Panch Kalyanak and World Peace Mahayagya on Monday

आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज के सानिध्य में पंच कल्याणक एवं विश्व शांति महायज्ञ सोमवार को

Panch Kalyanak and World Peace Mahayagya on Monday

Panch Kalyanak and World Peace Mahayagya on Monday

Panch Kalyanak and World Peace Mahayagya on Monday- चंडीगढ़ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 27 बी में आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में आयोजित होने जा रहा भव्य पंचकल्याणक एवं विश्व शांति महायज्ञ का सोमवार को मंगलाचरण, ध्वजारोहण, एवं पांडाल उद्घाटन का कार्य बड़ी ही भव्यता से होगा द्य दक्षिण से पधारे हमारे पंडित जीओं के द्वारा कार्य बहुत ही विधि विधान से संपन्न होगा।

सोमवार प्रात: कालीन मंदिर में श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा के पश्चात घट यात्रा का शुभारंभ होगा। अखंड सौभाग्यवती महिलाओं के द्वारा इन घटों से पंडाल तथा बेदी की शुद्धि होगी। मांगलिक कोई भी कार्य में सिद्धि, प्रसिद्ध लाने के लिए शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाता है। क्रियाविधि जितनी शुद्धि से होती है कार्य में उतना ही में अतिशय होता है और विशुद्ध बढ़ती है।

यह पंचकल्याणक महा महोत्सव कोई छोटा काम नहीं है इस महोत्सव में भगवान कैसे बनते हैं इसको दर्शाते हुए 28 तारीख को गर्भकल्याणक महोत्सव जिसमें माता मरुदेवी की कुक्षी में भगवान का जीव आता है इस जीव के गर्भ में आने से 6 माह पहले ही भगवान के पिता नाभिराय महाराज के गृहआंगन में दिन में 4 बार रत्नों की वर्षा होती है जिससे उनके राज्य काल में कहीं कोई दरिद्रता  गरीबी नहीं होती है सब जीव प्रसन्न होते हैं। चंडीगढ़ समाज के श्रीमान राजिंदर प्रसाद जी जैन और श्रीमती सरोज जी जैन को भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

जब भगवान जन्म लेते हैं तो कुछ क्षण के लिए विश्व में समस्त जीवों को शांति महसूस होती है

समय की कीमत को देखो जब भगवान जन्म लेते हैं तो कुछ क्षण के लिए विश्व में समस्त जीवों को शांति महसूस होती है। नरक में रहने वाले नारकी जीव भी जहां हमेशा दुख कलेश ताप है वहां भी उस क्षण को शांति का अनुभव होता है सौधर्म इंद्र अपने अवधि ज्ञान से जानता है कि तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ तो वह भी अपने सिंहासन से नीचे उतरकर भगवान बालक को नमस्कार करता हैं और सभी इंद्रो को आज्ञा देते भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव हुआ है सभी चलें।

सभी इंद्र अपने-अपने वाहनों पर बैठकर जाते हैं। जब सौधर्म इंद्र साक्षात तीर्थंकर भगवान को अपने हाथों में लेते हैं तो दो आंखों से देखने में आंखें तृप्त नहीं होती है तो वह हजार आंखें बनाकर भगवान को देखते हैं इस क्षण की विशुद्धि से सौधर्म इंद्र एक भवतारी होता है अर्थात एक जन्म प्राप्त कर फिर मोक्ष को प्राप्त होता है इसलिए आप और हम सभी इस अवसर पर पधार कर असीम अतिशय  पुण्य के भागीदार बने। यह जानकारी बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।