पाकिस्तान पर हमला, सऊदी अरब पर भी हमला माना जाएगा; दोनों देशों के बीच बड़ा रक्षा समझौता, भारत सरकार की तरफ से यह बयान

Pakistan-Saudi Arabia Big Defense Agreement Sign Latest News
Pakistan-Saudi Arabia: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच 17 सितंबर को एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है। जिसे NATO जैसा समझौता माना जा रहा है। दरअसल इस करार के तहत किसी एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। यानि अगर किसी बाहरी देश ने पाकिस्तान पर हमला किया तो वो हमला सऊदी अरब पर भी माना जाएगा। दोनों देश हमलावर देश के खिलाफ एक मोर्चे पर खड़े होंगे। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दोनों ने मिलकर इस समझौते पर मुहर लगाई है।
इधर पाकिस्तान जैसे देश के साथ रक्षा समझौता करने को लेकर सऊदी की मजबूरी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब हाल ही में कतर में हमास नेताओं को निशाना बनाकर इज़रायल ने हमले किए थे, जिससे खाड़ी देशों में असुरक्षा की लहर दौड़ गई, जो अब तक अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर रहे हैं। इस समझौते ने मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत की नजर भी इस पूरी स्थिति पर बनी हुई है।
माना यह ही जा रहा है कि, इस समझौते का सीधा फायदा सऊदी अरब को होने वाला है, क्योंकि यमन के साथ सऊदी की झड़प अक्सर चलती रहती है और अब यमन के खिलाफ इस लड़ाई में पाकिस्तान भी घसीटा जाएगा। उसे सऊदी अरब के साथ खड़ा होना होगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच यह समझौता सऊदी अरब के इजरायल के साथ किसी संभावित संघर्ष के समय उसे न्यूक्लियर शील्ड उपलब्ध कराने के लिए भी अहम माना जा रहा है। इसके साथ ही पाकिस्तान को अपनी बदहाल अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए सऊदी से और पैसा मिलने की राह भी खुल गई है।
भारत पर क्या असर होगा?
पाकिस्तान और सऊदी अरब के रक्षा समझौते से भारत पर क्या असर पड़ने वाला है। इसे लेकर भी साफ हलचल देखी जा रही है। क्योंकि पाकिस्तान अब यह मानकर चलेगा कि उसे भविष्य में भारत के हमलों से सुरक्षा की गारंटी मिल गई है। माना जा रहा है कि, यह समझौता भारत के लिए अच्छा नहीं है। इससे पाकिस्तान की ज़मीन से चलाए जाने वाले टेरर नेटवर्क पर ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकती है। बड़ा सवाल यह है कि, अगर भारत भविष्य में पाकिस्तान में टेरर नेटवर्क पर कोई हमला करता है तो सऊदी अरब उसे कैसे लेगा?
क्या वह पाकिस्तान से हुए समझौते के आधार पर इसे भी पाकिस्तान और अपने ऊपर हमला मानेगा? इसके अलावा अगर भारत पाकिस्तान की किसी कार्रवाई के जवाब में सीधे तौर पर जवाबी कार्रवाई करता है तो उस स्थिति में सऊदी अरब इसे कैसे लेगा? ग़ौरतलब है कि कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब का रूख अब तक संतुलन वाला रहा है। पीओके की स्थिति को लेकर वो साफ़तौर पर कोई साइड लेने से बचता रहा है। वह आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का समर्थन करता रहा है, आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई और ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने को लेकर सहमति जता चुका है।
भारत सरकार ने कहा- हम इस पर नजर बनाए हुए