Chief Minister's advice to Kejriwal

पंजाब: मुख्यमंत्री ने केजरीवाल को लिया आड़े हाथ, देखें क्या दी नसीहत

Chief Minister's advice to Kejriwal

Chief Minister's advice to Kejriwal

Chief Minister's advice to Kejriwal: साल 2022 की विधान सभा चुनावों की ख़ातिर उद्योगपतियों के साथ किए झूठे वादे करने के लिए आम आदमी पार्टी के कनवीनर और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का मज़ाक उड़ाते हुए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज कहा कि केजरीवाल कोरे झूठों के आधार पर खोखले दावे कर रहे हैं। एक बयान के द्वारा मुख्यमंत्री ने कहा कि केजरीवाल ने वादा किया है कि आगामी विधान सभा चुनावों में यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो राज्य को 24 घंटे बिजली आपूर्ति देगी। स. चन्नी ने कहा कि शायद केजरीवाल यह नहीं जानते कि पंजाब सरकार अनिर्धारित हालात और मरम्मत के समय को छोडक़र लोगों को पहले ही 24 घंटे बिजली आपूर्ति दे रही है।

इंस्पेक्टरी राज का ख़ात्मा करने के लिए केजरीवाल के दावों का बदले में जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य भर में इंस्पेक्टरी राज को पहले की ख़त्म कर चुकी है। केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली के द्वारा साढ़े चार सालों में साझे तौर पर 17,589 बार निरीक्षण किया जा चुका है। इसी तरह उद्योग को आगामी नोटिस देकर निरीक्षण स्थापना और अफसरों की कम्प्यूट्रीकरण से चुनाव करने, काम, बॉयलजऱ्, कानूनी, मौसम विभाग और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का साझा निरीक्षण, निरीक्षण की रिपोर्ट 48 घंटों के अंदर अपलोड करने और औद्योगिक ईकाइयों की जोखिम आधारित निरीक्षण करने समेत कई कदम उठाए गए, जिससे उद्योग को सुविधाएं दी जा सकें।

 केजरीवाल द्वारा उद्योगपतियों को झाँसे में लेने के लिए 3-6 महीनों में वैट रिफंड करने के ग़ैर-जि़म्मेदाराना बयान का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन सालों के दौरान राज्य में उद्योगपतियों को 1700 करोड़ रुपए का वैट रिफंड पहले ही जारी किए जा चुके हैं और इस सितम्बर के अंत तक सिफऱ् 70 करोड़ रुपए ही बकाया हैं। 

 मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि मोबाइल विंग की संख्या 14 से घटाकर 7 कर दी है जिनको आबकारी विभाग के बेहतरीन अफसरों द्वारा चलाया जा रहा है। इसके साथ टैक्स और जुर्माने में ज़ब्त किए वाहनों में 95 प्रतिशत से अधिक नतीजे आए हैं, क्योंकि योग्य रजिस्टर्ड करदाताओं को किसी किस्म की परेशानी ना हो। 

 केजरीवाल के एक-दो सालों के अंदर बुनियादी ढांचे से जुड़ी सभी समस्याओं को हल करने के एक और बेकार वादे का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने औद्योगिक फोकल प्वाइंट्स में रख-रखाव और नवीनीकरण के कार्यों की तरफ हमेशा विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि पीएसआईईसी ने पिछले साढ़े चार सालों के दौरान कंक्रीट सडक़ें, वॉटर सप्लाई लाईन का पुनर्धार करने, स्ट्रीट लाईटों, सीवरेज के निपटारे आदि प्रदान करने के लिए लगभग 95 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं, जिससे राज्य में उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित बनाया जा सके। इसके अलावा नए फोकल प्वाइंट्स जैसे कि हाई टैक साइकिल वैली, धनानसू, लुधियाना और नाभा के विकास के लिए भी लगभग 108 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए हैं।

 उद्योग की प्रगति सम्बन्धित कामों के मुद्दे पर चन्नी ने कहा कि प्लाट धारकों पर रख-रखाव का कोई खर्चा नहीं लगाया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पीएसआईईसी के द्वारा राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 45 औद्योगिक फोकल प्वाइंट विकसित किये हैं और उद्योगपतियों को उनके प्रोजैक्ट स्थापित करने के लिए अलग-अलग आकार के प्लाट अलाट किये हैं। किसी ख़ास क्षेत्र /फोकल प्वाइंट के विकास के अनुमान में आम तौर पर विकास कामों के मुकम्मल होने की तारीख़ से पाँच सालों के लिए रख-रखाव खर्चें की व्यवस्था शामिल होती है। इसके बाद फोकल प्वाइंटों की संभाल स्थानीय निकाय विभाग को सुपुर्दगी ज़रूरी है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अनुप्रयुक्त तौर पर फोकल प्वाइंटों की देखभाल के काम पीएसआईईसी द्वारा अपने स्रोतों से कई सालों के लिए किये जाते हैं। ज़्यादातर मामलों में, पीएसआईईसी के द्वारा निरंतर काम किये जाते हैं और फोकल प्वाइंट स्थापित करने के दशकों की मियाद ख़त्म होने के बाद क्षेत्रों को स्थानीय अधिकार क्षेत्र के अधिकारियों को तबदील नहीं किया गया है। इन संभाल और अपग्रेडेशन के कामों को पूरा करने के लिए, औद्योगिक प्लाट धारकों पर कोई खर्चा नहीं लगाया जाता और इस और किया गया ख़र्च पीएसआईईसी द्वारा अपने स्तर पर किया जाता है।

 केजरीवाल की तरफ से राज्य में सत्ता में आने पर हफ़्ता प्रणाली /गुंडा टैक्स को ख़त्म करने के दावो का जि़क्र करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में ऐसी कोई प्रणाली मौजूद नहीं है। अपनी दलील के समर्थन में चन्नी ने कहा कि उनकी सरकार ने पहले ही ट्रक यूनियनों को ख़त्म करके एकाधिकारी को रोकन के लिए पहलकदमी की है, जिसकी उद्योग द्वारा सराहना की गई है। 

 केजरीवाल के उद्योग-सरकार हिस्सेदारी के ढंग-तरीको के साथ काम करने के एक और दावे का विरोध करते हुये चन्नी ने कहा कि पंजाब में उद्योग-समर्थकी औद्योगिक और व्यापार विकास नीति (आईबीडीपी -2017) है जिसकी उद्योग द्वारा काफ़ी सराहना की गई है। औद्योगिक और व्यापार विकास नीति, 2017 के अंतर्गत मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक पंजाब औद्योगिक और व्यापार विकास बोर्ड का गठन किया गया है। इस नीति के अंतर्गत रेगुलेटरी और वित्तीय मामलों की मंजूरी के लिए जि़ला जांच कमेटी, जि़ला स्तरीय कमेटी और राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। इन सभी कमेटीयों में सी.आई.आई, पीएचडीसीसीआइ आदि समेत उद्योग के नुमायंदे शामिल हैं। इसके इलावा पंजाब बड़े उद्योग विकास बोर्ड और पंजाब मध्यम उद्योग बोर्ड का गठन किया गया जिनमें उद्योग से ही मैंबर शामिल किये गए। इसी तरह एम.एस.ई.एफ.सी. का गठन किया गया जिससे एम.एस.एम.ई. एक्ट के अंतर्गत बकाया अदायगी से निपटाये जा सके जिसमें उद्योग के साथ जुड़ी पक्ष ही हिस्सेदार हैं। 

 शांति और सदभावना का माहौल यकीनी बनाने सम्बन्धी आप कनवीनर के दावे की निंदा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में पहले ही मजदूरों के साथ शांतमयी सम्बन्ध हैं क्योंकि राज्य में पिछले तीन दशकों के दौरान कोई बड़ी हड़ताल नहीं हुई है और मज़दूरों को नौकरी देने के लिए पंजाब के निवासी होने सम्बन्धी कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रमुख औद्योगिक राज्यों के मुकाबले पंजाब में संज्ञेय अपराधों की दरें सबसे कम हैं। नेशनल क्राइम रिकार्डज़ ब्यूरो -2019 की रिपोर्ट अनुसार एक लाख की आबादी के हिसाब से अपराध दर के मुताबिक पंजाब के संज्ञेय अपराधों की दर 243.1 है जबकि दिल्ली में यह दर 1586.1 है। 

 केजरीवाल को मौकाप्रस्त करार देते हुये स. चन्नी ने कहा कि ऐसी गलत और राजनैतिक हितों वाली हरकतें ’आप’ कनवीनर को पंजाब के चुनावी मैदान पर काबिज़ होने में मदद नहीं करेंगी क्योंकि वह राज्य से बाहर होने के कारण राज्य के विकास और इसके लोगों की भलाई के लिए सिर्फ़ दूर-दूर से ही चिंतित हैं और उनकी आँख सिर्फ़ पंजाब के वोट बैंक पर है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को गलतफहमी है और वह दिन में सपने देख रहे हैं और पंजाब के लोगों को झूठे सपने दिखा कर गुमराह कर रहे हैं परन्तु पंजाब के बुद्धिमान लोग उनको हरा कर बाहर का रास्ता दिखाऐंगे।

 इस दौरान उद्योग और वाणिज्य मंत्री गुरकीरत सिंह कोटली ने भी सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के सैक्टर को बढ़ावा देने सम्बन्धी केजरीवाल के दावे की निंदा करते हुये कहा कि राज्य सरकार ने एमएसएमईज़ के देरी से भुगतान के मुद्दों को हल करने के लिए सभी जिलों में नये एमएसएमइ यूनिटों की जल्द स्थापना के इलावा माईक्रो, स्माल फैसीलेशन कौंसिल स्थापित करने के लिए राइट टू बिजनेस एक्ट, 2020 को पहले ही नोटीफायी कर दिया है। भारत सरकार के माईक्रो स्माल ऐंटरप्राईजिज़ -क्लस्टर डिवैल्पमैंट प्रोग्राम के अधीन, श्री कोटली ने कहा कि एमएसएमईज़ की प्रतियोगिता बढ़ाने के लिए भारत सरकार की तरफ से सात प्रस्तावों को पहले ही मंज़ूरी दी जा चुकी है। विश्व बैंक के आरएएमपी प्रोजैक्ट के अधीन पायलट प्रोजेक्टों के लिए पंजाब को चुना गया है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य एमएसएमईज़ के लिए अलग-अलग नीतियों को लागू करने के लिए राज्य की पहलकदमियों को तेज़ करना है।

 उद्योग मंत्री ने आगे कहा कि मैक इन पंजाब नीति पंजाब में तैयार हुए सामान को सार्वजनिक खरीद में प्राथमिकता देती है। स्थानीय एमएसएमईज़ अपनी बोली की कीमत को एल 1के साथ 50 प्रतिशत मात्रा वाले टैंडर, एल 1 की तरफ से यकीनी बनाने के लिए 40 प्रतिशत स्थानीय सामग्री के साथ मिलान कर सकते हैं। औद्योगिक और कारोबारी विकास नीति, 2017 पंजाब के नये और मौजूदा एमएसएमईज़ को बहुत ही आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता, प्रौद्यौगिकी के नवीनीकरन, मार्किटिंग पहुँच आदि जैसे अन्य कई तरह के प्रोत्साहन प्रदान करती है।