रुद्रप्रयाग। A Miracle in Rudraprayag, Uttarakhand: दशज्यूला क्षेत्र के बैंजी काण्डई में चल रहे पांडव नृत्य के दौरान सात वर्षीय बालक भीमसेन अवतरित हो गए। वह अचानक पांडव पश्वाओं के मध्य पहुंच गया और मानो किसी दिव्य शक्ति के प्रभाव में भीमसेन की मुद्रा में नृत्य करने लगा। उसकी चाल, भाव-भंगिमा, थाप पर पकड़ और जोश देखते ही बनता था। ग्रामीणों ने इसे पांडव देवताओं की विशेष कृपा माना।

गांव के सात वर्षीय आर्यन ने बताया कि मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आया। मैं तो बस अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। अचानक ढोल-दमाऊ की आवाज सुनकर मन हुआ कि आयोजन की तरफ चलूं। जैसे ही मैं वहां पहुंचा, मुझे लगा कि मेरे अंदर कोई बहुत बड़ी ताकत आ गई है। शरीर अपने-आप नाचने लगा। मुझे याद भी नहीं कि मैं कैसे नाच रहा था, बस इतना महसूस हो रहा था कि कोई शक्ति मुझे थामे हुए है। मैंने गांववालों के चेहरे देखे, सब खुश थे। सब बोल रहे थे कि मुझ पर भीमसेन अवतरित हुए हैं। यह सुनकर मुझे डर भी लगा और खुशी भी।

बैंजी काण्डई ही नहीं, बल्कि केदारघाटी और पड़ोसी जनपदों के अनेक गांवों में इन दिनों पांडव नृत्य और पांडव लीला की परंपरा पूरे उत्साह के साथ चल रही है। पण्डवांडी की पवित्र थाप के स्वर और पारंपरिक नौबत की ध्वनि के बीच पांडव देवता विभिन्न पश्वाओं पर अवतरित होकर ग्रामीणों को सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं। इन आयोजनों से गांवों में ऐसी रौनक लौट आई है कि माहौल किसी बड़े पर्व से कम नहीं प्रतीत होता।

स्थानीय परंपराओं के अनुसार महाभारत युद्ध के उपरांत जब पांडव बदरी-केदार यात्रा पर निकले थे, तो उनका इन गांवों की घाटियों और मार्गों से विशेष संबंध रहा। इसी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जुड़ाव के कारण ग्रामीण पांडवों को अपने पितृ-देव स्वरूप में पूजते हैं और निश्चित समयांतराल पर पांडव नृत्य का आयोजन करते आए हैं।