Rajasthan Salasar Balaji Top Story: राजस्थान के सालासर बालाजी की कहानी

राजस्थान के सालासर बालाजी की कहानी; यहां चमत्कारों की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है, भक्त की तकदीर और तस्वीर पल में बदल जाती है

Rajasthan Salasar Balaji Top Story

Rajasthan Salasar Balaji Top Story

Rajasthan Salasar Balaji Top Story:  जिनके चलते संसार में सबका वर्णन होता है उनका वर्णन भला हम तुच्छ प्राणी क्या ही कर पाएंगे लेकिन फिर भी प्रयास है कि उनकी महिमा के वर्णन का हम जगह-जगह प्रसार कर पाएं| हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सालासर बालाजी धाम की| राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर बालाजी धाम की महिमा का वर्णन जितना किया जाए उतना कम है|

धार्मिक धामों की कड़ी में सालासर बालाजी धाम बेहद दिव्य है, अपने-आप में अद्भुतता को समेटे हुए है| जहां शक्तियों का अहसास होता है| यह ऐसा धाम है जहां चमत्कार होता है| यहां चमत्कारों की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है| यह ऐसा धाम है जहां भक्त की तकदीर और तस्वीर पल में बदल जाती है| बरहाल, सालासर बालाजी के सामने जो भी नस्मस्तक होता है फिर उसके कल्याण में देर नहीं लगती| पर हां एक शर्त है कि सालासर बालाजी के सामने आपकी भक्ति तन और मन से निर्मल होनी चाहिए| बालाजी के सामने कोई कपट नहीं चलता| बस कपट न हो तो फिर चमत्कार का मजा देखिये|

दाढ़ी मूंछ में हैं सालासर बालाजी

आपको बतादें कि, सालासर बालाजी धाम में बाबा बालाजी दाढ़ी मूंछ के स्वरुप में सुशोभित हैं| माना जाता है कि यह भारत का ऐसा पहला मंदिर है जहां बालाजी की दाढ़ी मूंछ वाली प्रतिमा स्थापित है। बाबा बालाजी का ऐसा रूप देश में कहीं और नहीं देखना को मिलता है|

सालासर बालाजी धाम की कहानी जानिए

सालासर बालाजी स्वयं प्रकट हुए हैं| दरअसल, 1800 शताब्दी की बात है, जब सालासर में बालाजी के एक परमभक्त हुआ करते थे| जिनका नाम था मोहन दास| एक बार बालाजी ने मोहन दास को साक्षात दर्शन दिए| इस दौरान मोहन दास ने बालाजी को सालासर में स्थापित होने को कहा| जहां बालाजी ने परमभक्त मोहन दास को वचन दिया कि वह जल्द ही सालासर में आकर स्थापित होंगे| इसके बाद जब कुछ समय बीता तो नागौर जिले के आसोटा गाँव में एक खेत से बालाजी मूर्ति के रूप में प्रकट हुए| इसके पीछे भी एक पूरी कहानी है|

दरअसल, जिस खेत से बालाजी निकले उस खेत में हल चल रहा था| एक किसान बैलों को लेकर अपने खेत जोतने में लगा हुआ था| इसी बीच अचानक से किसान का हल खेत में अटक गया| जब किसान ने देखा तो हल एक पत्थर से अटका हुआ था| जिसके बाद किसान ने खेत से उस पत्थर को निकाला और बाहर रख दिया और कुछ देर बाद जब उस पत्थर को साफ़ किया तो उस पत्थर में उसे बालाजी की झलख दिखने लगी| इस बीच किसान और उसकी पत्नी ने चूरमे का भोग भी बालाजी को लगाया|

वहीं, इधर बालाजी के खेत से निकलने की बात इलाके में फ़ैल गई| इसी बीच इलाके के एक जागीरदार को इस बारे में पता चला| इधर, जैसे ही जागीरदार को पता चला तो रात में उसके सपने में बालाजी आये और उससे कहा कि वो खेत से निकली उनकी मूर्ती को कहीं और न रखे| इस मूर्ती को सालासर पहुंचा दिया जाये|

बताते हैं कि उधर जहां बालाजी ने जागीरदार को सपने में मूर्ती को सालासर पहुंचाने की बात कही तो वहीं इधर सालासर में मौजूद अपने परमभक्त मोहन दास को भी सपना दिया| बालाजी ने परमभक्त मोहन दास से कहा कि वह मूर्ती रूप में प्रकट हो गए हैं| बैलगाड़ी से उनकी मूर्ती आ रही है| जब बैलगाड़ी सालासर पहुंच जाए तो फिर उस बैलगाड़ी को कोई न चलाये| सालासर आकर बैलगाड़ी अपनेआप जहां भी रुकेगी| वहीं, उनकी मूर्ती की स्थापना कर दी जाए| बस इसके बाद जहां बैलगाड़ी रुकी| वहीं बालाजी की मूर्ती स्थापित कर दी गई और तबसे इस जगह को सालासर धाम के रूप में जाना जाता है।  

अगर आप अब ये कहें कि सालासर धाम में बालाजी दाढ़ी मूंछ में क्यों हैं? तो आपको बतादें कि जब बालाजी ने पहली बार मोहनदास जी को दर्शन दिए थे तो बालाजी दाढ़ी मूंछ में ही आये थे| जहां मोहनदास जी को बालाजी का यह रूप बड़ा पसंद आया और उन्होंने कहा कि बालाजी आप जब भी प्रकट हों तो इसी रूप में हों| इसीलिए जब बालाजी प्रकट हुए तो दाढ़ी मूंछ के रूप में हुए|

सालासर में सैकड़ों सालों से जल रही मोहनदास जी की जलाई धुनि

सालासर धाम में मोहनदास जी की भी प्रतिमा स्थापित है| मोहनदास जी ने यहां जीवित समाधि ले ली थी| बताते हैं कि, सालासर धाम में जो धुनि मोहनदास जी सैकड़ों साल पहले प्रज्वलित कर के गए थे वह आज भी जल रही है| जब भक्त सालासर धाम में दर्शन करने आते हैं तो इस धुनि की राख को अपने सर-माथे जरुर लगाते हैं| इसके अलावा सालासर धाम में पास में ही बालाजी की माता अंजना देवी का मंदिर भी है| यहां माता अंजना की गोद में बालाजी बैठे हुए हैं|

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