योगी सरकार ने बांके बिहारी जी मंदिर के लिए बनाया ट्रस्ट, राज्यपाल ने जारी की अधिसूचना

योगी सरकार ने बांके बिहारी जी मंदिर के लिए बनाया ट्रस्ट, राज्यपाल ने जारी की अधिसूचना

Shri Banke Bihari Ji Temple Trust

Shri Banke Bihari Ji Temple Trust

लखनऊ : Shri Banke Bihari Ji Temple Trust: ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए सोमवार को राज्य सरकार ने मंदिर के सेवायतों को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अध्यादेश लाकर सरकार ने श्री बांकेबिहारी जी मंदिर न्यास (ट्रस्ट) का गठन कर दिया है।

अध्यादेश ऐसे समय लाया गया है, जब सेवायतों ने बांकेबिहारी मंदिर गलियारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। न्यास के गठन के बाद आगे की कार्रवाई का रास्ता भी धीरे-धीरे साफ होता जा रहा है। धर्मार्थ कार्य विभाग के तहत न्यास कार्य करेगा। कैबिनेट बाईसर्कुलेशन किए गए निर्णय को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की हरी झंडी मिलने के बाद संबधित अध्यादेश की अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के बेहतर प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर का ट्रस्ट बनाने का प्रस्ताव दिया था। 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी। इसके साथ ही गलियारा बनाने के लिए मंदिर के कोष से पांच एकड़ भूमि खरीदने का आदेश भी दिया था। इसके विरोध में पिछले दिनों मंदिर सेवायत देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

इस अपील पर मंगलवार को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ सुनवाई करेगी। इसी बीच सोमवार को राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश श्री बांकेबिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश-2025 ले आई। इस अध्यादेश के तहत सरकार ने मंदिर न्यास का गठन कर दिया है। न्यास में दो प्रकार के न्यासी होंगे, एक नामनिर्दिष्ट व पदेन न्यासी। नाम निर्दिष्ट 11 न्यासी होंगे, जिनमें वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों और पीठों से संबंधित तीन, सनातन धर्म की अन्य परंपराओं व पीठों से संबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल किए जाएंगे।

इसमें संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य स्वामी सम्मिलित हो सकते हैं। सनातन धर्म की किसी भी शाखा या संप्रदाय से संबंधित तीन व्यक्ति भी शामिल हो सकते हैं, इनमें शिक्षाविद्, विद्वान, उद्यमी, समाजसेवी हो सकते हैं। मंदिर में सेवारत गोस्वामी परंपरा से दो सदस्य होंगे, इनमें से एक राजभोग सेवा से और एक शयनभोग सेवा से होगा।

नामनिर्दिष्ट न्यासियों का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होगा। कोई भी न्यासी दो बार से ज्यादा नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। न्यासी कभी भी त्यागपत्र दे सकेंगे। पदेन सदस्यों के पास वोट का अधिकार नहीं होगा। न्यास की बोर्ड बैठक में कम से कम सात सदस्यों का होना अनिवार्य होगा। इसमें पांच नामनिर्दिष्ट व दो पदेन सदस्य होने चाहिए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि सभी न्यासी हिंदू और सनातन धर्म को मानने वाले होंगे। किसी भी गैर हिंदू व्यक्ति को नामनिर्दिष्ट न्यासी के तौर पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। न्यायालय द्वारा अपराधी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति को न्यासी नहीं बनाया जा सकेगा। जाति या लिंग के आधार पर किसी भी नियुक्ति की मनाही नहीं होगी।

वहीं सात पदेन न्यासियों में डीएम, एसएसपी, नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उत्तर प्रदेश धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी, श्रीबांकेबिहारी जी मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एडीएम के समकक्ष) के अलावा राज्य सरकार उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य सदस्य शामिल होगा।

धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि सुविधाओं में विस्तार के लिए ट्रस्ट या श्री बांके बिहारी जी के नाम पर सरकार भूमि खरीदेगी। मंदिर की व्यवस्था को प्रभावित किए बिना कारिडोर का निर्माण किया जाएगा। इससे श्रद्धालुओं को तेजी के साथ दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

यमुना नदी के पास श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग, शौचालय, विश्राम गृह, धर्मशाला व चौड़ी सड़कों की व्यवस्था की जाएगी। दिव्यांगों के लिए व्हील चेयर व दर्शन की सुुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सुविधा विस्तार पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, यह राशि मंदिर के फंड से खर्च की जाएगी। पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर भीड़ प्रबंधन का कार्य ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा।

20 लाख से ज्यादा संपत्ति खरीदने पर लेनी होगी सरकार से अनुमति

20 लाख रुपये तक की चल व अचल संपत्ति को खरीदने, किराए पर या पट्टे पर लेने का अधिकार न्यास के पास होगा। इससे अधिक खर्च के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। न्यास को हर वर्ष अपना बजट न्याय बोर्ड से पास कराना होगा। बजट में वर्ष भर की प्रस्तावित कार्ययोजनाएं व उसका खर्च शामिल करना होगा। न्यास के खर्च व आय का आडिट कराना होगा। वहीं अर्चक और पुजारियों के वेतनमान व नियुक्ति की जिम्मेदारी न्यास की होगी।