कोलकाता में ‘Bengal Files’ ट्रेलर लॉन्च में सनसनीखेज गिरफ्तारी, निर्देशक ने रखा ‘तानाशाही’ का आरोप"

the bengal files movie trailer: भारत के आगामी राजनीतिक ड्रामा फ़िल्म ‘The Bengal Files’ के ट्रेलर लॉन्च के दौरान कोलकाता में हुई घटनाओं ने फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति दोनों में हलचल मचा दी है। निर्देशकों के आरोप, राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया और पुलिस कार्रवाई ने इस घटना को बहु-आयामी विवाद का रूप दे दिया है। आइए तीन प्रमुख बिंदुओं में विस्तार से समझते हैं कि असल में क्या हुआ और क्यों।
ट्रेलर लॉन्च में व्यवधान: क्या हुआ था असल में?
फ़िल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कोलकाता में ट्रेलर लॉन्च के दौरान एक बड़े व्यवधान की बात कही है। पहले तो एक प्रमुख मल्टीप्लेक्स ने ऐन-वक्त पर लॉन्च की अनुमति रद्द कर दी। फिर दूसरी जगह, एक निजी होटल के बैंक्वेट हॉल, में ट्रेलर दिखाने का प्रयास हुआ, लेकिन कार्यक्रम को बीच में ही रोक दिया गया, allegedly वायर्स काट दिए गए जिससे बिजली और ऑडियो-विजुअल सिस्टम का काम ठप हो गया। अग्निहोत्री ने इस घटना को “अनार्की”, “तानाशाही” और “फासीवाद” कहकर बुलाया। उनका कहना था कि यह सीबीएफसी से प्रमाणित फ़िल्म के ट्रेलर को रोकना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। हालांकि पुलिस ने कहा कि उनका मकसद केवल यह देखना था कि क्या सार्वजनिक स्क्रीनिंग की अनुमति कानूनी रूप से पूरी थी।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: टीएमसी और बीजेपी के आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना के बाद राजनीतिक वाद-प्रतिवाद तेज हो गया। टीएमसी ने विशुद्ध तौर पर इसे एक ‘रूढ़िवादी राजनीतिक वीडियो’ कहकर आलोचना की और अग्निहोत्री पर बीजेपी के पाले में जाने का आरोप लगाया। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा: "अगर आपकी आत्मा सचमुच जिंदा है तो ‘Godhra Files’ या ‘Manipur Files’ जैसी संवेदनशील विषयों पर फिल्म बनाएं"।वहीं बीजेपी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला और तानाशाही का संकेत बताया। केंद्रीय मंत्री और राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इसे "डेमोक्रेटिक मर्यादा का उल्लंघन" बताया और इसे बंगाल में बढ़ते जंगलराज का उदाहरण माना।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न, और क्या संकेत मिलते हैं?
इस पूरे विवाद ने एक बड़ा मुद्दा उठाया है: क्या राजनीतिक परिस्थितियां फिल्म निर्माण और उसके प्रचार को प्रभावित कर रही हैं? अग्निहोत्री और अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने इस घटना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ माना। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बंगाल में सुरक्षित और स्वतंत्र तरीके से सार्वजनिक कार्यक्रम करना मुश्किल हो गया है? दूसरी ओर, बंगाल पुलिस ने कहा कि वे सिर्फ जांच कर रहे थे कि कानूनी अनुमति ठीक है या नहीं। लेकिन इस सबके बीच सवाल यही उभरता है, क्या यह केवल प्रशासनिक कार्रवाई थी या राजनीतिक दबाव का हिस्सा? और क्या आने वाले दिनों में इस घटना से कला, सिनेमा और राजनीति के बीच दूरी और बढ़ जाएगी?‘The Bengal Files’ के ट्रेलर लॉन्च में हुए व्यवधान ने केवल एक फिल्म का कार्यक्रम ही नहीं रोका, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक मायनों में एक व्यापक बहस को जन्म दिया। जहां एक ओर निर्देशक ने इसे तानाशाही और आवाज़ दबाने का प्रयास बताया, वहीं राजनीतिक धाराएँ एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या यह फिल्म बिना और व्यवधान के सिनेमाघरों तक पहुँच सकेगी और क्या यह घटना भारतीय लोकतंत्र में कला की स्वतंत्रता पर फिर से बहस शुरू करेगी।