JJP raised questions on cancellation of Haryana Police हरियाणा पुलिस भर्ती रद्द करने पर जेजेपी ने उठाए सवाल, पूछा- क्या बीजेपी ने चुनाव में वोट लेने के लिए निकाली थी भर्ती ?

हरियाणा पुलिस भर्ती रद्द करने पर जेजेपी ने उठाए सवाल, पूछा- क्या बीजेपी ने चुनाव में वोट लेने के लिए निकाली थी भर्ती ?

Digvijay

JJP raised questions on cancellation of Haryana Police

JJP raised questions on cancellation of Haryana Police: जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा 5600 कांस्टेबल पदों की पुलिस भर्ती रद्द करने पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है और भाजपा सरकार से पूछा है कि क्या बीजेपी ने चुनाव के समय में वोट लेने के लिए यह भर्ती निकाली थी? पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने एक ट्वीट में कहा कि हरियाणा में पुलिस में संख्या बल लगातार कम हो रहा है और न्यूनतम स्तर पर है। उन्होंने कहा कि वोट लेने के लिए निकाली गई भर्तियां अब रद्द की जा रही है, ऐसे में ‘सेवा सुरक्षा सहयोग’ का मिशन कहां से पूरा होगा ? दुष्यंत चौटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सैनी को गृह मंत्री के नाते इस गंभीर स्थिति को तुरंत समझना चाहिए ताकि हमारे जवानों का मनोबल कम न हो। वहीं जेजेपी युवा प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते आज हरियाणा की सुरक्षा व्यवस्था संकट में है और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। 

वहीं दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि हरियाणा पुलिस में भर्ती चुनाव से पहले सिर्फ वोट लेने के उद्देश्य से निकाली गई थी और अब बिना किसी ठोस कारण के वापस ले ली गई है। उन्होंने कहा कि एचएसएससी ने 16 अगस्त 2024 को इन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था, लेकिन लगभग एक साल बाद भर्ती रद्द कर दी गई। दिग्विजय ने मांग उठाते हुए कहा कि रद्द की गई भर्तियों को दोबारा शुरू कर सभी रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए, ताकि प्रदेश की सुरक्षा मजबूत हो सके और पुलिस जवानों का मनोबल भी बरकरार रहे।
 
वहीं दिग्विजय चौटाला ने पंजाब यूनिवर्सिटी को हरियाणा से अलग करने के विषय पर भी सवाल उठाया और कहा कि आज दोबारा साझा प्रबंधन की जरूरत है और हरियाणा की सीनेट में हिस्सेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। दिग्विजय ने कहा कि साल 1966 में हरियाणा के गठन के समय जिस प्रकार राज्य को हाई कोर्ट, विधानसभा, सचिवालय और चंडीगढ़ में हिस्सा मिला था, उसी प्रकार पंजाब यूनिवर्सिटी में भी हरियाणा की हिस्सेदारी निर्धारित की गई थी, लेकिन 1976 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल द्वारा निजी स्वार्थवश हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी से अलग कर देना एक बड़ी ऐतिहासिक गलती थी, जिसका सीधा असर हरियाणा के छात्रों पर पड़ा। उन्होंने कहा कि आज पंजाब सरकार द्वारा पर्याप्त फंडिंग उपलब्ध न कराने के कारण पंजाब यूनिवर्सिटी वित्तीय संकट से जूझ रही है। ऐसे में पंजाब सरकार को हरियाणा के साथ मिलकर एक साझा प्रबंधन मॉडल अपनाते हुए विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेजों के विकास के लिए मिलकर कदम उठाने चाहिए।
 
दिग्विजय चौटाला ने यह भी कहा कि पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिलों के कॉलेजों को दोबारा पंजाब यूनिवर्सिटी से एफिलिएट किया जाना चाहिए, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर शोध सुविधाएं और उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल मिल सके। उन्होंने हरियाणा की पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की भी मांग रखी। उन्होंने कहा कि सीनेट में पीयूसीएससी सहित समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए और विश्वविद्यालय प्रशासन को जल्द से जल्द सीनेट चुनाव की तारीख घोषित करनी चाहिए।