Female wrestlers hope for justice

Editorial: महिला पहलवानों को न्याय की उम्मीद अब हुई प्रबल

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Female wrestlers hope for justice

The hope of justice for women wrestlers is now strong केंद्र सरकार का यह कदम सराहनीय है कि उसने पूरी संवेदनाओं के साथ महिला पहलवानों के संबंध में विचार करना शुरू किया है। इस साल की शुरुआत में ही महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगा दिए थे, इसके बाद सरकार ने जांच कमेटी का गठन किया लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। बीते समय के दौरान देखने को मिला है कि केंद्र सरकार ने धीमे ही सही लेकिन कदम उठाए पर वे कदम महिला पहलवानों को रास नहीं आए और संघर्ष बढ़ता चला गया।

इस समय जब हरियाणा, उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतें हो रही हैं और लगातार दबाव बढ़ रहा है, तब सरकार ने आश्वासन दिया है कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 15 जून तक जांच पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद पहलवानों ने अपने आंदोलन को स्थगित कर दिया है। निश्चित रूप से यह स्थिति दोनों पक्षों को समान धरातल पर ले आई है। केंद्र सरकार को यह आहट मिल चुकी है कि पहलवान अब पीछे हटने वाले नहीं हैं, वहीं लगातार धरने-प्रदर्शन से उनकी आवाज न केवल देश अपितु पूरी दुनिया में जा रही है। एक बड़ा जनमत उनके पक्ष में खड़ा हो रहा है और आरोपों की सच्चाई क्या है, यह अभी जांच का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार की छवि इस मामले से खराब हो रही है।

कुछ दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ महिला पहलवानों ने बैठक की थी, यह अपने आप में बड़ा टर्निंग पॉइंट था, क्योंकि शाह से मुलाकात का मतलब ही यह है कि पहलवानों के पक्ष में सुई झुकने लगी है। शाह न केवल सरकार अपितु भाजपा के संबंध में अंतिम निर्णय लेने वाले नेताओं में हैं। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं और इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। महिला पहलवानों के मुद्दे ने देश में खिलाडिय़ों की स्थिति को उजागर किया है। कमोबेश राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के हर खेल विभाग में ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है, जब महिला खिलाडिय़ों पर कोई दबाव हो या फिर वे किन्ही परिस्थितियों से समझौता करके अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करती रहे।

हरियाणा में एक महिला कोच का मंत्री के ऊपर आरोप भी पुराना नहीं है। इसकी जांच चंडीगढ़ पुलिस कर रही है, लेकिन उस जांच का सार क्या निकला है या फिर निकलेगा, इसका पता किसी को नहीं है। यह समझ नहीं आता कि आखिर ऐसे आरोप लग कैसे जाते हैं, अगर यह सब झूठ समझा जाए तो फिर आखिर कोई अपने सम्मान को गिरवी रखकर कोई कैसे आरोप लगा देता है।

निश्चित रूप से जहां आग होती है, धुआं वहीं होता है। महिला पहलवानों ने जिस प्रकार से अपनी आपबीती बताई है, वह रोंगटे खड़े कर देती है। आखिर खेल संघ में ऐसा खेल किस प्रकार घटित हो सकता है, जिसमें एक पुरुष पर महिला पहलवानों से इतनी नजदीकी और फिर उसे आपत्तिजनक तरीके से छूने की इजाजत मिल जाए। क्या इस पर सवाल नहीं उठने चाहिएं। महिला पहलवान जो आरोप लगा रही हैं, उनकी पृष्ठभूमि यहीं तैयार हो जाती है कि खेल संघ में एक पुरुष अध्यक्ष के रूप में काबिज है।

हालांकि अब महिला पहलवानों की यह मांग काबिलेगौर है कि किसी महिला को महासंघ का अध्यक्ष बनाया जाए, जिसकी अगुआई में आंतरिक शिकायत समिति बने। केंद्र सरकार को यह भी समझना चाहिए कि आखिर खेल संघों पर वर्चस्व की लड़ाई लड़ी ही क्यों जाती है, खेल को खेल की भावना से खेलने की सलाह दी जाती है तो फिर उनके नियोजन के लिए पूरी पारदर्शिता एवं प्रोफेशनलिज्म का परिचय क्यों नहीं दिया जाता। क्यों ज्यादातर खेल संघों पर राजनीतिक ही कब्जाधारी हो रहे हैं, जिन्होंने कभी बैट न पकड़ा हो, वे क्रिकेट संघ के अध्यक्ष, महासचिव बनते हैं, जिन्होंने अखाड़े का मुंह तक न देखा हो, वे उसके अध्यक्ष बनने की जुगत लगाते दिखते हैं।

ओलंपिक के समय जब अमेरिका, चीन, फ्रांस जैसे देश पदकों की झड़ी लगाते दिखते हैं, भारत में भी बेचैनी बढ़ती जाती है। तब कहा जाता है कि आखिर हमारे खिलाड़ी क्यों नहीं जीत पाते। दरअसल, विश्व स्तर पर प्रदर्शन के लिए अत्यंत उच्च दर्जे का मोटिवेशन चाहिए लेकिन अगर इस प्रकार से खिलाडिय़ों का मनोबल गिराया जाएगा तो फिर वे कैसे उस स्तर का प्रदर्शन करेंगे।

वास्तव में केंद्र सरकार को बहुत पहले इस संबंध में कदम उठाने चाहिएं थे। दरअसल मामला यह नहीं है कि किसी के साथ अन्याय हो। जिन पर आरोप लगाए जा रहे हैं, प्रतिष्ठा उनकी भी है। हालांकि कानून के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए, जिसका आधार यह है कि अगर शिकायत आई है तो जांच हो और फिर आरोपी की गिरफ्तारी होकर कार्रवाई आगे बढ़े। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है, इसलिए पूरा मामला पेचीदा हो गया। निश्चित रूप से अब न्याय की उम्मीद की जानी चाहिए, दोषी को सजा मिलनी जरूरी है, लेकिन अगर कोई निर्दोष है तो फिर उसका सम्मान बरकरार रहना चाहिए।

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