धर्म, शांति और सद्भावना का संगम बना राजभवन

Raj Bhavan became a Confluence of Religion
क्षमा दान को अपनाकर ही विश्वभर मे शांति हो सकती है: राज्यपाल
बोले-दुनिया मे जैनत्व को अपनाकर ही समाज में सुधार हो सकता है
अर्थ प्रकाश संवाददाता
चंडीगढ़, 2१ सितंबर। Raj Bhavan became a Confluence of Religion: पंजाब राजभवन में आयोजित क्षमायाचना पर्व रविवार को धर्म, शांति और सद्भावना का संगम बना। बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ जैन समाज की ओर से इस पर्व को मनाया गया। पंजाब के राज्यपाल और यूटी, चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने ट्राईसिटी व आसपास क्षेत्रों के समस्त जैन समाज को एकजुट होकर हर तरह की परिस्थिति का सामना करने का संदेश दिया। गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि जैन समाज का संपूर्ण जगत को एक अनूठा संदेश है कि धर्म, शांति और सद्भावना से सब मसले सुलझाये जा सकते हैं। इंसान खुद अपने किये की क्षमायाचना कर ले तो कोई मसला ही नहीं रहता, उल्टा दिलों में दुर्भाव समाप्त हो जाता है। मन,वाणी से क्षमायाचना कर आत्मग्लानि से बचा जा सकता है और प्रेमभाव व सद्भाव पैदा होता है। खुद राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने इस समारोह के आयोजन के लिये अनूठी पहल की थी। इस मौके पर जैन समाज से जुड़े मुनिवर ट्राईसिटी व आसपास के इलाकों में बने स्थानकों से राजभवन पैदल चलकर पहुंचे। चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली के अलावा, डेराबस्सी, खरड़, अंबाला, कालका, पिंजौर इत्यादि से जैन समाज से जुड़े लोगों ने कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिरकत की।
राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने अपने उद्बोधन में जैन धर्म की इस परंपरा को संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा बताते हुए कहा कि क्षमा में वह शक्ति है जो टूटे हुए संबंधों को जोड़ सकती है, मनुष्य को अहंकार से मुक्त कर सकती है और समाज में शांति व सद्भावना का आधार बन सकती है। उन्होंने कहा- ‘क्षमा वीरस्य भूषणम’ कोई सामान्य वाक्य नहीं, बल्कि जीवन की दिशा है। यदि हम क्षमा को अपने जीवन में धारण कर लें, तो यह न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को, बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र की आत्मा को भी प्रकाशित कर देगा।
उन्होंने श्रद्धालुओं के समक्ष अत्यंत भावुक होकर कहा-‘यदि मेरे मन, वचन या कर्म से, जाने-अनजाने किसी को भी दु:ख पहुँचा हो, तो मैं भी आप सबके चरणों में निवेदन करता हूँ- मिच्छामि दुक्कडम।’ उनके इन शब्दों ने पूरे सभागार में गहरी भावनात्मक तरंगें जगा दीं और वातावरण को करुणा, मैत्री और शांति से भर दिया।
कार्यक्रम में विराजित मंच पर अभय मुनि जी, सैक्टर 18 जैन स्थानक चंडीगढ़, सुखदर्शन मुनि जी, महादेव मुनि जी, सेक्टर 17 पंचकुला स्थानक, आशीष मुनि जी,उत्तम मुनि जी, विरह मुनि जी, तेरापंथ भवन सेक्टर 12 पंचकूला से सुधाकर मुनि जी एवं मनीषीसंत मुनिश्री विनय कुमार जी आलोक, और सैक्टर 22 लेडीज जैन स्थानक चंडीगढ़ महिला संत संतोष जी, महिला संत सुदेश जी, ने क्षमादान अपना व्याख्यान दिया। वही कार्यक्रम में मुख्य मंच पर सम्रग जैन समाज का नेतृव्य करने वाले मुनिजन विराजित थे।
जीतो ने योग दिवस की तरह क्षमायाचना पर्व को भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की मांग की
कार्यक्रम के जरिये जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाइजेशन (जीतो), चंडीगढ़ ने भी सारे जैन समाज को एक मंच पर आने का आग्रह किया। जीतो ने राज्यपाल के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया कि वह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तर्ज पर क्षमायाचना पर्व को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्षमायाचना दिवस की संज्ञा दिलायें ताकि संपूर्ण विश्व के लिये यह पर्व एक सीख बन सके। जीतो चंडीगढ़ चैप्टर फाउंडेशन के चेयरमैन लोकेश जैन ने इस मौके पर सभी संतों को नतमस्तक होते हुए कहा कि ये हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि गुलाबचंद कटारिया जैसे व्यक्तित्व का राज्यपाल पंजाब को एवं प्रशासक के रूप में चंडीगढ़ को मिला है। जीतो चेयरमैन के अलावा इस मौके पर लुधियाना से जीतो के आए सलाहकार राजीव जैन, वाइस चेयरमैन धर्मबहादुर जैन, वाइस चेयरमैन महावीर जैन, चीफ सेक्रेट्री सुनील जैन, कोषाध्यक्ष सुधीर जैन, ज्वाइंट सेक्रेट्री समीर जैन, सह कोषाध्यक्ष जिगनेश जैन, सदस्य आकाश जैन, राजेश जैन और मनोज जैन के अलावा लेडीज विंग की चेयरपर्सन आशिमा जैन एवं यूथ विंग के चेयरमैन अक्षित जैन, चीफ सेक्रेट्री सम्यक जैन और कैशियर विभोर जैन व कई न्यायाधीश, आईएएस, आईपीएस अधिकारी मौजूद थे, जबकि मंच का संचालन आईएएस ललित जैन ने किया।
क्षमादान से बडा दान दुनिया मे कोई नही: आशीष मुनि
क्षमायाचना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंचकुला स्थानक आशीष मुनि जी ने कहा जैन सिद्धांत कहता है, जिसके साथ तुमने गलत किया है उससे माफी मांग लो। इसी तरह जो तुमसे माफी मांगने आ रहे हैं उन्हें भी माफ कर दो, ऐसा करने से मन का कषाय धुल जाता है। क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूँ। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूं। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूँ। क्षमा भाव के बारे में भगवान महावीर कहते हैं कि क्षमा वीरस्य भूषणं अर्थात क्षमा वीरों का आभूषण होता है।
क्षमा का मार्ग अतुलनीय होता है एवं सबसे बड़ा बल क्षमा है- सुखदर्शन मुनि
सैक्टर 18 जैन स्थानक चंडीगढ़ से सुखदर्शन मुनि ने क्षमा याचना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा क्षमा का मार्ग अतुलनीय होता है एवं सबसे बड़ा बल क्षमा है। यदि इसका सही ढंग से ,सही जगह पर प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही यह सर्वशक्तिमान है। अगर क्रोध ही सर्वशक्तिमान होता और क्षमा निर्बल होती तो पृथ्वी पर इतने युद्ध होने के बाद भी सारी समस्याएं हल हो जानी चाहिए थीं, पर नहीं हुईं। क्षमा हमें हमारे पापों से दूर करके मोक्ष मार्ग दिखाती है। किसी भी धर्म की किताब का अगर हम अनुसरण करते हैं तो उसमें भी क्षमा भाव को ही सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। यह पर्व हमें सहनशीलता से रहने की प्रेरणा देता है। क्रोध को पैदा न होने देना और अगर हो भी जाए तो अपने विवेक से,नम्रता से उसे विफल कर देना अपने भीतर आने वाले क्रोध के कारण को ढूंढकर ,उससे उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों के बारे में सोचना।
क्षमायाचना करे तो दिल से करे: साध्वी श्री संतोष महाराज
सैक्टर 22 लेडिज जैन स्थान चंडीगढ महिला संत संतोष जी ने कहा आज पंजाब राजभवन मे सकल जैन समाज एक मंच पर एकत्रित होकर क्षमायाचना कर रहा है यह अपने आपको बहुत बडी बात है। जीवन मे इंसान हर जगह बाईपास का रास्ता अपना रहा है लेकिन सब जगह बाईपास चल जाता है लेकिन क्षमा करने और देने पर इसे न अपनाये, क्षमायाचना करे तो दिल से करे। बात करे अगर राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की तो जैसा इनका नाम वैसे ही इनका कर्म है इतने बडे ओहदे पर होते भी इतनी विनम्रता, सादगी की मिशाल को कायम करने वाले गुलाब जी गुलाब के फूल की तरह कांटो मे भी महकते रहते है ये सब उनकी विशालता का परिणाम है।
क्षमा करने वाले का यश चारो दिशाओ मे फैलता है: मुनिश्री आलोक
आलोक मुनि जी ने ‘मिच्छामि दुक्कडम’ की गहराई को समझाते हुए कहा कि यह केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन का संकल्प है—जिसमें हम हर क्षण करुणा, मैत्री और प्रेम का मार्ग चुनने का व्रत लेते हैं। मनीषीसंत ने आगे कहा मनुष्य जीवन इतना लंबा और अटपटा है कि यदि क्षमा मांगने और देने का गुण व्यक्ति में नहीं है तो उनका जीवन बड़ा कष्टकारी बन जाता है। मांगने से अहंकार खत्म हो जाता है, जबकि क्षमा करने से संस्कार बनते हैं। क्षमा वीरों को ही सुहाती है। जो व्यक्ति, सामने वाले को क्षमा कर देते हैं, उसकी चर्चा चारों दिशाओं में फैल जाती है।
सुधाकर मुनि जी ने बताया क्षमा पर्व का महत्व
तेरापंथ भवन सेक्टर 12 पंचकूला से पहुंचे सुधाकर मुनि जी ने जैन समाज को क्षमावाणी पर एक खास संदेश देकर श्रद्धालुओं को राजस्थान के उदयपुर का एक किस्सा सुनाते क्षमा पर्व का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में क्षमा भाव सबसे ऊंचा दान है यही आत्मिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।